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श्रावण महिना (मास) 2022
श्रावण महिना (मास) 2022 : जानिए सावन सोमवार व्रत कथा एवं महत्व (Shravan Month Somvar Vrat Katha in Hindi)ल
हिन्दू धर्म में श्रवण मास का बहुत ही महत्व है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवां महीना होता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो भक्त सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं।.
कब से शुरू हो रहा है श्रावण मास? सावन सोमवार व्रत कथा एवं महत्व
यह महीना शिव जी का अत्यंत प्रिय महीना हैं. पुरे माह धार्मिक रीति रिवाजों का ताता लगा रहता हैं. कई विशेष त्यौहार श्रावण के इस महीने में मनाये जाते हैं. हमारे देश की परम्परायें हमें हमेशा ईश्वर से जोड़ती हैं, फिर उसमें एक दिन का त्यौहार हो या महीने भर का जश्न. सभी का अपना एक महत्व हैं. यहाँ ऋतुओं को भी पूजा जाता हैं. उनका आभार अपने तरीके से व्यक्त किया जाता हैं.
वर्षा ऋतू से ही चार महीने के त्यौहार शुरू हो जाते हैं, जिनका पालन सभी धर्म, जाति और अपनी मान्यताओं के अनुरूप करते हैं. उसी प्रकार सावन का हिन्दू समाज में बहुत अधिक महत्व हैं. इसे कई विधियों एवं परम्पराओं के रूप में देखा एवं पूजा जाता हैं. हमारे देश में ऋतुओं का समान आकार हैं मुख्य तीनों मुख्य ऋतुयें 4-4 माह के लिए आती हैं. सभी का होना हमारे देश की जलवायु पर विशेष प्रभाव डालता हैं. भारत देश कृषि प्रधान होने के कारण यहाँ वर्षा ऋतू का महत्व अधिक होता हैं, और उसमें सावन का महीना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता हैं.
श्रावण मास 2022 कब से लग रहा है (Shravan Mass)
इस साल यानि 2022 में श्रावण मास की शुरुआत 18 जुलाई से हुई है. जोकि 8 अगस्त तक रहेगा. इस बीच कई सारे त्यौहार हिन्दू धर्म के अनुसार मनाये जाते हैं.
सावन सोमवार 2022 में कब- कब है (Sawan Somvar 2022 Date)
18 | जुलाई | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
25 | जुलाई | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
1 | अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
8 | अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
सावन महीना महत्त्व (Shravan / Sawan Month Mahatva / Importance)
श्रावण यह हिंदी कैलेंडर में पांचवे स्थान पर आता हैं. यह वर्षा ऋतू में प्रारंभ होता हैं. शिव जो को श्रावण के देवता कहे जाते हैं, उन्हें इस माह में भिन्न- भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं. पुरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं शिव उपासना, व्रत, पवित्र नदियों में स्नान एवं शिव अभिषेक का महत्व हैं. विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं. कई महिलायें पूरा सावन महीना सूर्योदय के पूर्व स्नान कर उपवास रखती हैं. कुवारी कन्या अच्छे वर के लिए इस माह में उपवास एवं शिव की पूजा करती हैं. विवाहित स्त्री पति के लिए मंगल कामना करती हैं. भारत देश में पुरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं.
श्रावण / सावन माह से जुडी धार्मिक कहानियाँ (Shravan Ki Katha)
क्यूँ हैं सावन भगवान शिव का प्रिय महीना ?
कहा जाता हैं श्रावण भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सति ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जिया. उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पुरे श्रावण महीने में कठोरतप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुनः मिलाप के कारण भगवान् शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं. यही कारण हैं कि इस महीने कुमारी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं.
यही मान्यता हैं कि श्रावण के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था, जहाँ अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं.
धार्मिक मान्यतानुसार श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, जिस कारण उन्हें नील कंठ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने श्रृष्टि को इस विष से बचाया, और सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं.
वर्षा ऋतू के चौमासा में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस वक्त पूरी श्रृष्टि भगवान शिव के आधीन हो जाती हैं. अतः चौमासा में भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मनुष्य जाति कई प्रकार के धार्मिक कार्य, दान, उपवास करती हैं.
बेल पत्र का महत्व (Bel Patra Ka Mahatva)
शिव उपासना में बेल पत्र का विशेष महत्व हैं. कहा जाता हैं एक डाकू अपने जीवन व्यापन के लिए राहगीरों को लुटता हैं. एक बार वो रात्रि के समय एक पेड़ पर बैठ कर अपने शिकार का इंतजार करता हैं लेकिन समय बितता जाता हैं कोई नहीं आता. तभी डाकू के हृदय में अपनी करनी को लेकर पश्चाताप का भाव उत्पन्न होता हैं और वो खुद को कोसता हुआ उस पेड़ के पत्तो को तोड़- तोड़ कर नीचे फेकता रहता हैं. वह वृक्ष बैल पत्र का होता हैं और उसके नीचे शिव लिंग स्थापित होता हैं. डाकू के द्वारा फेका गया पत्ता शिव लिंग पर गिरता हैं और उसके करुण भाव के कारण उसमें एक सच्ची श्रद्धा का संचार होता हैं, जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ उसे दर्शन देते हैं और उसकी पीढ़ा को समाप्त कर उसे सही राह पर लाते हैं. इस प्रकार बैल पत्र का विशेष महत्व होता हैं.
भगवान शिव को अर्पित करें ये वस्तु
श्रावण मास में भगवान शिव की प्रेम भाव से अगर पूजा जाए तो वो आपकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा, बेल पत्र, भांग के पत्ते या भांग, दूध, काले तिल, गुड़ आदि चढ़ाना शुभ माना जाता है।
Published: July 11, 2022 10:20 AM IST | Updated: July 11, 2022 10:20 AM IST
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