भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार के लिये आरईआरए | Rera Sets Rules to Clean up Indian Real Estate
बीते एक महीने में रियल्टी सेक्टर के लिए दो बड़ी सकारात्मक खबरें आई। पहली भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों को सीधे रियल इस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश की मंजूरी और दूसरी 1 मई से सेक्टर में पारदर्शिया लाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए लागू किया गया नया कानून रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा)। एक्सपर्ट मानते हैं कि नए कानून के बाद हाउसिंग डिमांड में रिकवरी की उम्मीद है।
ऐसा कहा जाता है कि 2020 तक, भारत में रियल एस्टेट सेक्टर की कीमत लगभग 180 अरब डॉलर तक हो जायेगी। एक बड़ा मूल्यांकन होने के बाद भी रियल एस्टेट भारत के एक बहुत ही अनियमित बाजार के रूप में उभरा है। यहाँ पर उपभोक्ता वह अंतिम हो या मध्य का उसे हर कार्य के लिये प्रचारक, सम्पत्ति विक्रेता तथा बेईमान बिचौलियों पर निर्भर रहना पड़ता है। अक्सर लोगों की अज्ञानता के कारण बिल्डरों द्वारा भवन निर्माण में धोखाधड़ी करने, घटिया और देर से निर्माण करने के लिये लोगों की अज्ञानता का, सुरक्षा उपायों में कमी का और कई बार विभिन्न कानूनी विकल्पों का प्रयोग किया जाता है और अंत में घर खरीदने वाले आम आदमी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। अचल संपत्ति के रूप में काले धन का विनिमय एक बहुत बड़ा अवैध व्यापार बन रहा है।
आरईआरए क्या है? ( What Is RERA? )
यह भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा मार्च 2016 में पारित किया गया एक कानून है जो रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016, के नाम से जाना जाता है। यह कानून अचल संपत्ति के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और बिल्डरों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया है।
आरईआरए को 1 मई, 2017 से लागू किया गया। यह एक आदर्श कानून है – इसका अर्थ यह है कि केन्द्रीय विधानमंडल से इस कानून के पारित होने के बाद यह राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वे अपना कानून तैयार करके उसे लागू करें। संसद के दोनों सदनों से इस कानून के पारित होने के बाद भी, सभी राज्यों ने इस कानून का मसौदा तैयार करने और संसद को सूचित करने में 12 महीने से अधिक समय लगा दिया था। हालांकि, कल, भारत भर के केवल 13 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने आरईआरए के अनुसार नए रियल एस्टेट कानूनों को अधिसूचित किया है।
आरईआरए के दिशा निर्देश –
- सभी बिल्डरों / प्रमोटरों को आरईआरए के तहत लिये जाने वाले प्रोजेक्ट को पंजीकृत करने की आवश्यकता होगी। इस पंजीकरण संख्या को सभी प्रोजेक्ट के विज्ञापनों और प्रचारों में दर्शाया जायेगा। इस पंजीकरण संख्या से ग्राहकों को आरईआरए की वेबसाइट से किये जाने वाले प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारी लेने और बिल्डर के दावों की सच्चाई का पता लगाने में बहुत मदद मिलेगी।
- बिल्डर को परियोजना का पूर्ण विवरण जैसे- शीर्षक के दस्तावेजों के सबूत के साथ, प्रोजेक्ट से संबंधित सभी मंजूरियों और प्रतिबंधों और प्रोजेक्ट के निर्माण में लगे ठेकेदारों, आर्किटेक्ट्स और इंजीनियरों के विवरण का भी खुलासा करना होगा। बिल्डरों को अपने वित्तीय विवरणों और पुराने रिकॉर्डों को भी प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी।
- खरीदारों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बिल्डरों द्वारा अपने वर्तमान ग्राहकों से लिये गये धन को दूसरे प्रोजेक्टों में खर्च कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान ग्राहकों को अपने निर्माण में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिये बिल्डरों और प्रमोटरों को अब प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए एक अलग फंड बनाए रखना होगा और उस परियोजना में निवेश के लिए खरीदारों से मिलने वाले 70 प्रतिशत धन को बनाए रखना होगा।
- बिल्डर को निर्माण की गुणवत्ता के मामले में ग्राहक को संतुष्ट करना होगा और निर्माण की तारीख से 5 वर्ष तक इमारत में होने वाली संरचनात्मक क्षति की भरपाई करनी होगी।
- बिल्डर या प्रमोटर को निर्माण में या ग्राहक को संपत्ति की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में हुई देरी की क्षतिपूर्ति करनी होगी। यदि ग्राहक अपने बिक्री समझौते से अलग होना चाहता है, तो बिल्डर को ग्राहक की अग्रिम राशि ब्याज सहित वापस करनी होगी।
रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण
भारत में 76,000 से अधिक रियल एस्टेट कंपनियां हैं। आरईआरए अचल संपत्ति से संबंधित विवादों से निपटने के लिये प्रत्येक राज्य में एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना करना चाहता है। भारत में केवल तीन राज्यों- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान ने आरईआरए के दिशानिर्देशों का पालन करके नियामक कार्यालय स्थापित किये हैं। बिल्डरों और प्रमोटर को स्वयं के पंजीकरण में सुविधा के लिये महाराष्ट्र ने एक वेबसाइट की शुरूआत भी की है शेष राज्यों द्वारा अभी इस कानून का पालन करना बाकी है ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आरईआरए के सम्पूर्ण देश में लागू होने से भारत घर खरीदारी के मामले में स्वर्ग समान होगा।
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जरूर रखें इन 10 बातों का ख्याल
उपभोक्ताओं के अधिकार की सुरक्षा और पारदर्शिता लाने के वादे के साथ बहुत-प्रतीक्षित रियल एस्टेट अधिनियम रेरा (RERA) 1 मई 2017 से लागू कर दिया गया है। हालांकि अब तक केवल 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इन नियमों को अधिसूचित किया है। यह कानून उन उपभोक्ताओं के लिए फायदे भरा है जो बिल्डर्स की मनमानी के चलते परेशान रहते हैं। इस अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों में परियोजना के निर्माण के लिए एक अलग बैंक खाते में खरीदार से एकत्रित धन का 70 फीसद हिस्सा जमा कराना शामिल है। यह परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करेगा क्योंकि केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए ही धन निकाला जा सकता है। ऐसे में हम आपको अपनी खबर में उन 10 बातों को बताने जा रहे हैं जिन्हें आपको प्रॉपर्टी खरीदते वक्त ध्यान में रखनी चाहिए।
जानिए 10 ऐसी जरूरी बातें-
- जमीन की रजिस्ट्री जरूर मांगे
- प्रोजेक्ट के अप्रूव्ड लेआउट मैप को देखें
- लोकेशन और वास्तविक फ्लैट विजिट करें
- बिल्ट-अप एरिया, सुपर एरिया और कार्पेट एरिया को समझें
- अपने पजेशन टाइम का रखें विशेष ध्यान
- पेनल्टी क्लॉज को जरूर पढ़ें
- पेमेंट स्कीम को समझें
- हिडन चार्जेज पर दे विशेष ध्यान
- डेवलपर की पिछली हिस्ट्री के बारे में करें पता
- सुनिश्चित करें कि एक्सक्लेशन फ्री हों फ्लैट के रेट
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