मकर संक्रांति कब और क्यों मनाया जाता है?, क्या है इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व, जाने पूजा विधि पूरी जानकारी | Importance, Significance and Puja Vidhi of Makar Sankranti in Hindi
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस संक्रांति को मनाया जाता है। यह त्यौहार अधिकतर जनवरी माह की चौदह तारीख (14 Jan) को मनाया जाता है।.
विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां पर सबसे ज्यादा पर्व या उत्सव मनाएं जाते हैं। इस कारण ही भारत पूरे विश्व में अपनी अलग ही छवि बनाये हुए है। भारत में सभी पर्वों का विशेष महत्व होता है, उसी में से एक मकर संक्रांति का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भारत में इस पर्व को मनाने का तरीका अलग-अलग जगह पर अलग-अलग है।.. […]
मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है. इस दिन सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण होता है. इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी पर्व के रूप में भी जाना जाता है. देश के विभिन्न प्रांतों में मकर संक्रांति पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है. असम में इसे माघ बिहू एवं भोगल बिहू के नाम पुकारा जाता है. पंजाव एवं हरियाणा में प्रांत में मकर संक्रान्ति को लोहरी पर्व के रूप में लोग मनाते हैं. उत्तर प्रदेश में इस पर्व को दान पर्व एवं खिंचड़ी पर्व के तौर पर मनाया जाता है. बिहार में मकर संक्रांति को तिल संक्रांति एवं खिचड़ी पर्व के नाम से मनाते हैं.
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? | Why Makar Sankranti Celebrated in Hindi
जब सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रान्ति का त्योहार मनाया जाता है. ज्यादातर ये त्योहार 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान, दान व पुण्य का शुभ समय का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गुड़ व तिल लगा कर नर्मदा में स्नान करना लाभदायी होता है।
बच्चे इस त्यौहार को लेकर उत्साहित होते हैं। क्योंकि इस त्यौहार पर बच्चे पतंगों के साथ खेलते हैं अर्थात पतंग उड़ाते हैं। पतंग उड़ाने के साथ-साथ बच्चे इस त्यौहार का भरपूर लाभ उठाते हैं और मिष्ठान इत्यादि का भी उपभोग करते हैं।
मकर संक्रांति धार्मिक और पौराणिक महत्व | Spiritual, Religious and Importance and Significance of Makar Sankranti in Hindi
मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है. इस दिन सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण होता है. इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी पर्व के रूप में भी जाना जाता है. देश के विभिन्न प्रांतों में मकर संक्रांति पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है. असम में इसे माघ बिहू एवं भोगल बिहू के नाम पुकारा जाता है. पंजाव एवं हरियाणा में प्रांत में मकर संक्रान्ति को लोहरी पर्व के रूप में लोग मनाते हैं. उत्तर प्रदेश में इस पर्व को दान पर्व एवं खिंचड़ी पर्व के तौर पर मनाया जाता है. बिहार में मकर संक्रांति को तिल संक्रांति एवं खिचड़ी पर्व के नाम से मनाते हैं.
मकर संक्रांति और धार्मिक भावनाएं: मकर संक्राति जिस तरह देश के सभी प्रांतों में श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है उससे यही अनुमान होता है कि इस पर्व में कहीं न कही कुछ धार्मिक मान्यताएं भी शामिल हैं. इस पर्व का जिक्र हमारे कई धार्मिक ग्रंथों में हुआ है जिससे इस पर्व के धार्मिक महत्व का ज्ञान होता है. धर्म ग्रंथों में सबसे आदरणीय "गीता" जिसे भगवान श्री कृष्ण की वाणी माना जाता है उसमें कहा गया है कि उत्तरायण का 6 महीना देवता का दिन है और दक्षिणायण का 6 महीना देवताओं के लिए रात्रि है. जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है उसे कृष्ण के लोक में स्थान प्राप्त होता है, उसे मुक्ति मिल जाती है. जबकि, दक्षिणायन में शरीर त्यागने वाले को पुन: जन्म लेना पड़ता है.
महाभारत काल में भिष्म पितामह जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. वाणों की शैय्या पर लेटे रहने के बावजूद उन्होंने दक्षिणायण में प्राण त्याग नहीं किया बल्कि सूर्य के उत्तरायण में होने तक इंतजार करते रहे. मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के पुण्य दिन जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेश किया तब उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया
मकर संक्रान्ति के विषय में एक अन्य धार्मिक कथा है कि भगवान श्री कृष्ण को पुत्र रूप में पाने के लिए यशोदा माता ने व्रत किया था. गंगावतरण की कथा भी मकर संक्रान्ति से सम्बन्धित है. माना जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा भगीरथ मुनि के पीछे-पीछे चलते हुए सागर में जा मिली थी. मकर संक्रान्ति के दिन गंगा का सागर में संगम होने के कारण इस दिन गंगासागर में स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है
मकर शनि की राशि है. मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य शनि की राशि में प्रवेश करता है. सूर्य देव शनि के पिता हैं. पिता अपने पुत्र से मिलने उनके घर जाता है. शनि और सूर्य दोनों ही पराक्रमी ग्रह हैं इन दोनों के शुभ फल से मनुष्य अपार सफलता प्राप्त कर सकता है. इसलिए लोग मकर संकान्ति के पावन पर्व पर सूर्य एवं शनि देव को भी प्रसन्न करते हैं.
