Rahim Das Ke Dohe | रहीम दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित
» रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय.
» अर्थ : रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.
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