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देव दीपावली 2022: इस दिन धरती पर आते हैं देवता, जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है ये त्योहार

dev deepawali 2022

नई दिल्ली: भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं. इन त्योहारों के पीछे कई मान्यता भी छुपी होती है. इसी क्रम में दीपावली के त्योहार के बाद देव दीपावली का पर्व भी खूब धूमधाम के साथ मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक देव दीपावली के दिन भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर सभी को उत्पीड़ित करने वाले राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. जिसके उल्लास में देवताओं ने दीपावली मनाई. इसी कारण इसे देव दीपावली के रूप में जाना जाता है. इस बार चौमासी चौदस और कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा पर देव दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा.

इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं. वहीं इस माह को काफी पवित्र भी माना जाता है. इस माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है. इसके साथ ही इस माह में उपासना, स्नान, दान, यज्ञ आदि का भी अच्छा परिणाम मिलता है. माना जाता है कि देव दीपावली के मौके पर विशेष पूजन और उपायों से व्यक्ति तरक्की के मार्ग पर अग्रसर होता है और जीवन में खुशहाली आती है.

मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने काशी के अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार को नष्ट कर दिया था. वहीं कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर काशी के घाटों पर दीप जलाकर भी इस त्योहार को काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन पूजन का भी विशेष महत्व रहता है. इस पर्व को देवताओं के दिन के रूप में भी जाना जाता है. इस त्योहार को ऋतुओं में श्रेष्ठ शरद, मासों में श्रेष्ठ कार्तिक और तिथियों में श्रेष्ठ पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है. इस बार 22 नवम्बर, बृहस्पतिवार के दिन देव दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा.

देव दीवाली क्या है?

देवताओं की दीपावली या देव दीवाली वाराणसी में गहरी भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक आध्यात्मिक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हिंदू त्योहार दुष्ट दानव त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की विजय का प्रतीक है, यही कारण है कि इस उत्सव को अक्सर त्रिपुरा उत्सव कहा जाता है।

देव दीवाली कब है?

देव दीपावली, जैसा कि यह भी कहा जाता है, दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन आती है। इस दिन को कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है।

देव दीवाली पर क्या करें?

इस त्योहार पर, भक्त पवित्र गंगा में स्नान करते हैं जिसे कार्तिक स्नान के रूप में जाना जाता है। इसके बाद दीप दान किया जाता है, अर्थात् देवी गंगा को श्रद्धा के प्रतीक के रूप में तेल के दीपक अर्पित किए जाते हैं। गंगा आरती इस धार्मिक त्योहार का एक प्रमुख आकर्षण है, जो 24 पुजारियों और 24 युवा लड़कियों द्वारा अत्यंत पवित्रता और भक्ति के साथ किया जाता है।

देव दीवाली कैसे मनाई जाती है?

बनारस या वाराणसी में देव दीपावली को बहुत ही धूमधाम और भव्यता के लिए जाना जाता है। इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए हजारों भक्त पवित्र शहर का भ्रमण करते हैं।

देव दीपावली महोत्सव की मुख्य परंपरा चंद्र दर्शन पर मनाई जाती है। गंगा नदी और देवी देवताओं के सम्मान में, गंगा नदी के सभी घाट यानी रवि घाट से लेकर राज घाट तक, को छोटे-छोटे दीयों (मिट्टी के दीयों) से सजाया जाता है।

देवताओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भव्य जुलूस इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है। पटाखों के साथ रात में आमसान को सुशोभित किया जाता है और लोग रात भर भक्ति नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।

देव दीपावली 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त (Dev Deepawali 2022 date and auspicious time)

तिथि- 7 नवंबर 2022, सोमवार

कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 नवंबर 2022 को शाम 0 4 बजकर 15 मिनट से शुरू

कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 31 मिनट तक

प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 49 मिनट तक

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