» झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद,
खलक चबैना काल का, कुछ मुंह में कुछ गोद |
» अर्थ : कबीर कहते हैं कि अरे जीव ! तू झूठे सुख को सुख कहता है और मन में प्रसन्न होता है? देख यह सारा संसार मृत्यु के लिए उस भोजन के समान है, जो कुछ तो उसके मुंह में है और कुछ गोद में खाने के लिए रखा है.