सप्ताह में इतनी बार सेक्स करना जरूरी है
सेक्स युगल को करीब लेकर आता है और साथ ही इससे आपसी प्यार में भी बढ़ोतरी होती। पति-पत्नी से लेकर प्रेमी-प्रेमिका दोनों ही हमेशा इस पशोपेश में पड़े रहते हैं कि कितनी बार यौन संबंध
सेक्स एक ऐसी चीज जिससे पार्टनर एक दूसरे के और करीब आते हैं। चाहे वो पति-पत्नी हों या गर्लफ्रेंड-ब्वायफ्रेंड सब चाहते हैं दोनों एक दूसरे को खुश रखें। अब सवाल उठता है कितने बार सेक्स करना पर्याप्त होता है।
सेक्स युगल को करीब लेकर आता है और साथ ही इससे आपसी प्यार में भी बढ़ोतरी होती। पति-पत्नी से लेकर प्रेमी-प्रेमिका दोनों ही हमेशा इस पशोपेश में पड़े रहते हैं कि कितनी बार यौन संबंध बनाने से वे खुश रहेंगे। कई जोड़े मानते हैं कि रोजाना सेक्स करने से उनके बीच खुशियां बढ़ेंगी। लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है।
हाल ही में अमेरिका के कुछ शोधकर्ताओं ने सेक्स से संबंधित एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में सामने आया है कि जो युगल सप्ताह में एक बार यौन संबंध बनाते हैं, वे रोजाना सेक्स करने वालों के मुकाबले ज्यादा खुश रहते हैं।
शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन तकरीबन चार दशकों(40 वर्ष) तक किया है तथा इसमें 30,000 लोगों की राय पूछी गई है। इसमें लोगों से जानकारी मांगी गई है कि वे हफ्ते में कितनी बार यौन संबंध बनाते हैं।
अध्ययन में पूरी तरह से इस बात को भी नकार दिया गया है कि यौन संबंध बनाने से ही सबसे अधिक खुशियां मिलती हैं। सर्वे के दौरान ज्यादातर युगल ने बताया है कि खुशी पाने के लिए सेक्स से ज्यादा जरूरी पार्टनर से कनेक्शन होना है। शोधकर्ता एमी म्यूज ने कहा कि पार्टनर को ये समझना चाहिए कि उनका साथी संतुष्ट है बजाए इसके कि वह ज्यादा से ज्यादा सेक्स करने पर जोर दें।
खुश रहने के लिए कितना सेक्स ज़रूरी?
क्या ज्यादा सेक्स आपको ज्यादा ख़ुशनुमा बनाता है? अच्छा सेक्स जीवन खुशनुमा ज़िन्दगी के लिए ज़रूरी है, लेकिन जितना हो सके उतना सेक्स करना शायद सही तरीका नहीं है, ऐसा एक हाल में हुए अध्यन से पता चलता है।
यह तो स्पष्ट है की सेक्स आपके लिए अच्छा है। रिसर्च ये सिद्ध कर चुकी है कि अक्सर सेक्स करने वाले लोग बेहतर महसूस करते हैं
लेकिन आखिर कितना सेक्स पर्याप्त है? आम सोच की माने तो सेक्स जितना अधिक उतना बेहतर, है ना? लेकिन शायद ये सही नहीं है। और इसी बारे में और जानकारी पाने के लिए डॉ एमी मूस के नेतृत्व में कनाडा के एक वैज्ञानिक दल ने एक अध्यन किया। उनका कहना था कि बहुत ज्यादा सेक्स कर सकना मुश्किल तो है ही, साथ ही ये खुद पर दबाव डालने जैसी बात है।
इसलिए इस दल ने लोगों के सेक्स करने के बीच के अंतराल के बारे में और उनके खुश होने या न होने के बारे में एक अध्यन किया। डॉ मूस और उनके दल ने सेक्स और उल्लास के इस तीन अलग-अलग अध्यन के लिए लगभग 30000 लोगों को शामिल किया।
कितना काफी?
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यदि आप किसी सम्बन्ध में हैं तो जितना ज्यादा सेक्स आप करेंगे उतना खुश रहेंगे और नतीजों ने इसकी पुष्टि भी की। लेकिन कितना ज्यादा सेक्स किया जाये, इसकी सीमा इसके खुशियों पर प्रभाव को निर्धारित करने में प्रबल योगदान देती है। हफ्ते में एक बार सेक्स सही तरकीब है! संख्या इससे अधिक बढ़ते ही सेक्स और खुशियों के बीच की कोई कड़ी नहीं रह पाती, रिसर्च से ज्ञात हुआ।
उन लोगों का क्या जो प्रेम सम्बन्ध में नहीं हैं? आश्चर्य की बात है कि जो लोग अकेले हैं उनके सेक्स की नियमितता और खुशियों के स्तर का आपस में कुछ सम्बन्ध नहीं है।
अंतरंगता
तो आखिर रिश्ते में रहते ही नियमित सेक्स का खुशियों से क्या सम्बन्ध है? एक कारण तो शायद ये है सप्ताह में एक बार सेक्स का रिश्ते में संतुष्टि से गहरा सम्बन्ध है। और यदि सम्बन्ध स्वस्थ हो तो जीवन खुशहाल बन सकता है, यह बात स्वाभाविक है। नियमित सेक्स दोनों साथियों के बीच अंतरंगता को बनाये रखता है।
और क्यूंकि अंतरंगता अचानक बिस्तर पर हुई हलचल से बढती नहीं, और अगली सुबह अचानक ख़त्म भी नहीं हो जाती, हफ्ते में एक बार से अधिक सेक्स करने का खुशनुमा जीवन पर शायद कोई खास असर नहीं डालता।
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