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रक्षाबंधन का त्यौहार क्‍यों और किसलिए मनाया जाता है, जानिए ? | Why Raksha Bandhan Festival Celebrated Complete Detail


रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है और यह त्यौहार पूरे भारत देश मे मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहनों का माना जाता है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है और भाई अपनी बहनों को सदा रक्षा करने का वचन देते है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है “रक्षा+बंधन” अर्थात किसी को अपनी रक्षा मे बांध लेना।

why rakshabandhan celebrated in hindi

रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनके लिए मंगल कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को इस पवित्र बंधन के बदले उपहार, उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

बचपन से बड़े होने तक और बाद में बहन की शादी के बाद अलग हो जाने पर भी बहन-भाई का प्यार कम नहीं होता। एक बहन का प्यार ऐसा है कि चाहे उसका भाई उसकी कोई बात ना माने, फिर भी वह आखिरी श्वास तक चाहेगी कि उसका भाई हमेशा खुश रहे। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्यार की निशानी है, जिसे वर्षों से मनाया जा रहा है। भाई-बहन के विश्वास को बनाए रखने वाला यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। लेकिन इसे क्यों मनाते हैं इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं।

भारत के अलावा भी विश्व भर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई बहनों के बीच मनाया जाता है. इस त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है।

कब मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार

यह त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहा जाता है।

किसके बांधनी चाहिए राखी

श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने से इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। पुराणों के अनुसार आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की इच्छा रखते हैं उसे रक्षा सूत्र यानी राखी बांध सकते हैं, चाहें वह किसी भी रिश्ते में हो।

रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व (Raksha bandhan Importance)

रक्षाबंधन भाई बहनो के बीच मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन बहन अपने भाइयों को रक्षाधागा बंधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं. इस त्यौहार के दिन सभी भाई बहन एक साथ भगवान की पूजा आदि करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

रक्षाबंधन से संबंधित पौराणिक कहानी (Raksha bandhan Related Mythological Stories)

रक्षाबंधन सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं जुडी हुईं है. इन कथाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है।

राजा बलि और माँ लक्ष्मी : भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्राह किया. भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये. हालाँकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया. इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया. इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा. इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे. बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा।

इन्द्राणी द्वारा बनाए रक्षाविधान : भविष्यत् पुराण के अनुसार दैत्यों और देवताओं के मध्य होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा, राजा बलि ने हरा दिया था. इस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा. सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की. इसके बाद अगले युद्द में इंद्र बलि नामक असुर को हारने में सफ़ल हुए और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया. यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरम्भ हुआ. इसके बाद युद्द में जाने के पहले अपने पति को औरतें यह धागा बांधती थीं. इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया।

संतोषी माँ : भगवान विष्णु के दो पुत्र हुए शुभ और लाभ. इन दोनों भाइयों को एक बहन की कमी बहुत खलती थी, क्यों की बहन के बिना वे लोग रक्षाबंधन नहीं मना सकते थे. इन दोनों भाइयों ने भगवान गणेश से एक बहन की मांग की. कुछ समय के बाद भगवान नारद ने भी गणेश को पुत्री के विषय में कहा. इस पर भगवान गणेश राज़ी हुए और उन्होंने एक पुत्री की कामना की. भगवान गणेश की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि, की दिव्य ज्योति से माँ संतोषी का अविर्भाव हुआ. इसके बाद माँ संतोषी के साथ शुभ लाभ रक्षाबंधन मना सके।

कृष्ण और द्रौपदी : महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी ने कृष्ण की रक्षा के लिए उनके हाथ मे राखी बाँधी थी. इसी युद्ध के समय कुंती ने भी अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर सुरक्षा के लिए राखी बाँधी।

यम और यमुना : एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना दुखी हुई और माँ गंगा से इस बारे में बात की. गंगा ने यह सुचना यम तक पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं. इस पर यम युमना से मिलने आये. यम को देख कर यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनायीं. यम को इससे बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने यमुना से कहा कि वे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं. इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान माँगा कि यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आयें. यम अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से गद गद हो गए और यमुना को अमरत्व का वरदान दिया. भाई बहन के इस प्रेम को भी रक्षा बंधन के हवाले से याद किया जाता है।

रक्षाबंधन सम्बंधित इतिहास (Raksha bandhan Related History)

विश्व इतिहास में भी रक्षाबंधन का बहुत महत्व रहा है. रक्षाबंधन सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है।

सिकंदर और राजा पुरु : एक महान ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब 326 ई पू में सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया, सिकंदर की पत्नी रोशानक ने राजा पोरस को एक राखी भेजी और उनसे सिंकंदर पर जानलेवा हमला न करने का वचन लिया. परंपरा के अनुसार कैकेय के राजा पोरस ने युद्ध भूमि में जब अपनी कलाई पर बंधी वह राखी देखी तो सिकंदर पर व्यक्तिगत हमले नहीं किये।

