भूमि की विविध परीक्षाएं एवं खात परीक्षण | Land / plot and building test Vastu Tips for Choose Land.
भूमि की परीक्षा चार प्रकार से करने को कहा गया है। अमुक भूमि शुभ है, या अशुभ, इसकी परीक्षा करने के लिए, गृहकत्र्ता के हाथ से, गृह के मध्य से, एक हाथ चैड़ा और एक हाथ गहरा गड्ढ़ा खुदवायें। फिर उस गड्ढे को उसी मिट्टी से भरें। यदि गड्ढा भरने में मिट्टी कम हो जाए, तो अशुभ, ठीक-ठाक हो जाए तो सामान्य और गड्ढा भर कर मिट्टी ज्यादा हो, तो शुभ होता है।
भूमि परीक्षा को लेकर वास्तु शास्त्र में बहुत सी सामग्री दी गयी है और कहा गया है: ततो भूमि परीक्षेत वास्तुज्ञानविशारदः‘, यानी, वास्तु शास्त्र विद्या के ज्ञाता को सबसे पहले विभिन्न प्रकार से भूमि की परीक्षा करनी चाहिए।
यज्ञ कुंड-मंडप आदि निर्माण हेतु शुद्ध (सोम, बुध, गुरु या शुक्र) वारों में, रिक्तादि, निंदित तिथियों को छोड़कर, व्यतिपात आदि अशुभ योगरहित शुभ दिनों में, मंडप भूमि के परीक्षण हेतु पांच ब्राह्मणों को लेकर जाएं। यह भूमि यज्ञ योग्य है, या नहीं? इसकी परीक्षा करने हेतु उस भूमि पर कोई घास, तृण हो, तो उसे जला दें। तत्पश्चात् जानु मात्र भूमि खोदें और उस गड्ढे को जल से परिपूर्ण कर दें और पुण्याहवाचन करें। दूसरे दिन आ कर देखें। अगर जमीन फट जाए, उसे हड्डी वगैरह अशुभ वस्तु दिखें, तो यह भूमि हवन योग्य नहीं। यह यज्ञकत्र्ता के आयु तथा धन का नाश करेगी। गड्ढे वाली, कांटे वाली, दीमक वाली भूमि का तो दूर से ही त्याग कर देना चाहिए। नारायण भट्ट के अनुसार उपयुक्त एक हाथ गहरा, एक हाथ चैड़ा खड्डा, सूर्यास्त के समय खोद कर, जल से भरना चाहिए। प्रातः काल यदि उसमें जल बचा हुआ मिले, तो शुभ, जल नहीं रहे, तो मध्यम। यदि जमीन फट जाए, तो उसे अशुभ मानना चाहिए।