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NSG क्‍या है?, न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप के भारत को फायदे | Nuclear suppliers group (NSG) benefits India


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न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप ज्‍़यादातर अंतरराष्ट्रीय परमाणु कारोबार पर कंट्रोल करता है। इसकी सदस्यता मिलने से दूसरे देशों से टेक्‍नोलॉजी इस्तेमाल करने और परमाणु सामग्री खरीदने में आसानी होती है।

सही तरह से बोला जाये तो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले तीन माह से तो इसी के लिए मेहनत कर रहे हैं. ऐसे में हल्ला यह हो रहा है कि आखिर गरीबी और भूखमरी जैसी समस्याओं को छोड़कर, नरेन्द्र मोदी यह एनएसजी-एनएसजी, क्या कर रहे हैं?

तो आइये आपको सबसे पहले यही समझाते हैं-

क्या है एनएसजी(NSG)?

एनएसजी 48 देशों 5 परमाणु ताक़त देश हैं + 43 अन्य सदस्य का वह अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने और सदस्य देशों द्वारा मिलकर परमाणु संयंत्र के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन कार्य पर जोर देना है. ऊर्जा उत्पादन का ये कार्य परमाणु सामग्री के आदान प्रदान से ही संभव है इसलिए केवल शांतिपूर्ण काम के लिए इसकी आपूर्ति की जाती है. गौरतलब है कि इस ग्रुप में शामिल होने से लिए पहले भारत को एनपीटी (न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी) की सदस्यता लेनी होगी. एनपीटी परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है.

कब बना यह ग्रुप

ये समूह साल 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद बनाया गया था.

इसका काम क्या है?

परमाणु शस्‍त्र अप्रसार के लिए परमाणु सामग्री के कारोबार पर नियंत्रण रखता है। ये सुनिश्चित करने की कोशिश करता है कि असैन्य इस्तेमाल के लिए खरीदा गया यूरेनियम, परमाणु हथियार बनाने में इस्तेमाल ना हो।

एनएसजी ग्रुप में शामिल होने से भारत को होंगे ये फायदे?

- न्युक्लियर एनर्जी से जुड़ी हर तकनीक और युरेनियम भारत बिना किसी समझौते के सदस्य देशों से हासिल कर सकेगा।

- सदस्य बनने के बाद भारत का कद एशिया में और ऊपर उठेगा, इतना ही नहीं भारत की अंतरराष्ट्रीय साख भी बढ़ेगी।

- ऊर्जा की मांग पूरी करने के लिए भारत को ज्यादा से ज्यादा परमाणु ऊर्जा बनाना होगा, एनएसजी का सदस्य बनने से भारत को इसमें मदद मिलेगी।

- न्युक्लियर प्लांट्स निकलने वाले कचरे के निपटारे के लिए सदस्य देशों की मदद मिलेगी।

– NSG ग्रुप में शामिल होने पर न्यूक्लियर एनर्जी जो अभी अमेरिका से कुछ सीमित मात्रा में आती है, वह एनर्जी बड़ी आसानी से देश को उपलब्ध होने लगेगी।

– देश के अन्दर अभी एनर्जी के स्त्रोत काफी सीमित हैं. कोयला जैसा खनिज पदार्थ जो सीमित संख्या में है, यदि उसको बचाना है तो अब यूरेनियम पर ध्यान देना होगा और यदि भारत NSG ग्रुप में शामिल होता है तो हम चीन को टक्कर दे सकते हैं।

– एशिया के अन्दर चीन अभी तक इतना शक्तिशाली देश इसी एनर्जी के कारण बना हुआ है. यदि भारत इस ग्रुप में शामिल होता है तो एशिया में भारत की पकड़ सबसे मजबूत हो जाएगी।

– हकीकत बात तो यह है कि अगर भारत को विकसित देश बनना है तो उसको न्यूक्लियर एनर्जी की आवश्यकता है, इसके बिना विकसित होना असंभव है।

– भारत में ऊर्जा की मांग काफी ज्यादा है तो उस मांग को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा जरूर चाहिए। यदि भारत इस ग्रुप में शामिल होता है वह परमाणु ऊर्जा आसानी से प्राप्त कर सकेगा।

- अपना खुद का पॉवर प्लांट होगा, जहाँ उद्योग और प्रौद्योगिकी संबंधित विकास मुमकिन हो पायेगा. इससे मेक इन इंडिया कैम्पेन को बड़ा फायदा मिलेगा.

चीन का विरोध क्यों?

