नोटबंदी का इकोनॉमी पर असर, क्या खत्म होगा काला धन!
8 नवंबर को 500 और 1000 के नोट खत्म करने का एलान सही था या नहीं, देशभर में ये सबसे बड़ी बहस चल रही है। इस बहस में बैंकों के सामने लंबी कतारों में खड़ा हर आदमी लगा है, अपने ड्राविंग रूम में ऑनलाइन शॉपिंग करने वाला हर इंसान जुड़ा है और हां हर पार्टी के नेता भी बहस में लग गए हैं। लेकिन इस सारे शोर शराबे में असली मुद्दे कहीं गुम हो रहे हैं।
असली सवाल है कि नोटबंदी का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। इसका मकसद है एक ही झटके में काले धन को बेकार कर देना। लेकिन क्या इससे काला धन रुकेगा या कम से कम धीरे पैदा होगा। ग्रोथ, जीडीपी, कारोबार, डिमांड, खपत पर क्या असर पड़ने जा रहा है। आवाज़ अड्डा में हम इन बड़े मुद्दो को उठाएंगे आर्थिक मामलों के जानकारों के साथ। समझने की कोशिश करेंगे कि क्या है नोटबंदी का असली असर और क्या जिस उद्देश्य से ये कवायद शुरू हुई, वो पूरी होती नजर आ रही है या नहीं।
कहा जा रहा है कि नोटबंदी से ब्लैक मनी बाहर निकलेगी और जाली नोट एक झटके में खत्म हो जाएगी। बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ेगी और सरकार की टैक्स वसूली बढ़ेगी। बैंकों में नकदी बढ़ने से ब्याज दरों में कमी आएगी। टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ेगी और कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि नोटबंदी के खिलाफ तर्क ये भी दिए जा रहे हैं कि इससे काला धन पैदा होने के रास्ते बंद नहीं होते हैं क्योंकि काले धन का बहुत कम हिस्सा कैश में होता है। 86 फीसदी करेंसी अचानक चलन से बाहर होने से नकदी की किल्लत पैदा हो जाएगी। करेंसी गायब होने से कैश में चलने वाला कारोबार ठप होगा। नकद लेनदेन पर 80 फीसदी निर्भर ग्रामीण इलाकों में हालत खस्ता हो सकती है। सरकार ने आधी-अधूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का फैसला किया है। यही नहीं बैंकिंग सिस्टम हालात संभालने में नाकाम रहा है। नए नोट की जमाखोरी बढ़ रही है क्योंकि लोग पैसे खर्च करने से बच रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक जीडीपी के 12 फीसदी के बराबर नोट चलन में हैं, और 28 अक्टूबर तक 17.77 लाख करोड़ रुपये के नोट चलने में थे। कुल करेंसी का 86 फीसदी 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट चलन में थे। गौरतलब है कि देश में ब्लैक मनी का सटीक आंकड़ा नहीं है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक जीडीपी का 20 फीसदी ब्लैक इकोनॉमी है। 10 साल में 4027 अरब डॉलर काला धन पैदा हुआ है।
जानकारों का कहना है कि नोटबंदी और कारगर बनाने के लिए बेनामी ट्रांजैक्शन बिल, रियल एस्टेट बिल, जीएसटी, बैंक खातों में सीधे सब्सिडी, आधार नंबर के आधार पर पेमेंट, चुनावी फंडिंग नियमों में बदलाव, घूसखोरी और टैक्स रेट कम करने जैसे रिफॉर्म की ओर कदम उठाने होंगे।
इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी से जीडीपी ग्रोथ घट सकती है। भारत से सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी का दर्जा छिन सकता है। मनी सप्लाई घटने और बैंक डिपॉजिट बढ़ने से मांग घटेगी। रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन और गोल्ड कारोबार पर बुरा असर दिख सकता है। छोटे कारोबारियों, किसानों और घरेलू उद्योगों पर ज्यादा असर पड़ेगा। कारों की बिक्री में कमी आ सकती है। फैशन रिटेल, कंज्यूमर गुड्स और ज्वेलरी बिक्री घट सकती है।
इस बीच, नोटबंदी के बाद बैंकों में कैश डिपॉजिट बढ़ा है। 14 नवंबर तक बैंकों में करीब 4 लाख करोड़ रुपये जमा हुए हैं और 22464 करोड़ रुपये के नोट बदले गए हैं। ग्राहकों ने बैंक से 48718 करोड़ रुपये निकाले हैं। 30 दिसंबर 2016 तक 10 लाख करोड़ रुपये जमा होने की उम्मीद है।
नोट बंदी का असर इकोनॉमी पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रूपए के नोट बंद दिए है, इस निर्णय को लगभग एक सप्ताह गुजर गया है। इसके बाद से कैश बदलने में लॉजिस्टिक सिस्टम धराशायी हो गया, जिसके चलते सरकार को एटीएम, कैश विद्ड्रॉल लिमिट और पुराने नोटों के उपयोग की समयसीमा बढ़ानी पड़ी। नोट बंद होने का सीधा असर इकोनॉमी में डिमांड पर पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा असर उत्पादन और खासतौर से इनफॉर्मल सेक्टर पर दिखने वाला है और उसकी भरपाई की संभावना भी न के बराबर है।
देश की 80 फीसदी आबादी को रोजगार मुहैया कराने वाले इस सेक्टर की जीडीपी में 45 फीसदी हिस्सेदारी है जो इस नकदी संकट का सबसे बड़ा खामियाजा भुगतने जा रहा है।
देश में लगभग 17 लाख करोड़ रूपए की करेंसी में 500 और 1000 रूपए के नोट की हिस्सेदारी 86 फीसदी है। बाकी करेंसी की हिस्सेदारी मात्र 14 फीसदी है। इस करेंसी के बंद होने का ब्लैक मनी पर कितना असर पड़ेगा, यह तो 31 मार्च 2017 के बाद ही पता चलेगा जब इसे बदलने की समयसीमा समाप्त हो जाएगी। कुछ लोगों का दावा है कि इससे भारतीय रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट सुधरेगी और जो लाभ होगा उसे सरकार को स्पेशल डिविडेंड के रूप में दे सकता है जिससे राजकोष की स्थिति ठीक होगी।
अर्थशास्त्री प्रणब सेन के अनुसार, नोट बंद करने के इस निर्णय का सबसे अधिक असर इनफॉर्मल सेक्टर पर पड़ेगा। सरकार के इस कदम से इसका सेक्टर का पूरा ढह जाने की आशंका है।
इन क्षेत्रों पर पड़ा सकारात्मक प्रभाव
- पेमेंट गेटवेज
- काड्र्स
- मोबाइल वॉयलेट
- ऑनलाइन रिटेल
- नेट और भुगतान करने वाले बैंक
- ई-मार्केटप्लेस
इन क्षेत्रों पर पड़ा नकारात्मक प्रभाव
- कृषि
- लक्जरी चीजें
- रियल इस्टेट
- कमोडिटीज
- ट्रेडिशनल रिटेल के तहत छोटी खरीदारी पर सीमित समय के लिए
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