राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है ? जानिए संघ के बारे में रोचक तथ्य | What is Rashtriya Swayamsevak Sangh - RSS ?
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh अथवा R.S.S.) एक हिंदू राष्ट्रवादी संघटन है जिसके सिद्धान्त हिंदुत्व में निहित और आधारित हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना में संघ अथवा आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है।.. …
हिंदू कोई धर्म नहीं है। हम जानते है कि एक ही चैतन्य भिन्न भिन्न रूपो में व्याप्त है, विविधता में एकता, भारत के जीवन मूल्यों को अपने आचरण से प्रतिष्ठित करने वाला व्यक्ति हिंदू है, चाहे उसका उपासना पंथ या ग्रंथ कुछ भी हो। धर्म बदलने से जीवन के ध्येय नहीं बदलते।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) | About Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) in Hindi
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, RSS के रूप में संक्षेपाक्षरित, भारत का एक दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का व्यापक रूप से पैतृक संगठन माना जाता हैं। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।
संस्थापना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 27 सितंबर 1925 को विजय दशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ के 5 स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई विश्व की पहली शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओ में बदल गई और ये 5 स्वयंसेवक आज करोड़ों स्वयंसेवकों के रूप में हमारे समाने है। संघ की विचार धारा में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र, राम जन्मभूमि, अखंड भारत, समान नागरिक संहिता जैसे विजय है जो देश की समरसता की ओर ले जाता है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का विरोध : शुरुआत में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा को स्वीकार नहीं किया। संघ ने, अपने मुखपत्र "ऑर्गनाइज़र" के 17 जुलाई 1947 दिनांक के "राष्ट्रीय ध्वज" शीर्षक वाले संपादकीय में, "भगवा ध्वज" को राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने की मांग की।
संघ परिवार क्या है?
संघ परिवार कई हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों का एक संघ है, जिसमें धार्मिक, विद्यार्थी, सियासी और अर्द्धसैनिक संगठन शामिल हैं। परिवार का वैचारिक पूर्वज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) है..
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची..
- डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार (1925 - 1940)
- माधव सदाशिवराव गोलवलकर (1940 - 1973)
- मधुकर दत्तात्रय देवरस (1973 - 1993)
- प्रो. राजेंद्र सिंह (1993 - 2000)
- कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन (के एस सुदर्शन) ( 2000 - 2009 )
- डॉ. मोहनराव मधुकरराव भागवत (2009 - अब तक)
संघ की अवधारणा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हमेशा अवधारणा रही है कि 'एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे' जब समूचे राष्ट्र और राष्ट्र के नागरिकों को एक सूत्र में बाधा गया है तो धर्म के नाम पर क़ानून की बात समझ से परे हो जाती है, संघ द्वारा समान नागरिक संहिता की बात आते ही संघ को सांप्रदायिक होने की संज्ञा दी जाती है। संघ ने हमेशा कई मोर्चो पर अपने आपको स्थापित किया है। राष्ट्रीय आपदा के समय संघ कभी यह नहीं देखता कि किसकी आपदा मे फसा हुआ व्यक्ति किस धर्म का है। आपदा के समय संघ केवल और केवल राष्ट्र धर्म का पालन करता है कि आपदा में फसा हुआ अमुख भारत माता का बेटा है। गुजरात में आये भूकम्प और सुनामी जैसी घटनाओ के समय सबसे आगे अगर किसी ने राहत कार्य किया तो वह संघ का स्वयंसेवक था।
शाखा
शाखा किसी मैदान या खुली जगह पर एक घंटे की लगती है। शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, समता (परेड), गीत और प्रार्थना होती है। सामान्यतः शाखा प्रतिदिन एक घंटे की ही लगती है। शाखाएँ निम्न प्रकार की होती हैं:
- प्रभात शाखा: सुबह लगने वाली शाखा को "प्रभात शाखा" कहते है।
- सायं शाखा: शाम को लगने वाली शाखा को "सायं शाखा" कहते है।
- रात्रि शाखा: रात्रि को लगने वाली शाखा को "रात्रि शाखा" कहते है।
- मिलन: सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को "मिलन" कहते है।
- संघ-मण्डली: महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को "संघ-मण्डली" कहते है।
पूरे भारत में अनुमानित रूप से 50,००० शाखा लगती हैं। विश्व के अन्य देशों में भी शाखाओं का कार्य चलता है, पर यह कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम से नहीं चलता। कहीं पर "भारतीय स्वयंसेवक संघ" तो कहीं "हिन्दू स्वयंसेवक संघ" के माध्यम से चलता है।
शाखा में "कार्यवाह" का पद सबसे बड़ा होता है। उसके बाद शाखाओं का दैनिक कार्य सुचारू रूप से चलने के लिए "मुख्य शिक्षक" का पद होता है। शाखा में बौद्धिक व शारीरिक क्रियाओं के साथ स्वयंसेवकों का पूर्ण विकास किया जाता है।
जो भी सदस्य शाखा में स्वयं की इच्छा से आता है, वह "स्वयंसेवक" कहलाता हैं।
