उत्तराखंड चार धाम यात्रा – यात्रियों के लिए मार्गदर्शिका | Uttarakhand Chardham Yatra Travelers Guide
भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थान हैं। इनको चार धाम के नाम से भी जाना जाता हैं। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जो पुण्यात्मा यहां का दर्शन करने में सफल होते हैं उनका न केवल इस जनम का पाप धुल जाता है वरन वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं। इस स्थान के संबंध में यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थल है जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं। …
Char Dham Yatra Travel Tips & Tour Guide for 2017
28 अप्रैल को, गंगोत्री और यमुनोत्री के अत्यधिक पावन और सम्मानित मन्दिर की यात्रा सर्दियों के लम्बे अवकाश के दौरान जनता की माँग के बाद प्रारम्भ की गई थी।
उत्तराखंड हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र मंदिरों गंगोत्री (10,300 फीट), यमुनोत्री (10,750 फीट), बद्रीनाथ (10,500) और केदारनाथ (11,750 फीट) का स्थान है जो छोटे (मिनी) चार धाम का हिस्सा है।
हिंदू धार्मिक नेता और आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार, चार धाम भारत में चार पवित्र स्थानों की तीर्थयात्रा है; उत्तर में बद्रीनाथ (उत्तराखंड), पूर्व में पुरी (ओडिशा), दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडु) और पश्चिम में द्वारिका (गुजरात)।
सच्चे आस्तिक के लिए, जब तक चारों धामों की यात्रा न की जाए तब तक जीवन अपूर्ण रहता है, एक तीर्थस्थल का लक्ष्य किसी प्राणी को मोक्ष प्रदान करना होता है। हालांकि, उत्तराखंड के मिनी चार धामों में भी अगाध धार्मिक आस्था मौजूद है।
पहली बार उत्तराखंड की तीर्थयात्रा पर जाने वालों को कुछ आवश्यक तैयारी को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कुछ लोगों के लिए शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यहां कुछ युक्तियां और जानकारियां दी गई हैं जो आपको यात्रा के लिए तैयार करेंगी।
उस स्थान तक पहुँचना (How to Reach Char Dham Yatra)
हवाई जहाज द्वारा : निकटतम हवाई अड्डा देहरादून के जॉली ग्रांट में मौजूद है। कोई भी टैक्सी या सार्वजनिक परिवहन द्वारा ऋषिकेश तक पहुंच सकता है और फिर अपनी सुविधा के आधार पर तीर्थयात्रा शुरू कर सकता है।
रेल द्वारा : एक ट्रेन से ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून तक पहुंचा जा सकता है और फिर इसके आगे की यात्रा सड़क पर किसी वाहन द्वारा पूरी की जा सकती है।
सड़क मार्ग द्वारा : तीर्थयात्रा के लिए रवाना होने से पहले ऋषिकेश पहुंचकर आराम कर सकते हैं।
निजी टैक्सियों और बसों के अतिरिक्त, उत्तराखंड पर्यटन भी टैक्सियों, वैन और बसों का संचालन करता है। अधिक जानकारी उनके स्थानीय कार्यालयों से मिल सकती है।
दूरियों के बारे में (Distance Between Char Dham Yatra)
ऋषिकेश को शुरुआती आधार मानकर, यहाँ के स्थानों की दूरियों के बारे में आपको आगे की यात्रा के लिए एक सुझाव देगा।
हरिद्वार : 25 कि.मी.
देहरादून : 42 कि.मी.
देवप्रयाग : 72 कि.मी.
रुद्रप्रयाग : 140 कि.मी.
उत्तरकाशी : 171 कि.मी.
यमुनोत्री : 220 कि.मी.
केदारनाथ : 234 कि.मी.
जोशीमठ : 254 कि.मी.
गंगोत्री : 270 कि.मी.
बद्रीनाथ : 298 कि.मी.
