जानिए क्या है साइबर लॉ और दंड सहिंता भारत में | What is cyber law? Cyber Crime in India
आज भारत में जिस तरह इंटरनेट का विस्तार हो रहा है, उसी तरह यहाँ साइबर लॉ की जरूरत भी महसूस की जाने लगी है। वास्तव में साइबर लॉ की जरूरत हर उस देश में महसूस की जा रही है जहाँ भी साइबर अपराध हो रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर सभी विकासशील देशों जहाँ इंटरनेट अभी पूरी तरह से जड़ें जमा नहीं पाया है, वहाँ भी साइबर लॉ की जरुरत महसूस की जा रही है।.. …
साइबर कानून एवं अपराध | Cyber Law and Crime
आज आपने भी देखा होगा की हर कोई इंटरनेट की दुनिया में अपने कदम बढ़ा रहा है . इंटरनेट सारी दुनिया को सँजोकर रख देता है . कठिन से कठिन कार्य भी सरलता पूरक कम समय में किये जा रहे है.हम मानते है की इंटरनेट ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बनाया है, वहीं इससे बढ़ते अपराधों ने लोगों को काफी नुकशान भी पहुंचाया है।
आज यह भी देखा गया की लोग इंटरनेट के माध्यम से साइटों की हैकिंग, क्रेडिट कार्डों से लेन-देन में हेराफेरी, साइबर वायरस से सिस्टम को नुकशान पहुंचा रहे है. ऑनलाइन के माध्यम से लोगों के खातों से पैसे निकाल लेना,गलत तरीके से लोगों तक गलत जानकारी पहुचाना,गलत डाटा देकर किसी न किसी क्षेत्र में लाभ उठाना ये सब साइबर क्राइम कहलाते हैं. ऐसे अपराधों प्रकरणों से निपटने और उनकी सजा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं. ये प्रावधान साइबर लॉ के अंदर आते है।
इस कानून में हैकिंग, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, साइबर स्टॉकिंग, कम्प्यूटर सोर्स कोड के प्रसारण, नश्नता तथा बौद्धिक संपदा, कॉपीराइटर तथा ट्रेडमार्क से जुड़े अपराध के खिलाफ प्रावधान बनाए गए हैं. साइबर लॉ बनने के बाद इन कानूनी प्रावधानों तथा इनका उपयोग कर साइबर क्राइम पर रोक लगाने तथा ऐसे अपराध की पहचान कर अपराधियों को सजा दिलाने वालों की अतिआवश्यकता होती है।
साइबर क्राइम करना भारी पड़ेगा -: कंप्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज, वर्ल्ड वाइड वेब आदि के जरिए किए जाने वाले अपराधों के लिए छोटे-मोटे जुर्माने से लेकर उम्र कैद तक की सजा दी जा सकती है। दुनिया भर में रक्षा और जांच एजेंसियां साइबर अपराधों को बहुत गंभीरता से ले रही हैं। ऐसे मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 तो लागू होते ही हैं, मामले के दूसरे पहलुओं को न में रखते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी पनीयता कानून और यहां तक कि बिरले मामलों में आतंकवाद निरोधक कानून भी लागू किए जा सकते हैं। कुछ मामलों पर भारत सरकार के आईटी डिपार्टमेंट की तरफ से अलग से जारी किए गए आईटी नियम 2011 भी लागू होते हैं। कानून निर्दोष लोगों को साजिशन की गई शिकायतों से सुरक्षित रखने की भी मुनासिब व्यवस्था है, लेकिन कंप्यूटर, दूरसंचार और इंटरनेट यूजर को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि उनसे जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा है। तकनीकी जरियों का सुरक्षित इस्तेमाल करने के लिए हमेशा याद रखें कि इलाज से परहेज बेहतर है।
हैकिंग -: हैकिंग का मतलब है किसी कंप्यूटर, डिवाइस, इंफॉर्मेशन सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत रूप से घुसपैठ करना और डेटा से छेड़छाड़ करना। यह हैकिंग उस सिस्टम की फिजिकल एक्सेस के जरिए भी हो सकती है और रिमोट एक्सेस के जरिए भी। जरूरी नहीं कि ऐसी हैकिंग के नतीजे में उस सिस्टम को नुकसान पहुंचा ही हो। अगर कोई नुकसान नहीं भी हुआ है, तो भी घुसपैठ करना साइबर क्राइम के तहत आता है, जिसके लिए सजा का प्रावधान है।
कानून - आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (ए), धारा 66 - आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत कार्रवाई मुमकिन सजा: अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल और/या पांच लाख रुपये तक जुर्माना।
