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जानें! क्या है इबोला वायरस, यहाँ ले महत्वपूर्ण जानकारी | Ebola virus information in Hindi


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आप सब लोगो ने इबोला वायरस (vírus Ebola) के बारे में सुना ही होगा। विश्व स्वास्थ संगठन (World Health Organization) ने इसे अंतराष्ट्रीय महामारी घोषित किया है। आइये जानते है इस वायरस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे।.. …

इबोला वायरस: कारण, लक्षण, निर्धारण और निवारण | Ebola virus causes, symptoms, diagnosis, treatments, prognosis & prevention

यह वर्तमान में एक गंभीर बीमारी का रूप धारण कर चुका है। इस बीमारी में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरु हो जाता है, जिससे internal bleeding प्रारंभ हो जाती है। यह एक अत्यंत घातक रोग है।इसमें 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है। इस रोग की पहचान सर्वप्रथम सन 1976 में इबोला नदी के पास स्थित एक गाँव में की गई थी। इसी कारण इसका नाम Ebola पड़ा।

आखिर क्या है इबोला वायरस और ये कैसे फैलता है

इबोला के संक्रमण का पहला मामला 40 साल पहले सामने आया था। उसके बाद ये बीमारी कई बार सामने आ चुकी है। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस बार का इबोला संक्रमण सबसे खतरनाक है। साल 1976 में अफ्रीका में पहली बार इबोला संक्रमण का पता चला था। सूडान के मुजिारा और कांगो का इबोलागिनी में एक साथ इबोला संक्रमण फैला था।

कांगो की ही इबोला नदी के नाम पर इस वायरस का नाम इबोला पड़ गया। तब से अब तक अफ्रीका में 15 बार इबोला संक्रमण फैल चुका है। हर बार कुछ तय सावधानियां और तौर-तरीके अपना कर ईबोला को महमारी बनने से रोकने में सफलता पाई जा चुकी है।

इबोला क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, फ्रूट बैट यानी चमगादड़ इबोला वायरस का प्राथमिक स्रोत है। इबोला वायरस 2 से 21 दिन में शरीर में पूरी तरह फैल जाता है। इसके संक्रमण से कोशिकाओं से साइटोकाइन प्रोटीन बाहर आने लगता है। कोशिकाएं नसों को छोड़ने लगती हैं और उससे खून आने लगता है।

इबोला विषाणु (वायरस) रोग है जो पहले इबोला रक्तस्रावी ज्वर के नाम से जाना जाता था। फिलोविरिडा वर्ग के वायरस से आक्रांत होने के कारण रोगी की हालत नाजुक हो जाती है। यह माना जाता है कि जानवर से मानव में इस रोग का संक्रमण होता है।

इस रोग से आक्रांत रोगी से जो शारीरिक तरल पदार्थ या पसीना निकलता है उससे वायरस फैलता है।

कैसे फैलता है ईबोला रोग

वैज्ञानिकों के अनुसार ये वायरस पाँच तरह के होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संक्रमित जानवर के रक्त, मल, मूत्र, और पसीना आदि के निकट संपर्क से यह रोग फैलता है।

मरीज के संपर्क में आने से इबोला संक्रमण होता है। मरीज के खून, पसीने के संपर्क से और छूने से ये फैलता है। महामारी वाले इलाके के पशुओं के संपर्क से भी ये फैलता है।

  • संक्रमित व्यक्ति के रक्त, स्राव, अंग या दूसरे तरल पदार्थ के संपर्क में आने से यह रोग फैलता है।
  • स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में संक्रमित व्यक्ति से स्रावित तरल पदार्थ के संपर्क में आने से इस रोग का प्रसार हो सकता है।
  • संक्रमित जानवर के मांस से संक्रमण हो सकता है।
  • मृत संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले पसीना के संपर्क में आने से भी यह रोग फैलता है।

ईबोला वायरस के लक्षण (Ebola Virus Symptoms)

इबोला के संक्रमण से मरीज के जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। त्वचा पीली पड़ जाती है। बाल झड़ने लगते हैं। तेज रोशनी से आंखों पर असर पड़ता है। पीड़ित मरीज बहुत अधिक रोशनी बर्दाश्त नहीं कर पाता। आंखों से जरूरत से ज्यादा पानी आने लगता है। तेज बुखार आता है। साथ ही कॉलेरा, डायरिया और टायफॉयड जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

आरंभिक लक्षण में ज्वर, फुन्सी, सर दर्द, मिचली, उल्टी और पेट में दर्द, पूरे शरीर में गठिया का दर्द, गले में दर्द, दस्त भी होता है।

इस रोग में रोगी की त्वचा गलने लगती है। यहाँ तक कि हाथ-पैर से लेकर पूरा शरीर गल जाता है। ऐसे रोगी से दूर रह कर ही इस रोग से बचा जा सकता है।

