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इंडियन मार्केट में NRI को जल्द मिलेगा FPI का दर्जा | Nri will soon get FPI status in indian market


Foreign portfolio investment

इससे बाजार में NRI की भागीदारी बढ़ेगी क्योंकि इससे लिस्टेड कंपनियों में इनवेस्टमेंट लिमिट काफी बढ़ जाएगी..[…]

प्रवासी भारतीय (NRI) जल्द फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) के तौर पर इंडियन मार्केट में निवेश कर सकेंगे। कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी इनके लिए FPI में निवेशकों का तीसरा वर्ग बनाने की योजना पर काम रहा है। ईटी को यह बात मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताई है। सेबी के इस कदम से भारतीय पूंजी बाजार में NRI की भागीदारी बढ़ेगी क्योंकि इससे लिस्टेड कंपनियों की इनवेस्टमेंट लिमिट काफी बढ़ जाएगी। NRI इंडियन मार्केट में ज्यादा आसानी से ट्रेड कर पाएंगे क्योंकि उन्हें कस्टोडियन बैंकों के जरिए निवेश करने की सुविधा मिलेगी। यह सब FY2020 के अंतरिम बजट में हुई घोषणा के मुताबिक मौजूदा NRI रूट को FPI में मिलाने की केंद्र सरकार की योजना का हिस्सा है।

फिलहाल NRI रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रेगुलेशन वाले पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट स्कीम (PIS) रूट से इंडिया में निवेश कर पाते हैं। नई व्यवस्था में NRI के मार्केट इनवेस्टमेंट सेबी के नियमों से रेगुलेट होने लगेंगे। सेबी ने इन रूट्स को मिलाने का ऐलान सितंबर 2018 में ही कर लिया था, लेकिन RBI की तरफ से आपत्ति जताए जाने के बाद उस पर अमल नहीं किया जा सका। इस बारे में सेबी और RBI से संपर्क किया गया लेकिन उनसे जवाब खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पाया था। एक सूत्र ने कहा, 'दिसंबर में सेबी और RBI सहित कई रेगुलेटर्स की मीटिंग हुई थी और वहां इस मसले पर चर्चा हुई थी। प्रस्तावों पर सभी संबंधित पक्ष राजी हैं और इसके फ्रेमवर्क को जल्द अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।'

NRI को लिस्टेड कंपनियों में सिर्फ 5% तक निवेश करने की इजाजत है लेकिन FPI से NRI रूट को मिलाए जाने पर प्रवासी भारतीय कंपनियों में FPI के लिए तय मैक्सिमम लिमिट तक निवेश कर सकेंगे, जो ज्यादातर कंपनियों में 100% है। मार्केट रेगुलेटर कंप्लायंस और कॉस्ट के मामले में NRI को ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मुहैया कराने की भी योजना बना रहा है। सेबी FPI के तौर पर NRI के रजिस्टर होने के लिए तय 2,000-3,000 डॉलर की फीस माफ करने की योजना बना रहा है। मामले के जानकार दूसरे सूत्र ने कहा, 'फीस माफी जरूरी होगी क्योंकि FPI के उलट NRI इंडिविजुअल इनवेस्टर्स होते हैं और उनसे भारीभरकम लाइसेंस फीस लेना सही नहीं रहेगा। सेबी कंप्लायंस के मोर्चे पर NRI की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए उन्हें और राहत दिलाना चाहता है।'

इस कदम से NRI के भारी भरकम निवेश वाले फंड्स के लिए इंडियन मार्केट का दरवाजा खुल जाएगा। मौजूदा रूल्स के मुताबिक FPI में मेजोरिटी स्टेक या कंट्रोल NRI का नहीं हो सकता। इसलिए अभी NRI किसी भी FPI में 49% से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकते। सिंगापुर के एक हेज फंड मैनेजर ने कहा कि अगर NRI को FPI के तौर पर इंडियन मार्केट में कारोबार करने की इजाजत मिलती है तो ये पाबंदियां उन पर लागू नहीं होंगी।

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