यात्रा के लिए कपड़े
आपको कपड़ों और अन्य आवश्यक वस्तुओं को सावधानी से लाने के लिए यह योजना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आप न्यूनतम वजन चाहते हैं लेकिन किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार रहें।
गर्म वस्त्र : ऊपर और नीचे के लिए दो जोड़ी गर्म कपड़े ले जाएं; नीचे पहनने के कपड़े, पतली ऊनी फ़ुलस्लीव टी-शर्ट, सूती फ़ुलस्लीव टी-शर्ट, जीन्स, ऊनी और सूती मोजे, ऊनी टोपी या ऊनी मफलर, ऊनी दस्ताने, एक बाहरी थर्मल जैकेट साथ में ले जाना महत्वपूर्ण है।
ले जाने योग्य अन्य वस्तुएँ
लघु भूस्खलन सामान्य होते हैं और वे कई घंटे के लिए और कभी-कभी पूरे दिन के लिए ट्रैफ़िक बंद कर सकते हैं। आपको सूखे फल, अधिक ऊर्जा वाली चॉकलेट, बिस्कुट, पानी की बोतल / फ्लास्क जैसे आपातकालीन राशन के साथ तैयार रहना होगा।
ले जाने के लिए दवाएं
सिरदर्द, उल्टी, पेट दर्द, शरीर का दर्द, बुखार के लिए पेरासिटामॉल, ड़िहाइड्रेशन के लिए एलेक्ट्राल और ग्लूकोज पावड़र, ऐंटी सेप्टिक क्रीम या लोशन, पट्टियाँ और बैंन्डेज, हैंड सेन्टिजर्स, टॉयलेट पेपर रोल और नियमित टॉयलेटरीज़।
याद रखें, आपातकाल किसी भी समय हो सकती है और आपको सहायता या बचाव की अवधि तक जीवित रहने की आवश्यकता होगी।
Daily use के आइटम्स
ब्रश, शेविंग किट, शैम्पू , क्रीम, बॉडी लोशन, पेपर सोप, इत्यादि।
अन्य आवश्यक सामान
तीन-चार लोगों के बीच में 1 टॉर्च ज़रूर रख लें। पहाड़ों में कई बार बिजली नहीं आती और कभी-कभी चढ़ाई करते वक़्त या उतरते समय भी अँधेरा हो जाने पर टॉर्च बहुत काम आते हैं।
बाहरी भोजन करने के लिए
ठंड़े या कच्चे भोजन से बचें, ताजे तैयार किये गये गर्म भोजन को खाने की कोशिश करें। ज्यादा खाने से बचें क्योंकि लंबी सड़क यात्रा के कारण कुछ लोगों को उल्टियां भी शुरू हो सकती हैं। जल्दी सोकर पर्याप्त आराम प्राप्त करें। स्थानीय स्तर के पुलिस स्टेशनों, डीएम कार्यालय, उत्तराखंड पर्यटन कार्यालयों और संपर्क विवरणों का पता लगाएं और आगे बढ़ने से पहले प्रत्येक स्थान पर संपर्क करें।
यात्रा से पहले
पता कर लें कि यात्रा कब से शुरू है और कब तक चलेगी
चार धाम यात्रा हर समय चालू नहीं रहती। सर्दियों में लगभग 6 महीने के लिए यात्रा रोक दी जाती है। और गर्मियों में भी अत्यधिक बारिश होने पर यात्रा कुछ दिनों के लिए रोक दी जाती है। इसलिए प्लान करने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि यात्रा की timing क्या है।
सफ़र की शुरुआत
बेहतर होगा कि आप हरिद्वार पहुँच कर 4-5 ट्रेवल एजेंट्स से मिलकर रेट पता कर लें और कुछ बार्गेन कर के गाड़ी बुक कर लें। यदि आप पहले से बुक करेंगे तो शायद आपको 10-15 हज़ार अधिक देने पड़ें।
और अगर आपका बजट कम है तो आप सरकारी या प्राइवेट बसों से भी यात्रा कर सकते हैं।
हरिद्वार में भी घूमने के लिए मनसा देवी मंदिर और हर की पौड़ी और अन्य दर्शनीय स्थान हैं। हर की पौड़ी अपनी शाम की गंगा आरती के लिए प्रसिद्द है।
चढ़ाई करने ( यमुनोत्री और केदारनाथ दोनों जगहों पे ) या मंदिर तक पहुँचने के लिए आपके पास कई options हैं
- पैदल – पैदल चलते वक्त एक डंडी ले लेना ठीक रहता है, तब भी जब आप एकदम young हों। ये डंडी 10 रूपये किराए पर मिलती है।
- खच्चर / घोड़े द्वारा – इसमें आप खच्चर पर बैठ कर जाते हैं और खच्चर वाला आपके साथ-साथ चलता है। अगर आप इस तरह से जाते हैं तो ध्यान रखें कि खच्चर वाला हर समय घोड़े की लगाम पकड़ा रहे।
