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23 जून: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस, ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन | International Olympic Day in Hindi


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“ओलंपिक डे” इस दिन को सर्वप्रथम 1948 मे परिचित करवाया गया था, परंतु ओलंपिक गेम्स की शुरवात इससे कई वर्ष पूर्व 23 जून 1894 को सोरबोन, पेरिस में हो चुकी थी. इस 23 जून को, 1948 से हर वर्ष अंतराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। …

विश्व ओलंपिक दिवस का इतिहास | World Olympic Day History

इसका मुख्य उद्देश्य खेलों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर और हर आयु वर्ग और लिंग के लोगों कि भागीदारी को बढ़ावा देना था. जब सर्वप्रथम ऑलिंपिक डे मनाया गया था, तो इसे अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समितियों द्वारा कुल 9 देशों में मनाया गया था, जिसमें आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, ग्रीस, पुर्तगाल, स्वीज़रलेंड, Uruguay और वेनज़ुएला शामिल थे।

ओलंपिक खेल का आयोजन प्रति चार वर्षो में अंतराष्ट्रीय खेल समिति द्वारा किया जाता है. यह विश्व में होने वाली अग्रणी खेल प्रतियोगिता है, इसमे 200 से अधिक देश हिस्सा लेते है. इस प्रतियोगिता में कई तरह के ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन खेल होते है।

अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के बारे मे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

जानकारी विवरण
स्थापना 23 जून 1894
प्रकार स्पोर्ट्स फेड्रेशन
मुख्यालय लौसन, स्वीज़लेंड
मैम्बरशिप 105 एक्टिव मेम्बर, 32 ओनोरी मेम्बर
औपचारिक भाषा इंग्लिश और फ्रेंच
अध्यक्ष थॉमस बेच
उपाध्यक्ष
  • नवल ईएल मोतवाकेल
  • क्रैग रीडी
  • जॉन कोटेस
ऑफिसियल वैबसाइट Olympic.org

ओलंपिक डे अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेलिब्रेट किया जाता है

सैकड़ो या कह सकते है हजारों की संख्या में छोटे बड़े और विभिन्न देशो के लोग विभिन्न तरह के खेलों जैसे दौड़, एक्सिबिशन, म्यूजिक और एजुकेशन आदि में भाग लेते है, और अपनी प्रतिभा का परिचय देते है, और अपने देश का प्रतिनिधित्व करते है. ओलंपिक डे आज के समय में केवल एक स्पोर्ट्स इवैंट न रहकर काफी आगे बढ़ चुका है और इसके तीन मुख्य स्तंभ (move) आगे बड़ो, (learn) सीखों, और (discover) खोजों है. इसमें हर समय कुछ नए खेलों को शामिल किया जाता है. कुछ देशों में इस खेलों के संदर्भ में जानकारी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया है, तो कुछ जगह नेशनल ओलंपिक कमेटी के सदस्यों ने इससे संबन्धित प्रदर्शनियों को इसमें शामिल किया है. आज के समय में ओलंपिक डे केवल एक उत्सव न रहकर एक अंतराष्ट्रीय प्रयास बन चुका है, जिसकें द्वारा फ़िटनेस और अच्छा इंसान बनने को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस गेम्स के द्वारा खिलाड़ियो में सही खेल, एक दूसरे के लिए रिस्पेक्ट और स्पोर्ट्समेनशिप की भावना को बढ़ावा दिया जाता है।

  • इस दिन सैकड़ों जवान और बूढ़े दौड़, प्रदर्शनियों, संगीत और शैक्षिक सेमिनार के रूप में खेल गतिविधियों में भाग लेते हैं।
  • 3 जून 1894 में पेरिस में आयोजित आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूआत के उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है।
  • इस दिवस की शुरूआत वर्ष 1948 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा की गई, जब स्विट्ज़रलैंड के नगर सेंट-मोरित्ज़ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के 42वें सत्र में यह निर्णय लिया गया था कि भविष्य में प्रत्येक वर्ष इस संगठन के गठन की तिथि पर (23 जून) अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाएगा।
  • लिंग, उम्र या एथलेटिक क्षमताएँ चाहे जैसी भी हों, यह दिन लोगों को चुस्त और सक्रिय बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • ओलंपिक दिवस हार-जीत की चिंता किए बिना खेल की भावना बढ़ाता है। प्रतिभागिता महत्वपूर्ण है और अन्य बातें बाद में आती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 23 जून 1986 को पियर डी कूबर्टिन द्वारा इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी की स्थापना के पारंपरिक अवसर के रूप मनाया जाता है।
  • 1987 में, रूस ने इस दिन को ओलंपिक मूल्यों और आदर्शों के लिए समर्पित किया। यह दिन लोगों को शारीरिक गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विश्व ओलंपिक दिवस रन (International olympic day run)