मकर संक्रांति का इतिहास | History of Makar Sankranti
मकर संक्रांति को लेकर बहुत ही पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है। परंतु इसमें से भगवान सूर्य का अपने पुत्र शनि से मिलने की पौराणिक मान्यता सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
सनातन धर्म मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और भगवान सूर्य के द्वारा उनके घर में प्रवेश मात्र से ही शनि का प्रभाव दुर्बल हो जाता है।
क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने नकारात्मक शक्तियां बिल्कुल भी नहीं टिक पाती और यही कारण है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और सूर्य से संबंधित दान संबंधित कार्य किए जाते हैं और शनि के दोष से मुक्ति मिलती है।
मकर संक्रांति कब मनाया जाती है? मकर संक्रांति 2022 के दिन शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Kab Hai) | When Makar Sankranti Celebrated 2022 Date and timing
मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी.
- पुण्य काल के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 05:45 बजे के बीच है, जोकि कुल 3 घंटे और 02 मिनिट है.
- इसके अलावा महा पूण्य काल के शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 04:28 बजे के बीच है जोकि कुल 1 घंटे 45 मिनिट के लिए है.
कभी-कभी यह पर्व एक दिन पहले या एक दिन बाद में मनाया जाता है अर्थात् 13 या 15 जनवरी। लेकिन ऐसा कम ही होता है। इस पर्व का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। जब भी सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उस दिन 14 जनवरी ही होता है। इसलिए यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है।
मकर-संक्रांति व्रत विधि | Makar Sankranti Vrat Vidhi in Hindi
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।
संक्रांति पूजा समय (Auspicious Timing For Pooja on Makar Sankranti 2022)
संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना शुभ माना जाता है। इस साल यह शुभ काल 14 जनवरी, 2022 को 2 PM बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 21 मिनट तक का है। (शुभ मुहूर्त दिल्ली समयानुसार है।)
मकरसंक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान, दान, व पूण्य का विशेष महत्व है. इस दिन लोग गुड़ व तिल लगाकर किसी पावन नदी में स्नान करते है. इसके बाद भगवान् सूर्य को जल अर्पित करने के बाद उनकी पूजा की जाती हैं और उनसे अपने अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना की जाती है. इसके पश्चात् गुड़, तिल, कम्बल, फल आदि का दान किया जाता है. इस दिन कई जगह पर पतंग भी उड़ाई जाती है. साथ ही इस दिन तीली से बने व्यंजन का सेवन किया जाता है. इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भी भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं, और खिचड़ी का दान तो विशेष रूप से किया जाता है. जिस कारण यह पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस दिन को अलग अलग शहरों में अपने अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है. इस दिन किसानों के द्वारा फसल भी काटी जाती हैं.
मकर संक्रांति त्यौहार और अलग-अगल जहग पर अलग-अलग तरीका | Makar Sankranti Clebration in Different Parts of India
मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे सक्रांति कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है।
पंजाब और हरियाणा में नई फसल के स्वागत के रूप मनाया जाता है, जहां इसे लोहड़ी कहा जाता है। वहीं असम में इसे बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास से मनाया जाता है। हर प्रान्त और जगह पर इसके मनाने का तरीका अलग है।
FAQ
Q : मकर संक्रांति सन 2022 में कब है ?
Ans : मकर संक्रांति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है।
Q : मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है ?
Ans : दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक
Q : मकर संक्रांति में किसकी पूजा की जाती है ?
Ans : भगवान सूर्य की पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ की जाती है।
Q : मकर संक्रांति में किस चीज का भोग लगता है ?
Ans : तिल के लड्डू एवं गुड का भोग लगाया जाता है।
Q : मकर संक्रांति का नाम क्या अलग अलग जगहों पर अलग अलग है ?
Ans : जी हां, विभिन्न राज्यों में अलग अलग नाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है.
निष्कर्ष
इन सभी धार्मिक भावनाओं एवं मान्यताओं से प्रेरित होकर लोग मकर संक्रान्ति का उत्सव मनाते हैं. I Love My India जय हिंद।
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