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5G in India: कैसे काम करेगी ये हाई-स्पीड नेटवर्क टेक्नोलॉजी? जानें हर बात
5G in India: कैसे काम करेगी ये हाई-स्पीड नेटवर्क टेक्नोलॉजी? जानें हर बात | 5G in India How this high speed network will work everything you should know
5G in India 5G नेटवर्क की खास बात ये है कि वर्तमान के 4G नेटवर्क के मुकाबले ये 10 गुना ज्यादा स्पीड से डाटा ट्रांसफर कर सकता है।
पिछले साल व्यावसायिक तौर पर 5G नेटवर्क को रोल आउट किया गया। इसे सबसे पहले दक्षिण कोरिया और अमेरिका में रोल आउट किया गया, इसके बाद ये चीन और कई यूरोपीयन देशों में व्यावसायिक तौर पर रोल आउट हुआ। 2020 यानि की ये साल, 5G नेटवर्क को मेनस्ट्रीम में लाने का है। भारत समेत कई और देशों में इस साल के अंत तक इस सर्विस को रोल आउट किया जा सकता है। 5G नेटवर्क की खास बात ये है कि वर्तमान के 4G नेटवर्क के मुकाबले ये 10 गुना ज्यादा स्पीड से डाटा ट्रांसफर कर सकता है। यानि की आपकी फेवरेट मूवी जिसे डाउनलोड होने में अभी 25 से 30 मिनट तक लगते हैं वो महज कुछ सेकेंड में ही डाउनलोड हो जाएंगे।
साथ ही, अल्ट्रा एचडी क्वालिटी की वीडियो कॉलिंग भी की जा सकेगी। यही नहीं, स्मार्ट डिवाइसेज में स्ट्रांग कनेक्टिविटी मिलेगी, जिसकी वजह से आपकी जिंदगी और भी तेज हो जाएगी। 5G यानि की पांचवी जेनरेशन की नेटवर्क टेक्नोलॉजी न सिर्फ बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, बल्कि आपके पूरे लाइफस्टाइल को और भी रोमांचक और तेज बना देगी। आइए, जानते हैं इस 5G टेक्नोलॉजी के बारे में..
5G नेटवर्क मुख्य तौर पर चार तरह की टेक्नोलॉजी Non-standalone 5G (NSA-5G), standalone 5G (SA-5G), Sub-6 GHz और mmWave पर काम करता है। किसी भी रीजन में इन चार टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही 5G नेटवर्क को यूजर्स के डिवाइस तक पहुंचाया जाता है।
Non-standalone 5G
इसे बेसिक 5G नेटवर्क बैंड कहा जाता है और शुरुआत में किसी भी रीजन में नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर्स इसी बैंड के आधार पर यूजर्स को 5G नेटवर्क उपलब्ध करवाती हैं। इसमें 4G LTE के लिए उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर को इस्तेमाल करके 5G नेटवर्क को डिप्लॉय किया जाता है। किसी भी रीजन में नेटवर्क की टेस्टिंग के लिए टेलिकॉम कंपनियां इसी स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करती हैं।
Standalone 5G
जैसा कि नाम से ही साफ है, ये पिछले इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिलाई नहीं करता है। ये नेटवर्क बैंड पुराने 4G LTE नेटवर्क पर रिलाई नहीं करता है। ये खुद के क्लाउड नेटिव नेटवर्क कोर पर काम करता है। दुनिया के कई देशों में इस स्पेक्ट्रम को अडोप्ट किया है और वहां ये काम कर रहा है।
Sub-6 GHz
इसे मिड बैंड 5G स्पेक्ट्रम फ्रिक्वेंसी कहा जाता है। इसमें नेटवर्क की फ्रिक्वेंसी 6GHz से कम होती है और इसका इस्तेमाल लो बैंड टेलिकम्युनिकेशन्स कि लिए किया जाता है। चीन समेत कई देशों में इस नेटवर्क स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया जाता है।
mmWave
इसे हाई बैंड 5G नेटवर्क फ्रिक्वेंसी कहा जाता है। इसमें 24GHz से ऊपर की फ्रिक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें ज्यादा बैंडविथ मिलता है। इसमें डाटा की स्पीड 1Gbps तक की होती है। mmWave को डिप्लॉय करने के लिए कई छोटे और लोअर रेंज के सेलफोन टॉवर का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि कवरेज को पूरा किया जा सके।
डायनैमिक नेटवर्क शेयरिंग
4G से 5G में नेटवर्क को अपग्रेड करने के लिए टेलिकॉम कंपनियां डायनैमिक नेटवर्क शेयरिंग का इस्तेमाल करती हैं। ये तकनीक NSA 5G स्पेक्ट्रम के साथ ही संभव है क्योंकि इसमें 5G नेटवर्क एक साथ दो रेडियो फ्रिक्वेंसी का इस्तेमाल कर सकती है। जिसकी मदद से डाटा की स्पीड बढ़ जाएगी और डिवाइस 4G LTE के मुकाबले ज्यादा तेजी से नेटवर्क को एक्सेस कर सकेंगे। sub-6 GHz फ्रिक्वेंसी का फायदा ये है कि ये फ्रिक्वेंसी किसी भी सॉलिड ऑब्जेक्ट जैसे कि बिल्डिंग आदि को पेनिट्रेट करके 5G नेटवर्क कनेक्टिविटी को बरकरार रखती है। इसकी वजह से इंडोर में भी आपको नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलती रहेगी।
भारत में इस साल 5G नेटवर्क को रोल आउट किया जा सकता है, जिसके लिए टेलिकॉम कंपनियों ने अपने नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करना शुरू कर दिया है। Reliance Jio और Airtel पहले से ही दावा कर रहे हैं कि वो 5G रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहे हैं। यानि की इन दोनों कंपनियों ने अपने नेटवर्क को Non Standalone 5G के लिए तैयार कर लिया है। जैसे ही 5G स्पेक्ट्रम को भारत में अलोकेट किया जाएगा, ये कंपनियां डायनैमिक शेयरिंग तकनीक का इस्तेमाल करके यूजर्स को 4G LTE के साथ-साथ 5G नेटवर्क भी मुहैया कराना शुरू कर देंगी। यूजर्स को दो रेडियो फ्रिक्वेंसी के साथ नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलनी शुरू हो जाएगी।
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Published: Oct 05, 2022 - 06:22 | Updated: Oct 05, 2022 - 06:22
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