दशहरा पर्व - (Dussehra Festival)
आश्चिन मास का शुक्ल पक्ष अपने साथ शुभ नवरात्रे लेकर आता है. उपवास के समाप्त होते ही दशमी तिथि में दशहरा पूरे भारत वर्ष में बडी धूमधाम से मनाया जाता है. वर्ष 2015 में दशहरा पर्व 22 अक्तुबर के दिन मनाया जायेगा. दशहरे की प्रतिक्षा बच्चे, बूढे और बडे सभी बडी बेसब्री से कर रहे होते है.
दशहरे को विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है. दशहरे के पर्व पर बच्चों को दशहरे मेले से मनपसन्द खिलौने मिलते है. वहीं बडों के लिये यह धार्मिक महत्व रखता है. दशहरा पर्व असत्य पर सत्य की विजय का दिन है.
दशहरा पर्व मौसम में बदलाव का पर्व है. विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति ओर शरद के प्रारम्भ का सूचक है. यह दिन विजय यात्राओं व व्यापार का प्रारम्भ करने के लिये शुभ रहता है. दशहरा अपना दोहरा महत्व रखता है. इस दिन रावण वध और दुर्गा पूजन दोनों पर्व एक साथ मनाये जाते है.
दशहरा अबूझ मुहुर्त (Dussehra, an unknowable Muhurt)
दशहरे के दिन को साल के तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में शामिल किया जाता है. दशहरे के अलावा अन्य दो शुभ तिथियां चैत्र शुक्ल व कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा भी अन्य वर्ष की शुभ तिथियों में आती है. इस तिथि को सभी कार्यो के लिये शुभ माना जाता है. इस दिन में मुहूर्त के अन्य नियम नहीं लगाने पडते है. इसी लिये इस दिन को नया कार्य प्रारम्भ करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा इस दिन खरीदारी करना शुभ होता है.
खरीदारी में इस इन सोने, चांदी और वाहन की खरीदारी करना शुभ होता है. दशहरे के दिन पूरे दिन में भी मुहूर्त होते है. इसलिये इस दिन सभी बडे कार्य सरलता से किये जा सकते है. संक्षेप में कहें तो यह ऎसा मुहूर्त वाला दिन है. जिस दिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी नये कार्य की शुरुआत की जा सकती है.
रामलीलाओं के समापन का दिन (Conclusion of Ramlila)
आश्चिन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही पूरे भारत के कोने कोने में रामलीलाओं का आयोजन किया जात है. इन लीलाओं में श्री राम की जीवन लीला नाट्य ढंग से दिखाई जाती है. इन रामलीलाओं का समापन दशहरे के दिन रावण के संहार के रुप में होता है.
दशहरे के दिन देश के अलग अलग जगहों पर रावण, कुम्भकरण तथा मेघनाथ के बडे बडे पुतले लगाये जाते है. सायंकाल में जिनका दहन किया जाता है. इस घटना को देखने के लिये हर आयु के व्यक्ति दशहरा दहन देखने जाते है. रावण पर राम की विजय हमें यह शिक्षा देती है कि, सदैव अन्याय के खिलाफ लडना चाहिए.
शस्त्रों की पूजा और वाहन पूजा का दिन (Auspicious day for Vehicles and Weapons)
इस दिन व्यक्ति अपने पूर्वजों से चले आ रहे शस्त्रों की पूजा करता है. साधना और सिद्धियों के लिये भी इस दिन का प्रयोग क्या जाता है. वाहनों का पूजन करना भी शुभ होता है. नये वस्त्र आभूषण धारण किये जाते है. दशहरे के दिन युवाओं व बच्चों का प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी करना शुभ रहता है.
दशहरे पर वृक्ष पूजन (Tree Worship on Dussehra)
दशहरे के दिन शमी के पेड की पूजा करना विशेष रुप से शुभ रहता है. इसलिये इस दिन को पेडों के पूजन का दिन भी कहा जाता है. इस दिन पेडों का पूजन करने के पीछे एक पौराणिक कारण है. कहा जाता है कि महाभारत के अनुसार पांडु पुत्रों ने अज्ञात वास में छुपने से पहले इस दिन शमी के पेड में अपने अस्त्र शस्त्र छुपाये थे. इसके बाद ये एक पूरे वर्ष विराट देश में छुपकर रहे थे. इसके बाद उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति हुई.
दशहरे मेला सावधानियां (Precautions on Dussehra Celebation)
दशहरे आते ही सभी के मन में उत्साह भाव देखने योग्य होता है. परिवार के साथ घर से बाहर निकलते समय और तरह-तरह से सजी हुई खाद्ध सामग्रियों को देख, मुंह में पानी लाने से पहले एक बार अपने स्वास्थ्य के बारे में सोच लेना चाहिए. खुशी के पर्व में कोई परेशानी खडी हो जायें, घर से बाहर जाकर जो कुछ भी खायें, वह साफ सुथरा हो, इस बात का विशेष ध्यान रखें. खान - पान में सावधानी बरतना हितकारी रहेगा.
दशहरा दहन के वातावरण में धूल और धूआं ब्लडप्रशर संबन्धी परेशानियां दे सकता है. साथ ही यह एलर्जी की शिकायत भी पैदा करता है. इसके अतिरिक्त भीड में बच्चों का साथ न छोडे. दशहरा दहन को देखने के लिये करीब जाने से बचें, और अपने पर्स आदि का ध्यान रखना भी चोरी की घटनाओं में कमी करता है.