आरती श्री गणेश जी की- Ganesh ji ki Aarti
आरती श्री गणेश जी की- Ganesh ji ki Aarti
देवों में सर्वप्रथम पूजने का विधान देवों के देव महादेव शिव के पुत्र गणेश जी का है. गणेश जी को विघ्न विनाशक और बुद्धिदाता कहा जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि श्री गणेश बुद्धि से सफलता देने वाले और विघ्नों को दूर करने वाले माने जाते हैं. हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं. गणेश जी के कई नाम हैं लेकिन हर नाम के साथ आस्था और भक्ति की अपनी ही कहानी है. गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग-अलग अवतार लिया.
भगवान शिव और माता पार्वती के प्रिय पुत्र गणेश की महिमा भी अपरंपार है.
गणेश जी की भक्ति और पूजा करने से इंसान को सभी सुखों की प्राप्ति होती है. चतुर्थी के दिन गणेश पूजन का विशेष फल प्राप्त होता है. गणेश जी को मोदक बहुत ही प्रिय होते हैं. बुद्धवार का दिन श्री गणेश की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. पूरी श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी की पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं.
|| श्री गणेश जी की आरती ||
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
|| Ganesh ji ki Aarti ||
JAI GANESH JAI GANESH JAI GANESH DEVA
MATA JAKII PARVATII, PITAA MAHAADEVA
EKA DANTA DAYAVANTA, CAAR BHUJA DHAARII
MATHE SINDUURA SOHAI, MUUSE KII SAVARI
JAI GANESH…
ANDHANA KO AANKHA DETA
KORHINA KO KAAYAA
BANJHANA KO PUTRA DETA
NIRDHANA KO MAAYA
JAI GANESH…
PAANA CARHE, PHUULA CARHE
AURA CARHE MEVA
LADDUAN KO BHOGA LAGE
SANT KAREN SEVA
JAI GANESHA…