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क्या PNB का है पाकिस्तानी कनेक्शन? जवाहर लाल नेहरू-महात्मा गांधी का भी था इसमें खाता
क्या PNB का है पाकिस्तानी कनेक्शन? जवाहर लाल नेहरू-महात्मा गांधी का भी था इसमें खाता
खास बातें
- देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले से PNB की छवि खराब हुई
- बैंक को स्वदेशी आंदोलन के तहत स्थापित किया गया था
- PNB की शुरुआत पाकिस्तान के लाहौर शहर में हुई थी
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले से जूझ रहे पंजाब नेशनल बैंक की छवि आज भले धूमिल हुई हो लेकिन इस बैंक का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है. इसकी शुरुआत आज के पाकिस्तान के लाहौर शहर में हुई थी. बैंक को राष्ट्रीय सम्मान के तौर पर स्वदेशी आंदोलन के तहत स्थापित किया गया. इसे शुरू कराने में लाला लाजपत राय जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के बड़े नेता के प्रयास रहे हैं. आज के दौर में यह बैंक एक मल्टीनेशनल बैंक है, इसकी दुनियाभर में शाखाएं हैं. हजारों कर्मचारी हैं. 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बैंक की संपत्ति है.
बंटवारे के बाद अगर पीएनबी बैंक भारत के हिस्से में नहीं आता तो आज यह पाकिस्तानी बैंक होता. साथ ही महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के अकाउंट भी पाकिस्तान में होते. यह वही बैंक है, जिसमें चर्चित जलियावाला बाग कांड समिति का अकाउंट था. आज भारत के करीब-करीब हर जिले में अपनी पैठ बना चुके इस बैंक ने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद लाहौर से नई दिल्ली शिफ्ट किया गया. भारत का आज वह दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक और एसेट (संपत्ति) के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा बैंक है.
लाहौर के अनारकली बाजार में शुरू हुआ PNB
भारत का पंजाब नेशनल बैंक पिछले दो महीने से काफी चर्चा में रहा है. नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को दिए गए लोन और उसके बाद घोटाले के बाद खुलती परत दर परत ने बैंकिंग सिस्टम को हिला कर रख दिया. इस बैंक का पंजीकरण भारतीय कंपनी कानून के तहत 19 मई 1894 को लाहौर के अनारकली बाजार में हुआ था. 1947 में भारत विभाजन के बाद पीएनबी को लाहौर से अलविदा कहना पड़ा.
92 ऑफिस करने पड़े थे बंद
भारत-पाक बंटवारे के बाद पीएनबी को पश्चिमी पाकिस्तान में 92 दफ्तरों को बंद करना पड़ा जिसमें 40 फीसदी जमा राशि मौजूद थी. हालांकि, पीएनबी ने पहले से ही सोच लिया था कि वह लाहौर छोड़ भारत में रजिस्ट्रेशन कराएगा. उसे 20 जून 1947 को लाहौर हाई कोर्ट से मंजूरी मिल गई और उसने अपना नया मुख्यालय नई दिल्ली में बनाया.
पीएनबी को शुरू करने वालों में स्वदेशी आंदोलन के कई बड़े नेताओं का योगदान रहा. पीएनबी शुरू करने का सबसे पहला विचार राय मूल राज को आया था. इसमें दयाल सिंह मजीठिया और लाला कृष्ण लाल जैसे नेता शामिल थे. पीएनबी से लाला लाजपत राय सक्रिय रूप से जुड़े रहे. पीएनबी की वेबसाइट के अनुसार, लाला लाजपत राय को ही बैंक का फाउंडर (संस्थापक) माना गया है. पीएनबी ने 12 अप्रैल 1895 को लाहौर में कारोबार करना शुरू किया.
पीएनबी में अकाउंट खोलने वाले लाला लाजपत राय पहले व्यक्ति थे. लाहौर के अनारकली बाजार स्थित बैंक ब्रांच में उन्होंने अकाउंट खोला था. उनके छोटे भाई ने बतौर मैनेजर बैंक ज्वाइन किया. बैंक की कुल ऑथराइज्ड कैपिटल 2 लाख रुपए और वर्किंग कैपिटल 20,000 रुपए थी. उस वक्त बैंक में कुल 9 स्टाफ थे और कुल मंथली सैलरी 320 रुपए थी.
ऑपरेशन शुरू होने के बाद पीएनबी ने 1900 में पहली बार लाहौर के बाहर कदम रखा. पीएनबी ने रावलपिंडी, कराची और पेशावर में अपनी शाखाएं खोलीं. पीएनबी ने अपना ऑपरेशन शुरू होने के केवल 7 माह के बाद ही 4 फीसदी का डिविडेंड दिया था.
देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक
भारत सरकार के स्वामित्व वाले पीएनबी की 31 मार्च 2017 तक देश में 6,937 ब्रांच थीं. देश में पीएनबी के 10681 एटीएम और 8033 बैंकिंग कॉरेस्पांडेंड हैं. दूसरी ओर, भारत के बाहर पीएनबी 9 देशों में मौजूद है. इसमें तीन ब्रांचेज (दो हांगकांग और एक डीआईएफसी, दुबई में), तीन रिप्रजेंटेटिव आफिस (शंघाई, दुबई और सिडनी) और तीन सब्सिडियरीज (लंदन, कजाकिस्तान और भूटान) शामिल हैं. इसके अलावा, नेपाल में एक पीएनबी का ज्वाइंट वेंचर बैंक है.
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Published: Apr 8, 2018, 01:55 PM IST | Updated: Apr 8, 2018, 01:55 PM IST
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