पिछले कई वर्षो से ओलंपिक डे रन का आयोजन पूरे विश्व में किया जा रहा है. पहली ओलंपिक डे रन 1987 में की गयी थी, राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा प्रतिवर्ष इस दौड़ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य ओलंपिक डे को मनाना और देश में ओलंपिक डे प्रैक्टिस को प्रोत्साहन देना था. सन 1987 में सर्व प्रथम कुल 45 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों ने इसमे अपनी हिस्सेदारी दी थी, जो संख्या आज बढ़कर 100 से ज्यादा पहुच चुकी है. इस ओलंपिक डे रन में हर उम्र के बच्चे, पुरुषो व महिलाओ को शामिल किया जाता है।

विश्व ओलंपिक खेलों में 3 मिलियन से अधिक प्रतिभागिता

2016 में रियो में हुये ओलंपिक खेलों में विभिन्न देशों से कुल 3.8 मिलयन पुरुष, स्त्रियो ओर बच्चों ने भाग लिया था. यह इसकी और अंतराष्ट्रीय खेलों की बढ़ती लोकप्रियता का प्रतीक है, जिसमें हर खिलाड़ी हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा को साबित करना चाहता है और एक नया मुकाम हासिल करना चाहता है

अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का मुख्य उद्देश्य (International olympic committee Aim)

नेशनल ओलंपिक समिति का मुख्य उद्देश्य ओलंपिक खेलों का प्रचार पूरे विश्व में करना और ओलंपिक खेलों का प्रतिनिधत्व करना है।

मुख्य उद्देश्य निम्न है :-

  • प्रत्येक देश में खिलाड़ियो को प्रोत्साहित करना और उन्हे सपोर्ट करना , खेलों और खेलों के संदर्भ मे होने वाली प्रतियोगिताओ का विकास और व्यवस्थाओ कि देखरेख करना.
  • ओलंपिक गेम्स के रेगुलर सेलिब्रेशन को संभावित करना.
  • यह समिति सार्वजनिक और निजी संगठनो और अधिकारियों के सहयोग से खेल क्षेत्रों में शांति और मानवता बनाए रखने के प्रयास करती है.
  • यह समितियाँ ओलंपिक आंदोलन को प्रभावित करती है तथा किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध करती है.
  • यह समितियाँ खेलों में हर स्तर पर महिलाओ को प्रोत्साहित करती है और हर जगह महिलाओ और पुरुषों के साथ समान व्यवहार करती है.

इंटरनेशनल ओलंपिक खेलों में उपलब्ध सम्मान (International olympic medals)

ओलंपिक खेलों में मिलने वाले मेडल्स के अलावा भी कई ऐसे अवार्ड है, जिन्हे अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा खिलाड़ियों को दिया जाता है. यह अंतराष्ट्रीय खेल समिति द्वारा दिये जाने वाले अवार्ड इस प्रकार है।

  • आई ओ सी प्रेसिडेंट ट्रॉफी ओलंपिक खेलों में मिलने वाला सबसे बढ़ा अवार्ड है, यह उस खिलाड़ी को दिया जाता ,है जिसने अपने खेल में अच्छा प्रदर्शन किया हो, साथ ही में उस खिलाड़ी का पूरा कैरियर भी उत्कर्ष प्रदर्शन वाला रहा हो और उसने अपने खेल में एक स्थायी प्रभाव दर्ज किया हो.
  • ओलंपिक खेलों मे दिया जाने वाला दूसरा अवार्ड pierre de coubertin medal है, यह उस खिलाड़ी को दिया जाता है जिसने पूरे ओलंपिक खेल में एक स्पेशल खेल भावना का प्रदर्शन किया हो.
  • ओलंपिक खेलों में ओलंपिक कप उस संस्था या संगठन को दिया जाता है, जिसने ओलंपिक खेलों के विकास में प्रयास किए हो.
  • ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने ओलंपिक खेलों में अपना विशेष योगदान दिया हो.

