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भारतीय परम्पराएं और उनका महत्व
भारतीय परम्पराएं और उनका महत्व | Indian traditions and their significance
हर भारतीय परंपरा के पीछे कोई न कोई Scientific Reason ज़रूर होता है। अक्सर नए लोग परम्पराओं को अंधविश्वास समझ कर नकार देते हैं। परम्पराएं मात्र अन्धविश्वास पर बनी होती हैं, ऐसा नहीं है। इन तथ्यों को जान कर आपको भी यकीन हो जायेगा कि परम्पराएं और मान्यताएं Scientific Knowledge पर आधारित होती हैं।
मंदिर जाना
मंदिर का वास्तु - जिस भी जगह पर मंदिर होता है वो सकारात्मक उर्जा को प्रवाहित करता है। मंदिर हमेशा उत्तर की तरफ बना होता है। उत्तर को उर्जा और विद्युत चुंबकीय तरंगों का स्त्रोत माना जाता है। जब भी आप मंदिर जाते हैं तब आप पर इन तरंगों का असर पड़ता है जिससे कुछ ही पल में आपका दिमाग सकारात्मक हो जाता है।
दही खाना
कहते हैं किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले दही खाने से उस काम के लिए जाने वाले को सफलता मिलती है। साथ ही, दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसमें कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिसके कारण यह दूध की तुलना में जल्दी पच जाता है। जिन लोगों को पेट की परेशानियां, जैसे अपच, कब्ज, गैस बीमारियां घेरे रहती हैं, उनके लिए दही या उससे बनी लस्सी, छाछ का उपयोग करने से आंतों की गर्मी दूर हो जाती है।
सोना-चांदी खरीदना
ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदने से घर में लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं और घर में सुख समृद्धि और धन की कमी नहीं होती। सोने-चांदी की कीमत हमेशा बढ़ती है इससे परिवार को आर्थिक-स्थिरता मिलती है।
मकर संक्रांति में तिल और गुड़ के पकवान खाना
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने की रवायत बहुत पुरानी है। भारत के किसी भी त्योहार के साथ जुड़े रस्मो-रिवाजों का संबंध सीधे स्वास्थ्य से जुड़ा है। तिल से बने लड्डू गर्मी और ऊर्जा दोनों देते हैं, जिसकी हमें इस जनवरी की ठंड के मौसम में अत्यधिक आवश्यकता होती है।
ब्रह्म मुहूर्त में जगना
यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है, क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। सुबह ऑक्सिजन का लेवल भी ज्यादा होता है तो मस्तिष्क को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है जिसके चलते अध्ययन बातें स्मृति कोष में आसानी से चली जाती है।
धर्मों में मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन आदि खाने की मनाही
मदिरा सेवन से काम-वासना बढ़ती है और इंसान में संकोच कम हो जाता है। वहीं प्याज़, लहसुन खाने से क्रोध बढ़ता है। ये सभी पदार्थ तामसिक गुणों को बढ़ाते हैं।
नमाज़ पढ़ना
नमाज अदा करना भी योग ही है। जो आप को कई तरह की बीमारियों को ठीक कर देता है नमाज पढ़ने के दौरान आप के शरीर में जो बदलाब आते है वह कुछ हद तक आसान (योग के दौरान की जाने वाली किर्याएँ) से मिलती जुलती है जैसे आसान शरीर सात हिस्सो को जिन्दा करता है!
रमज़ान
रमजान में रोजा रखने से शरीर को विकारों से दूर करने में मदद मिलती है। शरीर का तंत्र और अपनी दिनचर्या व्यवस्थित हो जाती है। दूसरा, इस दौरान पता चलता है कि समय का क्या महत्व है। कितने बजे उठना है और कितने बजे सोना है। कितने बजे खाना है। सारे काम समय से किए जाते हैं।
मांग में सिंदूर भरना
सिन्दूर, हल्दी, चूना और पारा मिला कर बनाया जाता है। पारा रक्त-चाप नियंत्रित करता है, यह यौन इच्छा को भी बढ़ाता है। यही कारण है कि विधवाओं को सिन्दूर नहीं लगाने दिया जाता है। पारा नामक धातु महिलाओं के मस्तिष्क के तनाव को कम करता हैं तथा इस धातु के कारण ही महिलाओं का मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रहता हैं।
होली में रंग खेलना
Biologists का मानना है कि Liquid Dye या Abeer त्वचा के रोम-छिद्रों में जा कर शरीर के Ions को मज़बूत करता है और स्वास्थ्य व सुन्दरता को बढ़ाता है।
होलिका दहन
सर्दियां ख़त्म होने पर वातावरण में और इंसान के शरीर में Bacteria की संख्या बढ़ जाती है। जब होलिका दहन किया जाता है, तो तापमान 145 Degrees Fahrenhiet तक चला जाता है। जब लोग आग की परिक्रमा करते हैं तो इस तापमान में Bacteria मर जाते हैं।
इतनी विविधता के बावजूद भारत में लोग एकजुट हैं और अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व महसूस करते हैं।
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