- बास्केट/ टोकरी या पिट्ठू द्वारा- इसमें आपको एक बास्केट में बैठना होता है जिसे अपनी पीठ पर उठा कर एक बन्दा आपको ऊपर तक ले जाता है। ये सुविधा छोटे बच्चों के लिए best है।
- पालकी- इसमें तीन से चार बन्दे एक पालकी पर बैठा कर यात्री को ऊपर तक ले जाते हैं। इसमें भारी-भरकम या उम्रदराज लोग बैठ कर जाते हैं।
- हेलीकाप्टर – केदारनाथ में बहुत से लोग हेलीकाप्टर से ऊपर-नीचे यात्रा करते हैं। यहाँ आप चाहें तो एक तरफ की यात्रा पैदल और एक तरफ हेलीकाप्टर से कर सकते हैं। हम लोगों ने चढ़ाई पैदल की थी और लौटे हेलीकाप्टर से थे, per person 3500 रु लगे थे।
सरकार की तरफ से हर एक सर्विस ( except helicopter) के अधिकतम रेट तय किये गए हैं, पर कई बार लोग अपना मनमाना रेट लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन यदि आप अपनी यात्रा early morning में शुरू करते हैं तो आपको सही रेट पर पिट्ठू ,खच्चर इत्यादि मिल सकते हैं।
चार धामों के आलावा भी आप कई ख़ूबसूरत और धार्मिक स्थानों का आनंद उठा सकते हैं
हर्षिल, चोपता, हनुमान चट्टी, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, लक्ष्मण झूला
इसके आलावा भी छोटे-बड़े कई स्थान हैं जहाँ आप जा सकते हैं, पर अधिकतर लोग समय की कमी के कारण इन्ही स्थानों को विजिट कर पाते हैं।
चार धाम यात्रा
चार धाम यात्रा उत्तराखण्ड राज्य में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा को कहते है।
- बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को हिंदू धर्म में सर्वाधिक पवित्र तीर्थ स्थल कहा गया है।
- कहते है कि यहां यात्रा न सिर्फ पाप मुक्त करती है बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से परे ले जाती है।
- इन सभी तीर्थस्थलों के हिमालय पर्वत श्रेणी की गोद में होने से इनका महत्व धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं।
- गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी ज़िले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है।
- चार धाम के दर्शन एक ही यात्रा में करने पर धार्मिक आधार पर पहले यमुनोत्री फिर गंगोत्री उसके बाद केदारनाथ और आखिर में बद्रीनाथ जाया जाता है।
कब शुरू हुई चार धाम यात्रा
कहा जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ की खोज की थी। उन्होंने ही धार्मिक महत्व के इस स्थान को दोबारा बनाया था. बताया जाता है कि भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति यहां तप्त कुंड के पास एक गुफा में थी और 16वीं सदी में गढ़वाल के एक राजा ने इसे मौजूदा मंदिर में रखा था. जबकि केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। स्थानीय लोग चारों धामों में श्रद्धा पूर्वक जाते थे, लेकिन 1950 के दशक में यहां धार्मिक पर्यटन के लिहाज से आवाजाही बढ़ी। 1962 के चीन युद्ध के चलते क्षेत्र में परिवहन की व्यवस्था में सुधार हुआ तो चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ने लगी।
फ्रेंड्स, उम्मीद करता हूँ यहाँ दी गयी जानकारी से आपको ज़रूर कुछ लाभ मिलेगा। सभी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के आगमन पर उत्तराखंड़ हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत करता है।
Jai Hind!
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