मुहूर्त विचार | Muhurat Vichar
Muhurat Vichar
गृहारंभ हेतु भूमि पूजन के मुहूर्त, भूमि शयन विचार एवं वत्स चक्र, नींव प्रारंभ करने हेतु शुभ काल, गृह निर्माण काल, निषिद्ध वचन, गृह प्रवेश निर्माण मुहूर्त, मशीन बिठाने का मुहूर्त, देव प्रतिष्ठा विचार, देव स्थापना का विशेष लग्न, देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त, मूर्ति प्रतिष्ठा के मुहूर्त के विषय में विचार, देवी की प्रतिमा प्रतिष्ठा, शत चंडी, सहस्र चंडी एवं लक्ष चंडी के मुहूर्त, प्रतिष्ठा विधान में ग्राह्म नक्षत्र।
गृहारंभ हेतु भूमि पूजन के मुहूर्त:
अंग्रेजी में एक कहावत है:Well Begun Half Done, यदि काम सही मुहूर्त में शुरू कर दिया जाए, तो पूरा होने में देरी नहीं लगती। नींव का मुहूर्त सही हो, तो मकान फटाफट बन जाता है। इसलिए सबसे पहले भूमि शयन पर विचार करना चाहिए।
भूमि शयन विचार एवं वत्स चक्र: सूर्य के नक्षत्र से चंद्रमा का नक्षत्र यदि 5-7-9-12-19-26 वां पड़े, तो भूमि को सुप्त माना जाता है। इन नक्षत्रों में बावड़ी, तालाब या गृह निर्माणादि के लिए भूमि को खोदना वर्जित है।
गृहारंभ के नक्षत्रानुसार वृष वास्तु आदि चक्रों में भी शुभाशुभ की परीक्षा की जाती है। यहां वत्स (वृष) चक्र बताया जा रहा है। यह राज मार्तड में उल्लिखित है।
वृषभाकार मान कर निम्न प्रकार से सूर्य के नक्षत्र की स्थापना करनी चाहिए:
इस प्रकार शुभ समय देख कर गृह निर्माण करना चाहिए।
नींव प्रारंभ करने हेतु शुभ काल:
बृहस्पतियुक्त पुष्य नक्षत्र, तीनों उत्तरा, रोहिणी, श्रवण, आश्लेषा, इन नक्षत्रों में गुरुवार के दिन प्रारंभ किया हुआ गृह पुत्र और राज्य देने वाला कहा गया है।
अश्विनी, चित्रा, विशाखा, धनिष्ठा, शतभिषा और आद्र्रा नक्षत्र के साथ यदि शुक्रवार हो, तो उस दिन किया गया नींव का मुहूर्त धन-धान्य देने वाला एवं शुभ होता है।
अश्विनी, रोहिणी, पूर्वाफाल्गुनी, चित्रा और हस्त नक्षत्रों में बुधवार के दिन प्रारंभ किया हुआ घर सुख, संपन्नता और पुत्रों को देने वाला होता है।
गुरुः शुक्राक्रचंद्रेषु स्वोच्यादि बलशालिषु।
गुर्वकेंदुबलं लब्धवा गृहारंभ प्रशस्यते।।
- ज्योतिष तत्व प्रकाश/श्लोक61/पृष्ठ421