रामनाथ कोविंद का संपूर्ण जीवन परिचय | Ram Nath Kovind Biography in Hindi
बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए घोषित उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और वर्तमान में बिहार के राज्यपाल का जन्म उत्तर प्रदेश कानपुर जिले के तहसील डेरापुर के गांव परौंख में अक्टूबर 1945 में हुआ था।.. …
राम नाथ कोविन्द की जीवनी | Ramnath Kovind BJP President Candidate
रामनाथ कोविंद तत्कालिक समय में बिहार राज्य के राज्यपाल हैं. इससे पहले ये देश की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के नेता थे. सत्ताधारी राजनैतिक पार्टी बीजेपी ने इनका नाम होने वाले भारत के राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से सुझाया है. इनका राजनैतिक सफ़र कई मोड़ से गुज़रते हुए देखा जा सकता है. इन्होने कई तरह की भूमिका में देश में भाग लिया है. इन्होने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम करते हुए कमज़ोर तबके के लोगों को हर तरह से लाभ पहुँचाने की कोशिश की. राजनीति में भी इन्होने एक अहम् भूमिका निभाई और राज्यसभा में रहते हुए कई पदों पर काम किया.
रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय ( Ram Nath Kovind Biography in hindi)
राम नाथ कोविन्द का जन्म 1 अक्टूबर 1945 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला ) , तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में हुआ था। इनके पिता का नाम स्वर्गीय माईकू लाल तथा माता का नाम स्वर्गीय कलावती है, इनकी पत्नी का नाम सविता कोविंद है।
कोविन्द का सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। वकालत की उपाधि लेने के पश्चात दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की। वह १९७७ से १९७९ तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। ८ अगस्त २०१५ को बिहार के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति हुई। सत्ताधारी एन डी ए द्वारा 19 जून 2017 को भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किये गए।
रामनाथ कोविंद का करियर (Ram Nath Kovind career)
रामनाथ कोविंद ने एलएलबी की डिग्री हासिल की, अतः इन्होने वकालत में भी अपना करियर आजमाया और दक्ष वकील साबित हुए. इनके करियर को कई भागों में देखा जा सकता है :
वकालत में करियर ( Career as Lawyer) : वकालत करते हुए इन्होने दिल्ली हाई कोर्ट में अभ्यास किया. यहाँ पर इन्होने केंद्र सरकार का वकील रहते हुए काम किया. दिल्ली हाई कोर्ट में इनका कार्यकाल साल 1977 से 1979 का रहा. साल 1980 से 1993 के दौरान केंद्रीय सरकार के स्टैंडिंग कौंसिल की तरफ से इन्होने सुप्रीम कोर्ट में भी अभ्यास किया।
सांसद के तौर पर (Career as MP) : साल 1994 के अप्रैल के महीने में इन्हें उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सांसद नियुक्त किया गया. अपनी कुशल कार्यक्षमता के बल पर इन्होने साल लगातार 2 बार राज्यसभा सांसद का पद हासिल किया. इस तरह राज्यसभा में इनका कार्यकाल 12 वर्ष का यानि साल 2006 तक का रहा.
समाज सेवा : वह भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे। वर्ष १९८६ में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्युरो के महामंत्री भी रहे।
मकान को बारातशाला के रूप में किया दान : रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। परौख गांव में कोविद अपना पैतृक मकान बारातशाला के लिए दान कर चुके हैं। बड़े भाई प्यारेलाल हैं। एक भाई शिवबालक राम का निधन हो चुका है।
कुष्ठ रोगियों की संस्था के आजीवन संरक्षक : वह हरिद्वार में गंगा के तट पर स्थित कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए समर्पित संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आजीवन संरक्षक भी हैं। वकील रहने के दौरान कोविंद ने गरीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी।
रामनाथ कोविंद द्वारा किये गये कार्य (Ramnath Kovind works)
राज्यसभा सांसद पद में कार्यरत रहने के दौरान इन्होने राज्यसभा के जिन विशिष्ट पदों पर काम किया वे निम्न है,
- अनुसूचित जाति और जनजाति पार्लियामेंट्री कमेटी.
