विदेश में रह रहे भारतीयों को भारत सरकार का बड़ा तोहफा!
केंद्र सरकार ने मुसीबत से घिरे होने पर विदेश में प्रवासी भारतीयों को मदद करने वाली योजनाओं में एक और सौगात और दे दी है, जिसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने से मुसीबत में घिरा भारतीय को तत्काल मदद मिल सकेगी। …
विदेशों में फंसे भारतीयों की मदत करेगा ये फेसबुक ऐप
समस्या का समाधान स्थानीय स्तर पर
विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया के लोकप्रिय मंच फेसबुक पर 172 देशों में अपने मिशनों को एक साथ समेटकर फेसबुक एक नया एप विकसित किया है, जिससे विदेशों में जरूरतमंद भारतीयों को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक पहुंचने की जरूरत नहीं होगी और वह उन देशों में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त या मिशन प्रमुखों से सीधे संपर्क करके मदद हासिल कर सकेंगे। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस एप के जरिए अब बर्लिन में हनीमून के लिये पत्नी का पासपोर्ट हासिल करने के लिए लोगों को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मसलन अब मदद के लिए विदेशों में भारतीय उस देश में भारतीय मिशन से संपर्क कर करते हुए अपनी समस्या का समाधान स्थानीय स्तर पर ही करा सकेंगे।
पोर्टल ‘मदद’ भी कारगर
मंत्रालय का दावा है कि मोदी सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय ने प्रवासी भारतीयों की सुविधाओं में विस्तार करने की कई महत्वपूर्ण योजनाओं में आमूलचूल परिवर्तन किये हैं। इन नई योजनाओं के जरिए सात समुंदर पार ऐसे भारतीयों की मुसीबत का साथी बनकर एक वेबसाइट पोर्टल ‘मदद’ को भी शुरू किया है, जो प्रवासी भारतीयों के लिए कारगर साबित हो रहा है। प्रवासी भारतीय मामले के मंत्रालय का दावा है कि ‘मदद’ नामक यह वेबसाईट कोई साधारण वेब साईट नही है, बल्कि इसमे यह सुनिश्चित किया गया है कि इन भारतीयो तक फौरन ही संबन्धित देश में स्थित भारतीय दूतावास कारगर ढंग से उन्हें मदद करे। दरअसल केंद्र सरकार ने इस पोर्टल को इस तरह से डिजाइन कराया है, जिसमें भारतीयो को एक निश्चित समय सीमा के भीतर मे फौरी राहत मिल सकेगी। यही नहीं इसके अलावा सरकार ने संबन्धित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है।
खाड़ी देशों की मुसीबत
मंत्रालय के अनुसार ज्यादातर खाड़ी देशों से भारतीय कामगारों की समस्याओं की शिकायतें मिलती रहती है। इनमें प्राय मजदूरी न दिए जाने अथवा देर से दिए जाने, कामकाज और रहने की कठिन परिस्थितियां, कामगारों के अनुबंध में एकपक्षीय बदलाव, नियोक्ता द्वारा पासपोर्ट अपने पास रखना, दलालों द्वारा धोखा देना, शारीरिक और यौन उत्पीड़न इत्यादि प्रमुख हैं। सरकार की योजनाओं में मुसीबत में घिरे भारतीय कामगारों को कानूनी मदद मुहैया कराना भी शामिल है। इसी दृष्टि से भारत सरकार ने भारतीय श्रमिकों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय खासकर संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, बहरीन और मलेशिया जैसे खाड़ी देशों समेत अनेक देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करती रही है।
जब प्रवासी भारतीयों के लिए मसीहा बन जाती हैं सुषमा
दरअसल जब से सुषमा स्वराज जब से देश की विदेश मंत्री बनी हैं उन्होंनें तब से ट्विटर के माध्यम से खुद को लोगों को 24 घंटे जोड़ रखा है और दुनिया के किसी भी कोने से लोग उनसे मदद मांग सकते हैं. दुनिया के किसी भी कोने से जब भी किसी ने ट्वीट करके उनसे मदद मांगी तो उन्होंनें किसी को नाराज नहीं किया. हर व्यक्ति को जवाब दिया और संबंधित राजदूत को निर्देश दिए हैं. लेकिन अब विदेश मंत्रालय ने महसूस किया है कि इनमें से कई निवेदन ऐसे होते हैं जिन्हें सीधे विदेश मंत्री से करने की कोई जरूरत नहीं हैं. क्योंकि जो काम सुषमा स्वराज बतौर विदेश मंत्री कर रही हैं वो काम तो राजदूत और उच्चायोग का है और ये जिम्मेदारी उन्हें निभानी चाहिए.
यहां हम आपको बताएंगे सुषमा स्वराज के सबसे बड़े राहत अॉपरेशन्स के बारे में, जिनमें उन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों की सकुशल घर वापसी करवाई है.
‘अॉपरेशन राहत’
यमन में हाउथी विद्रोहियों और सरकार के बीच जंग छिड़ गई और इस जंग में फंस गए हजारों भारतीय. ऊपर से सऊदी अरब की हवाई सेना लगातार बमबारी कर रही थी. ऐसे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अॉपरेशन राहत चलाने का फैसला किया. अॉपरेशन इस हद तक सफल था कि कुल 41 देशों के नागरिकों को युद्धग्रस्त यमन से निकाला गया.
इस ऑपरेशन में 5600 लोगों का बचाया गया, जिसमें 4640 भारतीय और 960 विदेशी थे.
‘ऑपरेशन संकटमोचन’
पिछले महीने दक्षिण सूडान में एक बार फिर सिविल वॉर शुरू हो गई. विदेश मंत्रालय ने दक्षिण सूडान में फंसे भारतीयों के एयर लिफ्ट की व्यवस्था की. दक्षिण सूडान से 150 से ज्यादा भारतीयों को बाहर निकाला गया. इनमें 56 लोग केरल से शामिल थे. साथ ही 2 नेपाली लोगों को भी दक्षिण सूडान से वापस लाया गया.
29 भारतीयों की लीबिया से वापसी
12 मई की सुबह 29 भारतीयों को लीबिया से वापस लाया गया. इनमें केरल के 6 परिवार और तमिलनाडु के 3 परिवार शामिल थे. लीबिया में ही एक नर्स और उसके बेटे की मौत के बाद इसे सुषमा की बड़ी कामयाबी माना गया.
जूडिथ डिसूजा केस
कोलकाता की रहने वाली जूडिथ को 9 जून को काबुल से अगवा कर लिया गया था. जूडिथ काबुल में आगा खान फाउंडेशन के लिए सीनियर टेक्निकल एडवाइजर के तौर पर काम कर रही थीं. विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने अफगान अधिकारियों के साथ मिलकर जूडिथ की रिहाई सुनिश्चित करवाई. इसके लिए भी सुषमा स्वराज ने खूब वाहवाही बटोरी.
इसके अलावा सुषमा ने कई लोगों की मदद की, जिसमें शामिल है अपने मां-बाप से बिछड़ चुकी गीता, बांग्लादेश में 6 साल तक फंसा सोनू.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि विदेश में मुसीबत में फंसे लोग संबंधित भारतीय मिशन को एक ट्वीट करें और उन्हें भी टैग करें ताकि वह व्यक्तिगत तौर पर शिकायत निवारण पर निगरानी रख सकें। सुषमा ने ट्वीट किया कि कृपया अपनी परेशानी संबंधित भारतीय राजदूत प्राधिकारी को ट्वीट करें और इसे एट सुषमा स्वराज पर टैग कर दें। यह आपात स्थिति में समय बचाएगा।
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