चीन, भारत से बुरी तरह से घबरा रहा है, यदि भारत एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में शामिल हो जाता है तो इससे देश का विकास होगा।

एशिया के अन्दर भारत की एक अलग पहचान बनेगी। साथ ही साथ एशिया में चीन की राजसत्ता भी खतरे में पड़ने लगेगी। इसीलिए चीन भारत का विरोध कर रहा है। आज भारत में इस विरोध को कोई भी भारतीय समझ नहीं रहा है, सभी लोग मोदी को हराना चाहते हैं। ऐसा लग रहा है कि चीन भारत का विकास नहीं रोक रहा है बस जैसे कि मोदी का विकास रोक रहा है। असल में अब वक्त आ गया है कि चीन को उसकी औकात दिखाई जाये।

भारत में चीन से आ रहे सामान को रोक देना चाहिए। हर भारतीय को कसम खानी चाहिए कि वह चीन से आया कोई भी सामान नहीं खरीदेगा। तब खुद मात्र एक माह में चीन को उसकी औकात नजर आ जाएगी. चीन एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में भारत का विरोध इसीलिए कर रहा है क्योकि वह जानता है कि भारत के लोग बेवकूफ हैं और देश प्रेम की भावना उनके अन्दर मर चुकी है।

अभी एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में शामिल देशों की संख्या 48 है और कुछ 42 देश भारत का समर्थन कर रहे हैं। बस कुछ 6 देश भारत का विरोध कर रहे हैं।

एनएसजी गाइडलाइन (Nuclear suppliers group guidelines)

एनएसजी गाइडलाइन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु व्यापार, परमाणु हथियारों या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों का आयात निर्यात हो. साथ ही ये सुनिश्चित करना है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और परमाणु क्षेत्र में नए प्रयोगों में कोई परेशानी न आये. सप्लायर को एक ट्रिगर लिस्ट बनानी होगी, जिसमें न्यूक्लियर ट्रान्सफर से जुड़े दिशा निर्देश होंगें. इसमें भौतिक सुरक्षा, सुरक्षा उपायों, संवेदनशील निर्यात पर विशेष नियंत्रण, संवर्धन सुविधाओं के निर्यात के लिए विशेष व्यवस्था के बारे में लिखा होगा।

ट्रिगर लिस्ट (NSG trigger list)

  • रिएक्टरों के लिए गैर परमाणु सामग्री
  • प्लांट के लिए उपकरण
  • हैवी वाटर प्रोडक्शन के लिए प्लांट
  • औद्योगिक उपकरण
  • यूरेनियम सामग्री
  • परमाणु विस्फोटक उपकरणों के लिए घटकों

एनएसजी समूह के सदस्य देशों के नाम की सूची (Nuclear suppliers group members countries name list)

अर्जेंटीना डेनमार्क लाटविया स्लोवाकिया
ऑस्ट्रेलिया एस्टोनिया लिथुआनिया स्लोवेनिया
ऑस्ट्रिया फ़िनलैंड माल्टा साउथअफ्रीका
बेलारूस फ़्रांस मैक्सिको साउथकोरिया
बेल्जियम जर्मनी नीदरलैंड स्पेन
ब्राजील ग्रीस न्यूज़ीलैण्ड स्वीडन
बुल्गारिया हंगरी नॉर्वे स्विट्ज़रलैंड
कैनेडा आइसलैंड पोलैंड टर्की
चाइना आयरलैंड पुर्तगाल यूक्रेन
क्रोअटिया इटली रूमानिया यूके
सायप्रस जापान रूस यूएस
सीजेक कजाखस्तान सर्विया लक्सेम्बर्ग

भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में बना था एनएसजी

1974 में इंदिरा सरकार ने परमाणु परीक्षण किया था। इस टेस्ट के बाद भारत को सबक सिखाने के लिए दुनिया के टॉप-7 देशों ने एनएसजी का गठन किया था। शुरुआत में केवल अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, कनाडा और सोवियत संघ ही इसके सदस्य थे। आज ये सातों देश भारत को इस ग्रुप में शामिल करने का समर्थन कर रहे हैं। ग्रुप में बाद में शामिल हुआ चीन भारत को सदस्य बनाए जाने का विरोध कर रहा है।

तो नहीं करनी पड़ती इतनी मेहनत

भारत की आजादी के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने भारत को न्युक्लियर टेस्ट के लिए मदद का प्रस्ताव दिया था। लेकिन न्युक्लियर टेस्ट और न्युक्लियर हथियार के खिलाफ कड़ा रुख दिखाते हुए तात्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने उस ऑफर को ठुकरा दिया था। यदि भारत ने वह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो भारत न्युक्लियर टेस्ट करने वाला पहला एशियाई देश बन जाता। इसके साथ ही भारत एनपीटी का सदस्य बन जाता और एनएसजी का सदस्य बनने के लिए इतनी कोशिशें नहीं करनी पड़तीं।

NPT पर दस्तख़त करने में दिक्कत क्या?

इस संधि के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के महज़ 5 सदस्य ही परमाणु हथियार बना और रख सकते हैं। भारत इसे और इस जैसी दूसरी संधियों को भेदभावपूर्ण मानता है। भारत ने साल 2008 में अमेरिका के साथ हुए असैन्य परमाणु करार में परमाणु परीक्षण पर स्वैच्छिक रोक लगाने की बात कही थी।

कुल मिलाकर एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) देशों में अब भारत को जगह मिलनी ही चाहिए, क्योकि तभी शायद भारत विश्व का एक शक्तिशाली देश बन सकता है. यदि न्युक्लियर एनर्जी देश में आने लगती है तो उससे भारत का विकास होना निश्चित है

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