- होम अफेयर्स पार्लियामेंट्री कमेटी
- पेट्रोलियम और नेचुरल गैस पर्लिंन्ट्री कमिटी
- सोशल जस्टिस और एम्पोवेर्मेंट पार्लियामेंट्री कमिटी
- लॉ और जस्टिस पार्लियामेंट्री कमिटी
- राज्यसभा चेयरमैन
अन्य महत्वपूर्ण कार्य (Some Other Important Works)
इन्होने डॉ भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट बोर्ड के सदस्य के तौर पर भी काम किया. कोल्कता के इंडियन इंस्टिट्यूट को मैनेजमेंट के मेम्बर ऑफ़ बोर्ड के पद पर भी काम किया. इसके अलावा इन्होने साल 2002 के अक्टूबर में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
रामनाथ कोविंद सामाजिक कार्य (Ram Nath Kovind Social Activities)
इन्होने समाज के पिछले तबके के लोगों के लिए बहुत काम किया. मुख्यतौर पर कुछ इस प्रकार हैं –:
- इन्होने अनुसूचित जाति- जनजाति, अल्पसंख्यक, महिलाओं के लिए अपने कॉलेज के दिनों से ही काम करना शुरू कर दिया था. अपने छात्र काल से ही लोक सेवा करने की वजह से इन्हें कई लोगों ने बहुत जल्द समझ लिया.
- समाज में शिक्षा फैलाने के लिए कई बड़े कदम उठाये. अपने 12 वर्ष के राज्यसभा के सांसद के तौर पर कार्यरत रहते हुए इन्होने पिछले तबकों में शिक्षा फैलाने पर विशेष जोर दिया.
- वकालत के दौरान अनुसूचित जाति- जनजाति और महिलाओं के लिए क़ानूनी रूप से मिलने वाली कई मुफ्त सुविधाओं को पहुँचाया. इनके प्रयासों से ही दिल्ली में ‘फ्री लीगल ऐड सोसाइटी’ जैसी संस्था अस्तित्व में आ सकी.
- इन्होने इनका कानपुर का पुश्तैनी मकान अपने गाँव वालों को दान कर दिया, जो अब बारातघर के रूप में प्रयोग किया जाता है.
- दलितों के मध्य इनकी गहरी पैठ को देखते हुए साल 2012 के उत्तरप्रदेश चुनाव में श्री राजनाथ सिंह ने उत्तरप्रदेश के दलित क्षेत्रों में पार्टी प्रचार के लिए इनकी मदद ली थी.
इस प्रकार रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) लगातार १२ वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। श्री रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) का नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 19 जून 2017 को एनडीए(NDA) के सर्वसम्मत राष्ट्रपति उम्मीदवार (Rastrapati Candidate) के रूप में घोषित किया.
रामनाथ कोविंद सामाजिक कार्य (Ram Nath Kovind Social Activities)
कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में अहम रही है। छात्र जीवन में कोविद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए काम किया। 12 साल की सांसदी में कोविद ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया। ऐसा कहा जाता है कि वकील रहने के दौरान कोविद ने ग़रीब दलितों के लिए मुफ़्त में क़ानूनी लड़ाई लड़ी।
अाईएएस एलाइड सेवा के लिए चुने गए
कोविंद ने सिविल सेवा परीक्षा दी, लेकिन पहले और दूसरे प्रयास में असफल रहे। तीसरी बार सफलता मिली, पर नौकरी ठुकरा दी, क्योंकि उन्हें एलाइड सर्विस के लिए चुना गया।
Ram Nath Kovind अपनी वकालत के दौरान भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए। रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) को पार्टी ने वर्ष 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए। वर्ष 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए जाना मन दलित चेहरा बन गये रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। घाटमपुर से चुनाव लड़ने के बाद रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे। राज्यसभा सदस्य के रूप में क्षेत्र के विकास में लगातार सक्रिय रहने का ही परिणाम है।
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