कैग क्या है? जानिए कैग के अधिकार व कर्तव्यों के बारे में | What is CAG ? About CAG Right & Duties
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इतने दिनों से जिसकी रिपोर्ट की वज़ह से संसद से लेकर सड़क तक हो हल्ला है, आइये जाने वो CAG (कैग) आखिर है क्या ? और उसका काम क्या है ? …
भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) भारतीय संविधान के अध्याय द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के आय-व्यय का लेखांकन करता है। वह सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी लेखांकन करता है। उसकी रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ ध्यान देती है। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है।
भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक | Comptroller and Auditor General of India - CAG
नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का उत्तरदायित्व कर-दाता के हितों को सुरक्षित रखना है। भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक को राष्ट्रीय वित्त का संरक्षक कहा जाता है।
भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय 9 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर नई दिल्ली में स्थित है। वर्तमान समय में इस संस्थान के मुखिया शशिकान्त शर्मा हैं। वे भारत के बारहवें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक हैं।
भारत सरकार के अंतर्गत यह अत्यधिक महत्वपूर्ण पद है, जिसके द्वारा देश की समस्त वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित किया जाता है। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की व्यवस्था की व्याख्या संविधान के भाग-5 में की गई है।
सरकारी खजाने में जो पैसा खर्च हो रहा है, वह क्या सही और जिनको लाभ मिलना चाहिय उन्हें वो लाभ मिल रहा या नहीं इसकी जांच बारीकी से कैग करता है। कैग बजट की छानबीन भी करता है खासकर राजस्व की।
कैग का रोल क्या है?
इसका मेन रोल सेंटर और स्टेट के सभी सरकारी विभागों और दफ्तरों के अकाउंट्स का ऑडिट करना और चेक करना है। इन विभागों और दफ्तरों में रेलवे, पोस्ट एंड टेलिकॉम भी शामिल हैं। यह सरकार की खुद की कंपनियों या उसकी तरफ से फाइनैंस होने वाली कंपनियों के खातों की भी स्क्रूटनी करता है। सेंटर और स्टेट गवर्नमेंट के अंदर लगभग 1,500 पब्लिक कमर्शल कंपनियां और लगभग 400 नॉन कमर्शल ऑटोनॉमस बॉडीज और अथॉरिटीज आती हैं। यूनियन और स्टेट रेवेन्यू की तरफ से फाइनैंस पाने वाली 4,400 अथॉरिटीज और बॉडीज भी कैग के दायरे में आती हैं।
कैग कैसे काम करता है?
कैग ऑडिट को दो वर्गों - रेग्युलेरिटी ऑडिट और परफॉर्मेंस ऑडिट में बांटा गया है। रेग्युलेरिटी ऑडिट (जो कम्पलायंस ऑडिट भी कहलाता है) में फाइनैंशल स्टेटमेंट का ऐनालिसिस किया जाता है और देखा जाता है कि उसमें सभी नियम-कानून का पालन किया गया है नहीं। परफॉर्मेंस ऑडिट में कैग यह चेक करता है कि क्या सरकारी प्रोग्राम शुरू करने का जो मकसद था, वह कम से कम खर्च में सही तरीके से हासिल हो पाया है नहीं।
क्या कैग स्वतंत्र है?
कैग भारत के संविधान द्वारा स्थापित अथॉरिटी है और यह सरकार के प्रभाव क्षेत्र से बाहर है। इसे सरकार की आमदनी और खर्च पर नजर रखने के लिए बनाया गया है। कैग की नियुक्ति देश के राष्ट्रपति द्वारा होती है और पद से हटाने की प्रक्रिया वैसी ही है, जैसी सुप्रीम कोर्ट के जज के मामले में अपनाई जाती है। इसकी सैलरी और सेवा की दूसरी शर्तें संसद द्वारा तय होती हैं और नियुक्ति के बाद उसमें इस तरह बदलाव नहीं किया जा सकता जिससे इसको नुकसान हो। कैग के ऑफिस के प्रशासनिक खर्चे कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से निकाले जाते हैं।
कैग के रिपोर्ट देने के बाद क्या होता है?