डेटा की चोरी -: किसी और व्यक्ति, संगठन वगैरह के किसी भी तकनीकी सिस्टम से निजी या गोपनीय डेटा (सूचनाओं) की चोरी। अगर किसी संगठन के अंदरूनी डेटा तक आपकी आधिकारिक पहुंच है, लेकिन अपनी जायज पहुंच का इस्तेमाल आप उस संगठन की इजाजत के बिना, उसके नाजायज दुरुपयोग की मंशा से करते हैं, तो वह भी इसके दायरे में आएगा। कॉल सेंटरों, दूसरों की जानकारी रखने वाले संगठनों आदि में भी लोगों के निजी डेटा की चोरी के मामले सामने आते रहे हैं।
कानून - आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी) - आईपीसी की धारा 379, 405, 420 - कॉपीराइट कानून सजा: अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल और/या दो लाख रुपये तक जुर्माना।
वायरस-स्पाईवेयर फैलाना -: कंप्यूटर में आए वायरस और स्पाईवेयर के सफाए पर लोग ध्यान नहीं देते। उनके कंप्यूटर से होते हुए ये वायरस दूसरों तक पहुंच जाते हैं। हैकिंग, डाउनलोड, कंपनियों के अंदरूनी नेटवर्क, वाई-फाई कनेक्शनों और असुरक्षित फ्लैश ड्राइव, सीडी के जरिए भी वायरस फैलते हैं। वायरस बनाने वाले अपराधियों की पूरी इंडस्ट्री है जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है।वैसे, आम लोग भी कानून के दायरे में आ सकते हैं, अगर उनकी लापरवाही से किसी के सिस्टम में खतरनाक वायरस पहुंच जाए और बड़ा नुकसान कर दे।
कानून - आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66
- आईपीसी की धारा 268
- देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरसों पर साइबर
आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लागू (गैर-जमानती)। सजा : साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में उम्र कैद। दूसरे मामलों में तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।
पोर्नोग्राफी -: पोर्नोग्राफी के दायरे में ऐसे फोटो, विडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है, जिसकी प्रकृति यौन हो और जो यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित हो। ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से प्रकाशित करने, किसी को भेजने या किसी और के जरिS प्रकाशित करवाने या भिजवाने पर पोर्नोग्राफी निरोधक कानून लागू होता है। जो लोग दूसरों के नग्न या अश्लील विडियो तैयार कर लेते हैं या एमएमएस बना लेते हैं और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दूसरों तक पहुंचाते हैं, किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील संदेश भेजते हैं, वे भी इसके दायरे में आते हैं। अपवाद: पोर्नोग्राफी प्रकाशित करना और इलेक्ट्रॉनिक जरियों से दूसरों तक पहुंचाना अवैध है, लेकिन उसे देखना, पढ़ना या सुनना अवैध नहीं है, लेकिन चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अवैध है। कला, साहित्य, शिक्षा, विज्ञान, धर्म आदि से जुड़े कामों के लिए जनहित में तैयार की गई उचित सामग्री अवैध नहीं मानी जाती।
साइबर लॉ के क्षेत्र में है कैरियर
साइबर लॉ विशेषज्ञों के अनुसार, साइबर लॉ करियर के लिहाज से आज एक बढ़िया विकल्प है। साइबर लॉ भविष्य में उज्जवल करियर विकल्प साबित हो सकता है। इसलिए लॉ, टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट, अकाउंट आदि क्षेत्रों से जुड़े छात्र या पेशेवर व्यक्ति भी यह कोर्स कर सकते हैं। यह क्षेत्र उनके लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिन्होंने पहले से लॉ कोर्स किया है। उन्हें लॉ के बेसिक्स नहीं पढ़ने होंगे, केवल साइबर क्राइम और इससे निपटने के तरीके सीखने होंगे।
वर्तमान में, भारत में नकदी आधारित परिचालन हर साल अर्थव्यवस्था पर 21,000 करोड़ रुपये का बोझ डालता है। यह भी उम्मीद की जाती है कि विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था के विकास में मदद मिलेगी। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि बढ़ते डिजिटल भुगतान केवल दुनिया के साइबर अपराधियों के लिये निमंत्रण के रूप में हैं।
साइबर क्राइम साइबर-क्रिमिनल की हरकतों से निजी चीज़ों की हिफाज़त करके जो इंटरनेट, वेबसाइटों, ई-मेल्स, कम्प्यूटर्स सेलफोन्स, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और डाटा स्टोरेज डिवाइसेस से ताल्लुक़ात रखते हैं उनको कम करता है। Information Technology Act 2000 भारतीय संसद का एक क़ानून है जिसे IT Act 2000 के नाम से भी जाना जाता है।
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