रोग के विकसित अवस्था में यह लक्षण भी नजर आते है :-

  • मुँह, कान, नाक से रक्तस्राव होता है।
  • त्वचा में दर्द का अनुभव होता है।
  • जननांग में सूजन होता है।
  • नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कंजेंगवाइटिस)
  • पूरे शरीर पर फुंसी नजर आने लगता है।
  • मुँह का तालु लाल हो जाता है।

इबोला संक्रमण का कोई तय इलाज नहीं है, लेकिन मरीज को बिल्कुल अलग जगह पर रख कर उसका इलाज किया जाता है, ताकि संक्रमण बाकी जगह न फैले। मरीज में पानी की कमी नहीं होने दी जाती। उसके शरीर में ऑक्सीजन स्तर और ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने की कोशिश की जाती है।

ईबोला वायरस से कौन ज़्यादा प्रभावित होंगे?

प्रवासी लोगों में इस वायरस के प्रसार का खतरा बढ़ता है। यह वायरस, अस्पताल में जहाँ संक्रमित रोगी का इलाज हो रहा है, उसके द्वारा अस्पताल के कर्मचारियों में भी फैल सकता है। इसके अलावा, मधुमेह ग्रस्त रोगियों, जिनका गुर्दा या यकृत विफल हो गया है और एच.आई.वी. ग्रस्त रोगी को इस रोग से सावधान रहना चाहिए।

ईबोला वायरस के उपचार (Ebola Virus treatment)

इस रोग के आक्रमण से बचने के लिए सामान्य रूप से साफ-सफाई रखना ज़रूरी होता है। अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें, साफ जगह से पीने का पानी पीयें, मांस को अच्छी तरह से पकायें। इसके अलावा भीड़-भाड़ के जगह से बचें। इस रोग के प्रारंभिक लक्षण को देखते ही चिकित्सक से तुरन्त सलाह लें।

इबोला वायरस की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आयी है। कुछ टीकों का परीक्षण हो चुका है तथा कुछ प्रक्रिया में हैं, लेकिन अभी तक चिकित्सा के लिए उपयोग नहीं किये गये हैं। अभी इस बीमारी का कोई ईलाज नहीं है। इसके लिए कोई दवा नहीं बनाई जा सकी है। इसका कोई एंटी-वायरस भी नहीं है।

  • रोगी के शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोटलाइट बनाये रखना
  • रोगी के शरीर का ऑक्सीजन स्तर बनाये रखना
  • ब्लड प्रेशर को बनाये रखना
  • दर्द से राहत के लिये उपचार
  • शरीर में अन्य वैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज के लिये दवायें और इंजेक्शन

क्या इबोला के लिये तैयार है भारत?

ईबोला को एक अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया है और इसलिए हर देश को घातक वायरस पर सतर्कता के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है। भारत को भी सतर्क होना चाहिए क्योंकि इबोला-प्रभावित अफ्रीकी देशों में 45000 भारतीयों के यात्रा करने से यह खतरनाक वायरस भारत में आ सकता है।

भारत में इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उठाये गये कदम

  • आपातकालीन 24 घंटे की हेल्पलाइन संख्याएं (011) -23061469, 3205 और 1302 स्थापित की गई हैं।
  • एयरपोर्टों और बंदरगाहों पर सुरक्षा बढा दी गयी है।
  • स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भारत में ईबोला की संभावना बहुत कम बताते हुए विषाणु के लिए सबसे उन्नत निगरानी और ट्रैकिंग सिस्टम को लागू कर दिया है इसलिए इबोला वायरस से चिंता करने की कोई बात नहीं है।
  • भारत में इलाज और प्रबंधन के लिए दिल्ली में राम मनोहर लोहिया अस्पताल को स्वास्थ्य सेवा केंद्र घोषित किया गया है।
  • रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय मिशनों ने प्रभावित देशों में निवासी भारतीयों से संपर्क करके उन्हें सभी शिक्षाप्रद सामग्रियों की आपूर्ति कराई ताकि वह वायरस से बचने के लिए निवारक उपाय कर सकें।

ईबोला वायरस की सबसे खतरनाक बात ये है कि इसकी चपेट में आने से मरने वालों की तादाद बेहद ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक ईबोला संक्रमित मरीजों में 50 से 80 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है।

कई देशो में Ebola महामारी की तरह फैलता जा रहा है। थोडी सी सावधानी और एहतियात रख कर Ebola से बचा जा सकता है। याद रहे :

रोकथाम ईलाज से बेहतर है ! Prevention is better than cure !!

हम आशा करते हैं कि अगर देश में सभी बीमारियों का पता चल जाएगा तो बीमारियों को नियंत्रण में लाया जा सकता है। हमें वायरस के सभी लक्षणों का पता लगते ही स्वच्छता की तरह हर समय सावधानी बनाये रखते हुए डाक्टर के पास जाना चाहिए और इस रोग के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढानी चाहिए।

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