कैग अपनी रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं की कई समितियों जैसे पब्लिक अकाउंट्स कमेटी और कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग्स को देता है। ये कमिटी रिपोर्ट की स्क्रूटनी करती हैं और फैसला करती हैं कि क्या उसमें सभी पॉलिसी का पालन किया गया है। वह यह भी देखता है कि क्या किसी सरकारी निकाय की तरफ से कोई गड़गड़ी तो नहीं की गई है। फिर मामले को चर्चा के लिए संसद में पेश किया जाता है और उस पर कार्रवाई की जाती है।
कैग (CAG) के कार्य एवं शक्तियां
अनुच्छेद 149 कैग के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्धारित करने के लिए संसद को अधिकृत करता है।
भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक संघ और राज्यों के लेखों के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जो संसद द्वारा विहित किए जाएं। अनुच्छेद-149 से 151 के अंतर्गत नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्यों और शक्तियों का उल्लेख किया गया है।
भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के कार्यों और शक्तियों के प्रयोग में स्वतंत्रता के उद्देश्य से 1971 में एक अधिनियम पारित किया गया, जिसे 1976 में संशोधित करके नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के कर्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में कुछ उपबंध निश्चित किए गए, जो इस प्रकार हैं -
- भारत और प्रत्येक राज्य तथा विधान सभा या प्रत्येक संघ राज्यक्षेत्र की संचित निधि से सभी प्रकार के व्यय की संपरीक्षा और उन पर यह प्रतिवेदन कि क्या ऐसा व्यय विधि के अनुसार है।
- संघ और राज्यों की आकस्मिकता निधि और लोक लेखाओं से हुए सभी व्ययों की संपरीक्षा और उन पर प्रतिवेदन।
- संघ या राज्य के विभाग द्वारा किए गए सभी व्यापार तथा विनिर्माण के हानि और लाभ लेखाओं की संपरीक्षा और उन पर प्रतिवेदन।
- संघ और प्रत्येक राज्य की आय और व्यय की संपरीक्षा जिससे कि उसका यह समाधान हो जाए की राजस्व के निर्धारण, संग्रहण और उचित आबंटन के लिए पर्याप्त परीक्षण करने के उपरांत नियम और प्रक्रियाएं बनाई गई हैं।
- संघ और राज्य के राजस्वों द्वारा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित सभी निग्कयों और प्राधिकारियों की, सरकारी कंपनियों की, अन्य निगमों या निकायों की, जब ऐसे निगमों या निकायों से संबंधित विधि द्वारा इस प्रकार अपेक्षित हो, प्राप्ति और व्यय की संपरीक्षा और उस पर प्रतिवेदन।
- कानून के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर, अन्य संस्थाएं का ऑडिट
- वह राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल के अनुरोध पर अन्य किसी संस्था के खाते का ऑडिट (लेखा परीक्षा) करता है
कैग (CAG) के कुछ तथ्य
- अनुच्छेद 148 से 151 में कैग के शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन किया गया है।
- कैग की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वार की जाती है और इसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश को जिस प्रकार से हटाया जाता है उसी प्रकार से हटाया।
- कैग भारत सरकार और राज्य सरकार के व्यय के खातो की लेखा जांचना (auditing) करने का उत्तरदायी होता है, कैग सुनिश्चित करता है की धन का विवेकपूर्ण ढंग से, विधि पूर्वक वैध साधनों के माध्यम से उपयोग किया गया है और वित्तीय अनियमित्ता की भी जांच करता है।
- डा. अम्बेडकर के अनुसार, कैग भारतीय संविधान का चौथा स्तम्भ है, अन्य तीन हैं, सर्वोच्च न्यायालय, लोक सेवा आयोग, चुनाव आयोग।
- कैग का कार्यकाल, वेतन और सेवानिवृत्त होने की आयु का निर्धारण संसद में पारित किये गए कानून के अनुसार किया जायेगा। इसका कार्य कल 6 वर्ष होता है और सेवानिवृत्त होने की आयु 65 वर्ष होती है।
- कैग के हाथों में मामलो आने के बाद वह किसी अन्य सरकारी या सावर्जनिक पद को ग्रहण करने का अधिकारी नहीं होता है।
- कैग के रूप में नियुक्त व्यक्ति तीसरी अनुसूची में दिए प्रयोजन के अनुसार, अपना कार्यभार सँभालने से पूर्व राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेते है।
अब तक के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक
क्रमांक |
नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक |
कार्यकाल का आरम्भ |
कार्यकाल का अन्त |
1 |
वी० नरहरि राव |
1948 |
1954 |
2 |
ए० के० चन्द |
1954 |
1960 |
3 |
ए० के० राय |
1960 |
1966 |
4 |
एस० रंगनाथन |
1966 |
1972 |
5 |
ए० बक्षी |
1972 |
1978 |
6 |
ज्ञान प्रकाश |
1978 |
1984 |
7 |
त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी |
1984 |
1990 |
8 |
सी० एस० सोमैया |
1990 |
1996 |
9 |
वी० के० शुंगलू |
1996 |
2002 |
10 |
वी० एन० कौल |
2002 |
2008 |
11 |
विनोद राय |
2008 |
2013 |
12 |
शशिकान्त शर्मा़[2] |
2013 |
2017 |
संविधान ने इस पद पर आसीन व्यक्ति को सरकारी खर्चों की जांच जैसे कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं। लोकतंत्र की सार्थकता के लिए यह पद काफी महत्वपूर्ण है। जय हिंद।
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