वृंदावन में है राधा-कृष्ण का प्रेम मंदिर, अलौकिक रोशनी में दिखती है रासलीला
जन्माष्टमी। इस अवसर पर हम आपको वृंदावन के प्रेम मंदिर के बारे में बता रहे हैं। यहां जन्माष्टमी के समय विशेष लेजर लाइट की अलौकिक सजावट होती है, जिसे देखने देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं।
मथुरा/आगरा. वृंदावन में श्रीकृष्ण का आधुनिक प्रेम मंदिर बना हुआ है। इसका नजारा इतना अद्भुत है कि इसे देखकर कोई भी राधे-राधे कहे बिना नहीं रह सकता। इसकी अलौकिक छटा भक्तों का मन मोह लेती है। इसमें भक्त वैसे ही खींचे चले आते हैं, जैसे कृष्ण अपनी लीलाओं से सबका मन मोह लिया करते थे। यहां की दीवारों पर हर तरफ राधा-कृष्ण की रासलीला वर्णित है।
प्रेम मंदिर में श्रीकृष्ण और राधारानी की भव्य मूर्तियां है। इसे कृपालुजी महाराज ने बनवाया था। जन्माष्टमी के मौके पर इसकी छठा देखते ही बनती है। मंदिर की देखरेख में लगे शंकर के मुताबिक, बाहर से देखने में यह जितना भव्य लगता है, उतना ही अंदर से भी देखने में लगता है। यह मंदिर सफेद इटालियन संगमरमर से बनाया गया है। इसमें प्राचीन भारतीय शिल्पकला की झलक भी देखी जा सकती है।
54 एकड़ में फैला है मंदिर
वहीं, मंदिर की देखभाल में लगे नंदगोपाल बताते हैं कि यह मंदिर मथुरा जिले का आधुनिक और भव्य मंदिर है। वृंदावन में 54 एकड़ में बना यह प्रेम मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लंबा और 115 फुट चौड़ा है। यहां खूबसूरत बगीचे लगाए गए हैं। फव्वारे, श्रीकृष्ण और राधा की मनोहर झांकियां, श्रीगोवर्धन धारणलीला, कालिया नाग दमनलीला, झूलन लीलाएं बेहतर तरीके से दिखाई गई हैं।
94 कलामंडित स्तंभ
नंदगोपाल के मुताबिक, पूरे मंदिर में 94 कलामंडित स्तंभ हैं। इसमें किंकिरी और मंजरी सखियों के विग्रह दर्शाए गए हैं। गर्भगृह के अंदर और बाहर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प का नमूना दिखाते हुए नक्काशी की गई है। यहां संगमरमर की चिकनी स्लेटों पर 'राधा गोविंद गीत' के सरल दोहे लिखे गए हैं। इन्हें भक्त आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं।
जगतगुरु कृपालुजी महाराज ने की थी इसे बनाने की घोषणा
इस प्रेममंदिर को बनाने की घोषणा जगतगुरु कृपालुजी महाराज ने साल 2001 में की थी। इसके 11 साल बाद करीब 1000 मजदूरों ने अपनी कला का बेजोड़ नमूना पेश करते हुए 2012 में इसे तैयार कर दिया था। श्रद्धालु कहते हैं कि जन्माष्टमी का उत्सव देखने के लिए मथुरा आना जरूरी हो जाता है। पहले इतना सुंदर दृश्य किसी मंदिर में नहीं देखा।
लीला देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं लोग
एक और श्रद्धालु का कहना है कि प्रेम मंदिर अद्भुत है। जिस तरह कृष्ण अपनी लीलाओं से सबका मन मोहते थे, वैसे ही मंदिर की रोशनी सबका मन मोह लेती है। बेंगलुरु से आई कृष्ण भक्त पूजा कहती हैं कि उन्होंने पहले इस मंदिर के बारे सुना था, लेकिन यहां आने के बाद इसकी खासियत पता चली? ऐसा लगता है जैसे वह स्वर्ग में पहुंच गई हैं।