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भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रवासी अहम भागीदार


भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रवासी अहम भागीदार

जब विमुद्रीकरण के बाद देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार के सुस्त होने की आशंका जताई जा रही है ठीक उसी समय पुडुचेरी में प्रवासी भारतीयों का सम्मेलन होना उम्मीद जगाती है। इस सम्मेलन का मकसद ही देश से बाहर बसे भारतीयों को अपनी मिट्टी से जोड़ना है और उन्हें भारत की विकास यात्रा में भागीदार बनाना है। देश के विकास में प्रवासियों ने अब तक बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में 69 अरब डॉलर का योगदान दिया है।

दुनिया के 48 देशों में करीब दो करोड़ भारतीय प्रवासी के रूप में रह रहे हैं। इनमें से 11 देशों में 5 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय वहां की औसत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहां की आर्थिक व राजनीतिक दशा व दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहां उनकी आर्थिक, शैक्षणिक व व्यावसायिक दक्षता का आधार काफी मजबूत है। प्रवासी विभिन्न देशों में अलग-अलग भाषा बोलते हैं । प्रवािसयों की ताकत को भारत सरकार ने 2002 में पहचाना था।

डा. लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी ने प्रवासी भारतीयों पर 18 अगस्त 2000 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस मनाना शुरू किया। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने नौ जनवरी को प्रवासी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया। यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1915 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे थे। 2003 से नौ जनवरी को हर साल प्रवासी दिवस मनाया जाता है।

प्रवासी सम्मेलन का लक्ष्य अप्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही उनकी देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना है। साथ ही भारतवासियों को अप्रवासी बंधुओं की उपलब्धियों के बारे में बताना तथा अप्रवासियों को देशवासियों की उनसे अपेक्षाओं से अवगत कराना और विश्व के 110 देशों में अप्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बनाना भी इसका ध्येय है। इस बार बेंगलुरु में 14वां प्रवासी सम्मेलन हो रहा है।

इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल को छू लेने वाली बात कही कि उनकी सरकार पासपोर्ट का रंग नहीं बल्कि खून से लिखे रिश्तों को देखते हैं। उन्होंने प्रवासियों के योगदान को सराहा। कहा कि 30 लाख भारतीय प्रवासियों की ताकत सिर्फ उनका संख्याबल नहीं है, बल्कि भारत और जिस देश वे रह रहे हैं उसके प्रति उनका सम्मान भी है। पीएम ने प्रवासियों को भरोसा दिलाया कि हम प्रतिभा पलायन को प्रतिभा वापसी में बदलना चाहते हैं। मोदी जब िजस भी देश की यात्रा पर जाते हैं वहां प्रवासी भारतीयों से सीधा संवाद करते हैं।

यह तरीका काफी अच्छा साबित हो रहा है। प्रवासी सीधे अपनी मातृभूमि से कनेक्ट कर पा रहे हैं। पीएम हर प्रवासियों से लगातार अपील भी करते रहे हैं कि वे कम से कम चार विदेशियों को भारत भेजें। इससे जहां भारत के पर्यटन को लाभ होगा वहीं भारत की खूबियों का विस्तार भी होगा। प्रवासियों को प्रोत्सािहत करने के लिए भारत सरकार प्रतिवर्ष प्रवासी भारतीय सम्मान भी देती है। यह पुरस्कार प्रवासी भारतीयों को उनके अपने क्षेत्र में किए गए असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है।

पीएम ने कहा है कि उनकी सरकार जल्द प्रवासी कौशल विकास योजना शुरू करेगी। यह योजना उन भारतीय युवाओं के लिए होगी जो विदेशों में काम करना चाहते हैं। हम बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में विदेश जाने वाले कामगारों के लिए अधिकतम सुविधा और न्यूनतम असुविधा सुनिश्चित करना चाहते हैं। एफडीआई का मतलब सिर्फ फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट ही नहीं बल्कि फर्स्ट डेवलप इंडिया भी है। प्रवासी विदेश मुद्रा अर्जन का भी बड़ा स्रोत है। निश्चित ही इस सम्मेलन से भारतीय अर्थव्यवस्था को दूरगामी लाभ मिलेगा।

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