नेत्र आपके चेहरे के सबसे अधिक संवेदनशील और कोमल अंग हैं। नेत्रों के बिना समूचा संसार अंधकारमय है। यदिनेत्र न हों तो आप अपने इर्द-गिर्द की सभी सुन्दर वस्तुएं देखने से वंचित रह जाती हैं। इसलिए नेत्रों का बहुत सावधानी तथा आदरपूर्वक ध्यान रखिए।
     नेत्र आपके मनोभावों को प्रदर्शित करते हैं। खामोश रहते हुए भी यह बहुत कुछ कह जाते हैं। यदि आप प्रसन्न हैं तो वे नाचते-लिमिलाते हैं। यदि आप थकी और ऊबी हुई सी हैं तो उनमें निरूत्साह तथाफीकापन दिखाई देगा। चमकती तथा तेजस्वी आंखें आपके आदर्श स्वास्थ्य का आईना हैं।
     विश्राम तथा निद्रा आंखों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि नींद ठीक प्रकार से न आए तो नेत्र लाल तथा सूजे से दिााई देते हैं। उनके नीचे काले घेरे से पड़ जाते हैं। खान-पान का भी नेत्रों पर प्रभाव पड़ता है। अधिक मदिरा सेवन से आंखें लाल पड़ जाती हैं। यदि आप कम सोती हों, अधिक शराब पीती हों, अधिक शराब पीती हों या मसालेदार भोजन करती हों तो आपके नेत्रों पर इनका प्रभाव अवश्य पड़ेगा। इसलिए आंखों को स्वस्थ, चमकदार रखने के लिए समुचित निद्रा, विश्राम तथा मिले-जुले भोजन की आवश्यकता है।
     याद रखें, कभी भी अपने नेत्रों पर अनावश्यक बोझ न डालें। उन्हें अकारणन थकाएं। अंधेरे कमरे में टेलीविजन न देखें। यदि कई घण्टे के लिए काम करना हो या पढ़ना हो तो सीधे बैठें तथानेत्रों को आराम देने के लिए बीच-बीच में काम रोककर व्यायाम कर लिया करें।
नेत्रों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय
यदि आपकी आंखों के चारों ओर की त्वचा अत्यंत सूखी हुई है तो उस पर क्रीम थपथपाकर लगाएं तथा फालतू क्रीम टिशू पेपर की सहायता से हल्के से पोंछ दें। याद रखिए, त्वचा पर कोई ऐसा पैन या मास्क न लागएं जिससे त्वचा खिंचती हो या कस जाए। केवल फल का रस या बादाम के तेल का प्रयोग कीजिए। ये वस्तुएं पौष्टिक भी होती हैं तथा त्वचा पर सूखती भी नहीं हैं।
हमेशा प्राकृतिक आई टाॅनिक प्रयोग में लाइए- खीरा, ककड़ी, आलू आदि नेत्रों की चमक तथा स्वास्थ्य के लए अत्यंत उपयोगी हैं। इनके टुकड़े काटकर आंखों पर रखने से आंखों को आराम मिलता है तथा सूजन कम होती है। इसके अलावा आप एल्डर फ्लावर, सेज पत्ता आदि का काढ़ा बनाकर भी आई टाॅनिक के रूप में प्रयोग कर सकती हैं। (काढ़ा बनाने की विधि इसी अध्याय में आगे दी गई हैं।)
अपने भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिनमें विटामिन-ए की मात्रा अधिक हो, क्येंकि विटामिन-ए नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। गाजर, शलजम, खुबानी आदि में विटामिन-ए प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। यह शरीर से विषाक्तता निकालता है तथा नेत्रों को स्वच्छ बनाता है।
नेत्रों की सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री प्रयोग करते समय अत्यंत सावधान रहें। प्राकृतिक तथा हाइपो एलर्जिक सौन्दर्य सामग्री का ही प्रयोग कीजिए। (हाइपो एलर्जिक प्रसाधन वह होते हैं जिनके प्रयोग से त्वचा में एलर्जी आदि नहीं होती है।)
नेत्रों के चारों ओर की त्वचा अत्यन्त कोमल होती है। अतः तेज लोशन तथा क्रीम लगाने की बजाय बादाम के तेल की कुछ बूंदें रात को सोते समय आंखों के चारां ओर लगा लें। अगर तरबूज का रस उपलब्ध हो तो उसे भी प्रयोग कर सकते हैं। इसमें प्राकृतिक रूप से त्वच को नरम बनाने तथा झुर्रियां दूर करने के गुण होते हैं।
नेत्रों को साफ और चमकदार रखने के लिए आपको मदिरा का सेवन कम करना होगा तथा धूूम्रपान छोड़ना होगा। जहां तक हो सके, धूंए वाले तथा प्रदूषित वातावरा से दूर रहने का प्रयत्न करें।
जब भी धूप में बाहर जाना हो तो अच्छी क्वालिटी के सन ग्लासेज का इस्तेमाल करें। यह आंखों की सूर्च की हानिकारक पराबैंगनी तरंगों से रक्षा करता है।
आई मेकअप के नियमित प्रयोग से आंखों के इर्द-गिर्द की त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। अतः इसे साफ करने के लए रासायनिक आइ्र मेकअप रिमूवर का प्रयोग न करके निम्नलिखित विधि का प्रयोग करें। यह न केवल मेकअप हटाने बल्कि त्वचा के पोषण के लिए भी लाभदायक है।
बादाम का तेल 2 चम्मच
अरण्डी का तेल 1 चम्मच
     हर रात ब्रश की सहायता से बादाम का तेल बरौनियों पर लगाएं। इससे बरौनियों के बालों में वृद्धि होगी।
नेत्रों के इर्द-गिर्द की त्वच कोपोषण देने के लिए निम्न विधि प्रयोग में लाएं-
     लैनोलिन 1 बड़ा चम्मच
     बादाम का तेल 1/2 बड़ा चम्मच
     लैसीथियन का पाउडर 1 बड़ा चम्मच
     ठंडा पानी 2 छोटे चम्मच
     एक चैड़े साॅसपैन में लैनोलिन डालकर पिघलाकर उसमें बादाम का तेल मिलाकर आंच पर से हटा लें। अब इसमें लैसीथिन का पाउडर तथा ठण्डा पानी मिलाकर इसे अच्छी तरह घोल लें। नेत्रों की देखभाल के लिए यह सर्वोत्तम क्रीम है। नेत्रों के आस-पास की त्वचा के लिए बादाम का तेल सबसे उत्तम है। लैनोलिन से त्वचा में नमी रहती है। लैसींथिन त्वच को आवश्यक प्रोटीन प्रदान करता है तथा क्रीम में प्रिजरवेटिव का काम करता है और क्रीम को खराब होने से बचाता है।