ओलंपिक खेलों मे भारतीय खिलाड़ियो द्वारा जीते गए मेडल

भारतीय खिलाड़ियो ने 30 ओलंपिक खेलों में कुल 9 गोल्ड, 7 सिल्वर और 12 कास्य पदक जीते और भारत को विश्व खेल जगत में गौरवान्वित किया. यहाँ हम उन खिलाड़ियो की लिस्ट दे रहे है, जिन्होंने अपने प्रयासों से ओलंपिक खेल में अवार्ड्स जीते और अपने आप को और देश को विश्व में सम्मान दिलवाया।

व्यक्ति या टीम का नाम मेडल वर्ष खेल
नॉर्मन प्रीचर्ड सिल्वर 1900 एथ्लेटिक्स
नॉर्मन प्रीचर्ड सिल्वर 1900 एथ्लेटिक्स
नेशनल टीम गोल्ड 1928 हॉकि
नेशनल टीम गोल्ड 1932 हॉकि
नेशनल टीम गोल्ड 1936 हॉकि
नेशनल टीम गोल्ड 1948 हॉकि
नेशनल टीम गोल्ड 1952 हॉकि
खाशाबा दादासाहेब जाधव कास्य 1952 रेस्लिंग
नेशनल टीम गोल्ड 1956 हॉकि
नेशनल टीम सिल्वर 1960 हॉकि
नेशनल टीम गोल्ड 1964 हॉकि
नेशनल टीम कास्य 1968 हॉकि
नेशनल टीम कास्य 1972 हॉकि
नेशनल टीम गोल्ड 1980 हॉकि
लिंडर पेस कास्य 1996 टैनिस
करनाम मल्लेश्वरी कास्य 2000 वेट लिफ्टिंग
राज्यवर्धन सिंह राठोर सिल्वर 2004 शूटिंग
अभिनव बिंद्रा गोल्ड 2008 शूटिंग
विजेंद्र सिंह कास्य 2008 बॉक्सिंग
सुशील कुमार कास्य 2012 रेस्लिंग
गगन नारंग कास्य 2012 शूटिंग
विजय कुमार सिल्वर 2012 शूटिंग
साइना नहवाल कास्य 2012 बैडमिंटन
मेरी कॉम कास्य 2012 बॉक्सिंग
योगेश्वर दत्त कास्य 2012 रेस्लिंग
सुशील कुमार सिल्वर 2012 रेस्लिंग
पीवी सिंधु सिल्वर 2016 बैडमिंटन
साक्षी मलिक कास्य 2016 रेस्लिंग
मीराबाई चानू सिल्वर 2020 वेट लिफ्टिंग
लवलीना बोरगोहेन कांस्य 2020 मुक्केबाजी
पीवी सिंधु कांस्य 2020 बैडमिंटन
रवि कुमार दहिया सिल्वर 2020 रेस्लिंग 57 किग्रा
पुरुष हॉकी टीम कांस्य 2020 हॉकी
बजरंग पुनिया कांस्य 2020 रेसलिंग 65 किग्रा
नीरज चोपड़ा गोल्ड 2020 मेंस जेवलिन थ्रो

ओलंपिक में भारत

भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भी अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को तैयार करने में सक्षम नहीं है। ओलंपिक में हमारे देश का प्रदर्शन हमेशा खराब रहा है। क्या आपको नहीं लगता है कि ओलंपिक में या किसी अन्य प्रतियोगिता में जीतने वाले पदकों की राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए? पदक जीतना निश्चित रूप से विश्व में अपनी अहमियत को बढ़ाना है जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि सुधरेगी।

भारत वर्ष 1990 से ओलंपिक में हिस्सा ले रहा है लेकिन अभी तक सिर्फ 35 पदक जीता है। दूसरी तरफ अमेरिका ने सिर्फ वर्ष 1990 के ओलंपिक में ही 37 पदक जीत लिये थे। केन्या और इथियोपिया, जो कि दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक हैं और उनके पास खाने-पीने का भी उचित प्रबंध नहीं है, फिर भी वे सबसे अच्छे और सबसे मजबूत खिलाड़ियों की उत्पत्ति करते हैं। हमें यह उनसे सीखना चाहिए कि वे ऐसा कैसे कर लेते हैं। भारत में भ्रष्टाचार और खेलों के प्रति उदासीनता ओलंपिक में खराब प्रदर्शन के अन्य प्रमुख कारण में से एक है।

हमें अपने देश में स्कूल स्तरों पर अधिक से अधिक खेल प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जाना चाहिए। सरकार को उभरते खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए धन मुहैया कराना चाहिए। ओलंपिक के खिलाड़ियों या अन्य ऐसे खेलों के चयन के दौरान कोई भी भेदभाव, आरक्षण और पक्षपातपूर्ण विचार नहीं होना चाहिए। भारत के हर खेल को क्रिकेट की तरह प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि खिलाड़ी उत्साह से खेल सकें।

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