भारत में इन जगहों पर भारतीयों की एंट्री पर लग जाती है पाबंदी
अंग्रेजों के समय गुलाम भारत में भारतीयों के जाने की अनुमति नही देना समान्य बात थी और उस युग की एक टैगलाइन भी काफी विवादित थी जिसमे प्रवेश द्वारा पर लिखा जाता था कि कुत्तों और भारतीयों का आना मना है लेकिन समय ने करवट ली और 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को लिखित संविधान के रूप में हर भारतीय को यह हक मिला कि वह पुरे भारत में कही भी आने जाने अनुमति मिल गयी।
भारत में स्वतंत्र रूप से घुमने का कानून एक पहलू है लेकिन हर भारतीय को जानकर दुःख होगा कि आज भी भारत में कई स्थान ऐसे है जहाँ पर हम भारतीयों की अनुमति नहीं है। हाल ही इस विषय से मिलती जुलती एक घटना का पुरे देश का ध्यान अपनी तरफ खीचा था जब कसोल में इजरायली कैफे में भारतीय प्रवेश के प्रतिबंधित होने की घटना सामने आयी थी। आज हम अपने पाठकों को ऐसे कुछ अन्य उदाहरण देने जा रहे है जहाँ पर होटल और संगठनों जहाँ पर भारतीय प्रवेश प्रतिबंधित कर उनको अंदर नही जाने दिया गया।
बैंगलोर में जापानी लोगों के लिए विशेष रूप से गठित ऊनो इन होटल: कॉर्पोरेट शहर बैंगलोर में बढ़ रही जापानी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए निप्पॉन इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के सहयोग से 2012 में ऊनो इन होटल को स्थापित किया गया था। होटल में काम कर रहे भारतीय कर्मचारियों को होटल की छत पर में प्रवेश करने की अनुमति नही थी। 2014 में में इस होटल को और अधिक प्रसिद्धि तब मिल थी जब किसी भारतीय को छत पर जाने से रोका गया था। जल्द ही होटल नस्लीय भेदभाव के आरोप से घिर गया था जिसके बाद रेटर बंगलौर सिटी निगम द्वारा इस बंद कर दिया गया।
फ्री कसोल कैफ़े : हिमाचल प्रदेश की घाटी में बसे कसोल के अंदर खुले फ्री कसोल होटल उस वक्त पुरे भारत में चर्चित हो गया जब एक विदेशी को तो अंदर जाने दिया गया पर एक भारतीय को नही इसके अलावा एक अन्य घटना भी घटित हुई चिल आउट जोन में जाने के लिए पासपोर्ट के आधार पर लोगो से भेदभाव हुआ और उनको आर्डर देने से भी इंकार कर दिया गया था।
गोवा के समुंद्र बीच : गोवा में समुद्र तट पर झोंपड़ी बना चुके झोंपड़ी मालिकों की एक संख्या खुले तौर पर समुद्र तट पर आने वाले भारतीयों के खिलाफ भेदभाव करती है और इसके पीछे वह तर्क देते है कि ऐसा वह भारतीय कामुक से भरे बुरी नियत वाले से विदेशी मेहमानों की रक्षा के लिए करते है।
चेन्नई में एक लॉज : डेक्कन हेराल्ड में छपी एक कहानी जिसमें उन्होंने एक छद्म नाम रख कर प्रकाशित किया था जिसमे बताया गया था चेन्नई में एक लॉज में भारतीय की एंट्री पर पाबंदी है। चेन्नई में एक अन्य ब्रॉडलैंड्स लॉज नामक होटल है जो केवल विदेशी पासपोर्ट अधिकारी की ही सेवा करता है।
पांडिचेरी के बीच केवल विदेशियों के लिए : गोवा के अलावा छुट्टियां बिताने के लिए भारतीय और विदेशीओं के अधिक भारतीय वास्तुकला से घिरे फेमस पांडिचेरी के समुंद्र तट है लेकिन गोवा की तरह ही यहाँ के कुछ समुंद्री बीच सिर्फ विदेशी नागरिकों के सेवा के लिए ही विशेष रूप से हाजिर रहते है।
देश के बाहर पराएं मुल्क में भी आज भारतीय से भेदभाव होने की खबर से ही दिल आहत हो जाता है लेकिन उस वक्त हर भारतीय का मन अधिक गुस्से से भर जाता है जब भारतीय नागरिक से भारत में ही भेदभाव की घटना हो जाती है।
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