शौचालय संस्कृति का जोर | The emphasis of toilet culture by Vastu.
आजकल 'टॉयलेट' संस्कृति का प्रचलन बढ़ गया है। प्रत्येक व्यक्ति अपने घर के शौचालय (Toilet) पर ज्यादा से ज्यादा रुपया खर्च कर रहा है। किसी भी आधुनिक इमारत को देखें, तो उसमें सबसे सुंदर उस घर का शौचालय ही होगा।
इतना ही नहीं, आजकल घरों में शयन कक्ष से लगे शौचालय की पद्धति चल पड़ी है। जहां देखो शौचालय बनने लगे है। पर जहां तक हो सके शौचालय और स्नान घर एक साथ नहीं होने चाहिए। यह पद्धति भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं है। शौचालय संबंधी कुछ नियम इस प्रकार है:
- रसोई और शौचालय कभी भी आमने सामने नहीं होने चाहिए।
- शौचालय पश्चिम या दक्षिण में होना चाहिए।
- शौचालय और स्नानागार यदि, जगह की कमी के कारण, एक साथ हो, तो भूल कर भी इसे ईशान या पूर्व दिशा में न बनाएं।
- स्नानागार में खिड़की पूर्व की तरफ रखनी चाहिए।
- स्नान करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व की तरफ हो, तो बहुत उत्तम।
- शौचालय में बैठते समय मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए, ताकि गैस, कब्ज तथा मस्से की शिकायत न हो।
- दक्षिण और पश्चिम की तरफ मुंह करके बैठने से व्यक्ति अनेक प्रकार की बीमारियों से पीडि़त हो सकता है।
जहां तक हो सके, संयुक्त स्नान घर न बनाएं। बीच में दीवार खींच ले। शौचालय के दरवाजे पूर्व की ओर खुले हो। शौचालय में कमोड सदैव नैर्ऋत्य में होना चाहिए, अथवा दक्षिण में हो, तो उत्तम है। कमोड पर बैठते समय मुंह उत्तर, पूर्व, ईशान दिशाओं में हो, तो व्यक्ति को कब्ज, मस्सा और गैस की बीमारी नहीं होगी।
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