भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है?
Why Lord Shiva Is Called As Neelakantha
भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है? उनका वर्णन इस प्रकार किया जाता है कि वे एक ऐसे देवता हैं जिनकी तीन आँखें, सिर पर चंद्रमा, गले में सांप है तथा शुद्ध गंगा उनके बालों में है, हाथों में त्रिशूल है तथा वे अपने प्रिय वाहन नंदी की सवारी करते हैं। भगवान शिव देवों के देव हैं जो केवल एक धारणा है। उनका कोई आकार या रूप नहीं है। वे ब्रह्मांड से परे, आकाश से ऊंचे तथा सागर से गहरे हैं। नीलकंठ शिव के पीछे यह कहानी है कि वे हमेशा ही मानव जाति के रक्षक तथा बुरी शक्तियों और असुरों के विध्वंसक रहे हैं। यही कारण है कि उन्हें नीलकंठ (नीले गले वाला) कहा जाता है।
क्या आपने कभी भगवान शिव के नामों की गिनती की है? आप नहीं गिन सकते। आप यह जानकार आश्चर्यचकित हो जायेंगे कि शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है और उनके बारे में क्या विशिष्ट है। शिव के अनेक नाम हैं तथा हम उन्हें अनेक नामों से बुलाते हैं और प्रत्येक नाम के साथ कुछ रोचक और ज्ञानवर्धक बातें जुडी हुई हैं। उसी प्रकार उनका नाम नीलकंठ है जो एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नीले गले वाला। इसके पीछे एक महान कहानी है। मेरे दोस्तों आज मैं आपको नीलकंठ शिव की कहानी सुनाऊंगा। यदि आप इसे पहली बार सुन रहे हैं तो यह मेरी खुशनसीबी है।
पुराणों के अनुसार (पौराणिक कथाओं के अनुसार) बहुत बहुत वर्ष पहले क्षीरसागर (दूध के समुद्र) के मंथन (समुद्र को मथने की क्रिया) के समय कई महत्वपूर्ण लाभदायक वस्तुएं जैसे कल्पवृक्ष, कामधेनु (इच्छा पूर्ण करने वाली गाय) आदि निकल कर आयी तथा इन्हें देवों और राक्षसों के बीच बांटा गया। इन सब में अमृत भी था जिसे देव चतुराई से स्वर्ग में लाने में सफल हो गए परन्तु जो बुरी वस्तु निकली वह थी विष। यह इतना अधिक शक्तिशाली था कि इसकी एक बूँद से संपूर्ण ब्रह्मांड का नाश हो सकता था। इसके कारण देवताओं और राक्षसों में खलबली मच गयी। इससे सभी डर गए तथा इसके हल की खोज ने उन्हें महादेव शिव तक पहुंचा दिया।
और जैसा हम जानते हैं कि नीलकंठ भगवान शिव बहुत दयालु और बड़े हृदय वाले हैं। उन्होंने इस विष के लिए एक उपाय निकाला। उन्होंने विष का पूरा घड़ा पी लिया। परंतु रुकिये!! उन्होंने इसे निगला नहीं। उन्होंने उसे गले में ही पकड़कर रखा जिसके कारण उनका गला नीला पड़ गया।
और यही कारण था कि उनका नाम नीलकंठ शिव पड़ा। नीलकंठ शिव की कहानियों से हमें हमेशा कुछ न कुछ सीखने मिलता है। इन सभी कहानियों पर हम भारतीय त्योहार मनाते हैं। ये त्योहार सकारात्मकता और आध्यात्मिकता का धन्यवाद करने के उद्देश्य से मनाये जाते हैं।
इस समुद्र मंथन घटना की याद में तथा मानव जाति को घातक विनाश से बचाने के लिए भगवान शिव को धन्यवाद देने के लिए हम प्रतिवर्ष फाल्गुन महीने की कृष्ण चतुर्दशी (फरवरी/मार्च) को शिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं।
जी हाँ! शिवरात्रि इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। परन्तु पहले बताया हुआ कारण भी सत्य है। इसी प्रकार हम जो भी त्योहार मनाते हैं उनके पीछे अनेक कहानियाँ हैं जो हम विभिन्न देवी देवताओं के अनुसार मनाते हैं। मैं इस बार पर जोर देता हूँ कि यदि आपको शिव नीलकंठ की इस कहानी को किसी के साथ बांटने का अवसर मिले तो अवश्य बाँटें। इससे उन लोगों के मन में भी सुरक्षा की भावना जागृत होगी तथा भगवान शिव के प्रति उनका विश्वास बढेगा।
Why Lord Shiva Is Called As Neelakantha
The god of gods, the lord Shiva is also known as Neelakanta. We'll tell you why Shiva is called as Neelakanta.