रानी कर्णावती और हुमायूँ : एक अन्य ऐतिहासिक गाथा के अनुसार रानी कर्णावती और मुग़ल शासक हुमायूँ से सम्बंधित है. सन 1535 के आस पास की इस घटना में जब चित्तोड़ की रानी को यह लगने लगा कि उनका साम्राज्य गुजरात के सुलतान बहादुर शाह से नहीं बचाया जा सकता तो उन्होंने हुमायूँ, जो कि पहले चित्तोड़ का दुश्मन था, को राखी भेजी और एक बहन के नाते मदद माँगी. हालाँकि इस बात से कई बड़े इतिहासकार इत्तेफाक नहीं रखते, जबकि कुछ लोग पहले के हिन्दू मुस्लिम एकता की बात इस राखी वाली घटना के हवाले से करते हैं।

1905 का बंग भंग और रविन्द्रनाथ टैगोर : भारत में जिस समय अंग्रेज अपनी सत्ता जमाये रखने के लिए ‘डिवाइड एंड रूल’ की पालिसी अपना रहे थे, उस समय रविंद्रनाथ टैगोर ने लोगों में एकता के लिए रक्षाबंधन का पर्व मनाया. वर्ष 1905 में बंगाल की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित तथा हिन्दू और मुस्लिमों में सांप्रदायिक फूट डालने की कोशिश करती रही. इस समय बंगाल में और हिन्दू मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए और देश भर में एकता का सन्देश देने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन का पर्व मनाना शुरू किया।

सिखों का इतिहास : 18 वीं शताब्दी के दौरान सिख खालसा आर्मी के अरविन्द सिंह ने राखी नामक एक प्रथा का अविर्भाव किया, जिसके अनुसार सिख किसान अपनी उपज का छोटा सा हिस्सा मुस्लिम आर्मी को देते थे और इसके एवज में मुस्लिम आर्मी उन पर आक्रमण नहीं करते थे।
महाराजा रणजीत सिंह जिन्होंने सिख साम्राज्य की स्थापना की, की पत्नी महारानी जिन्दान ने नेपाल के राजा को एक बार राखी भेजी थी. नेपाल के राजा ने हालाँकि उनकी राखी स्वीकार ली किन्तु, नेपाल के हिन्दू राज्य को देने से इनकार कर दिया।

साल 2017 में रक्षाबंधन (Raksha bandhan 2017 Muhurat)

वर्ष 2017 में रक्षा बंधन का त्यौहार 7 अगस्त को मनाया जाएगा. यह त्यौहार सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस वर्ष सावन की पूर्णिमा 6 अगस्त को 09: 58 बजे से शुरू होगी और यह 7 अगस्त को 11:10 बजे तक रहेगी. इस बीच राखी बाँधने का शुभ्ह मुहूर्त सुबह 06:01 बजे से 11:10 तक रहेगा. इस साल रक्षाबंधन के दिन चंद्रग्रहण भी पड़ने वाला है. ग्रहण का स्पर्श 10:53 रात्रि व मोक्ष 12:48 रात्रि तक होगा, एवं इसका सूतक 7 1:53 दिन से लग जायेगा।

रक्षाबंधन कैसे मनाएं (How to Celebrate Raksha bandhan)

रक्षाबंधन मनाने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है. यहाँ पर रक्षाबंधन मनाने का विवरण दिया जा रहा है।

  • इस दिन सबसे पहले सुबह सुबह उठ कर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान कर लें.
  • स्नान के बाद नए वस्त्र धारण करें और अपने भाई के लिए ख़रीदी गयी राखी खोल कर एक पूजा की थाली में रख लें. इस थाली में इसके अलावा रोली, अक्षत, तिलक, कर्पूर, मिठाई आदि भी रख लें.
  • इसके बाद अपने भाई को सामने बैठाकर तिलक जगाकर कलाई पर राखी बांधे और उसकी आरती उतारें. इसके उपरान्त अपने भाई को उसकी पसंदीदा मिठाई खिलाएं.
  • भाई इस समय अपनी बहन को उपहार दें. ये उपहार एक अनिवार्य नियम है, क्योंकि इन उपहारों में बहनों के लिए भाइयों की शुभकामनाएँ होती हैं.

राखी तभी प्रभावशाली बनती है जब उसे मंत्रो के साथ रक्षासूत्र बांधा जाये।

मंत्र :

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल॥

मंत्र का अर्थ जिस प्रकार राजा बलि ने रक्षासूत्र से बंधकर विचलित हुए बिना अपना सब कुछ दान कर दिया। उसी प्रकार हे रक्षा! आज मैं तुम्हें बांधता हूँ, तू भी अपने उद्धेश्य से विचलित न हो और दृढ़ बना रहे।

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