शाखा संघ की प्राणवायु आरएसएस के भले ही 50 के लगभग आनुषांगिक संगठन हैं और वह अपने क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। पर आरएसएस का मूल तत्व उसकी शाखाएं ही हैं। शाखाओं में समय समय पर बदलाव भी हुए हैं। संघ का काम मुंह-जुबानी ही चलता है। ये विश्व का पहला ऐसा संगठन हैं जिसके कामकाज में कागज का उपयोग नहीं होता। प्रारंभ में चंदा एकत्रित कर यह खर्च वहन किया जाता। फिर गुरु पूर्णिमा की पूजा कार्यक्रम शुरू हुआ उसमें आने वाले लोग संघ की यथाशक्ति मदद करते हैं। इस प्रकार संघ में गुरुदक्षिणा की परंपरा की शुरुआत हुई। पहले वर्ष नागपुर शाखा की गुरुदक्षिणा केवल 84 रुपए जमा हुए।
संघ की विशेषताएं
आरएसएस द्वारा समय-समय पर शिविर लगाए जाते हैं। नियमित रूप से आयोजित होने वाली बैठकें हैं, नियमित होने वाले बौद्धिक वर्ग हैं, संघ गीत हैं, वर्षभर में मनाए जाने वाले छह उत्सव हैं और इन उत्सवों के लिए अध्यक्षों का चयन है तथा उनके निवास की व्यवस्था है। कार्यक्रमों की योजना है। स्वदेशी का अभिमान है। आजकल संघ द्वरा ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कार्य विस्तार पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
सम्बद्ध संगठन (संघ परिवार)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों को हीं संक्षेप में संघ परिवार कहा जाता है। ये वैसे संगठन हैं जिनकी अपनी स्वतंत्र पहचान है, नीतियां हैं और कार्यक्रम भी हैं। लेकिन मूलतः ये सभी संगठन विचारधारा के मामले में संघ से हीं अनुप्राणित होते रहते हैं।
संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशो में कार्यरत है। संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है ओर लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं। जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रिय है। जिनमे कुछ राष्ट्रवादी, सामाजिक, राजनैतिक, युवा वर्गों के बीच में कार्य करने वाले, शिक्षा के क्षेत्र में, सेवा के क्षेत्र में, सुरक्षा के क्षेत्र में, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, संतो के बीच में, विदेशो में, अन्य कई क्षेत्रों में संघ परिवार के संघठन सक्रिय रहते हैं।
कुछ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन निम्न है..
भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, दीन दयाल शोध संस्थान, सरस्वती शिशु मंदिर, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, बजरंग दल, विवेकानन्द केन्द्र इसके अलावां भी बहुत से ऐसे संगठन है जो आरएसएस से जुड़े हुई है..
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में रोचक तथ्य
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो 2025 तक 100 साल का हो जाएगा, कि स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने दशहरे के दिन की थी।
- RSS का मुख्यालय नागपुर, महाराष्ट्र में है। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत जी है जो ब्राह्मण जाति से संबंध रखते है। मोहन भागवत भारत के उन थोड़े से लोगो में से है जिन्हें Z+ सुरक्षा दी गई है।
- 30 जनवरी, 1948 को बिड़ला भवन, दिल्ली में शाम 5 बजकर 10 मिनट पर नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या की थी। हत्या के बाद RSS का नाम उछाला गया। कहा गया कि गोडसे RSS का ही सदस्य है जबकि गोडसे ने RSS को सन् 1930 में ही छोड़ दिया था। सी समय देश के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने RSS पर बैन लगा दिया। नेहरू चाहते थे कि RSS को हमेशा के लिए बैन कर दिया जाए, लेकिन सबूतों के अभावों में सरदार पटेल ने ऐसा करने से मना कर दिया और जुलाई 1949 में RSS से बैन हटा लिया गया।
- आरएसएस की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग(संघी) शामिल हुए थे लेकिन आज देशभर में आरएसएस की 60,000 से ज्यादा शाखाएँ है और एक शाखा में लगभग 100 स्वयंसेवक है। आज के समय में आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।
- RSS में महिलाएँ नही है, क्योकिं ये allowed ही नही है। महिलाओं के लिए राष्ट्र सेविका समिती है।
- आरएसएस की क्लास शाखा के रूप में लगती है। सुबह लगने वाली शाखा को ‘प्रभात शाखा‘ कहते है। शाम को लगने वाली शाखा को ‘सायं शाखा‘ कहते है। सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को ‘मिलन शाखा‘ कहते है। महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को ‘संघ मंडली‘ कहते है।
- आरएसएस की शाखाओं में शाखा के अंत में एक प्रार्थना गाई जाती है नमस्ते सदा वत्सले यह संघ की स्थापना के 15 साल बाद गाई जाने लगी। इससे पहले एक श्लोक मराठी और एक श्लोक हिंदी में गाया जाता था।
- RSS देश के लिए काम करता रहा है लेकिन इस पर आरोप भी लगते रहे है। आरएसएस ने 1962 में भारत-चीन के युद्ध में सरकार का पूरा साथ दिया था। इसी से खुश होकर नेहरू ने 1963 की गणतंत्र दिवस प्रेड में RSS को शामिल होने का न्योता दिया था। RSS, बाढ़ और प्राकृतिक आपदा आदि में भी देश-विदेश के लिए काम करता रहा है।
- RSS के सदस्य किसी भी पद पर चले जाए, ज्यादातर काम खुद ही करते है जैसे: कपड़े धोना, भोजन बनाना आदि। और अपने से बड़े पदाधिकारी के प्रति बहुत ही आज्ञाकारी होते है।
- RSS के प्रचारक को संघ के लिए काम करते समय तक अविवाहित रहना होता है। और दूसरे होते है संघ के विस्तारक, जो गृहस्थ जीवन में रहकर ही संघ से किशोरों को जोड़ने का काम करते है।
- संघ का प्रचारक बनने के लिए किसी भी स्वयंसेवक को 3 साल तक OTC यानि ऑफिसर ट्रेनिंग कैंप में भाग लेना होता है। और शाखा प्रमुख बनने के लिए 7 से 15 दिन तक ITC यानि इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग कैंप में भाग लेना होता है।
- ऐसा नही है कि RSS में सिर्फ हिंदू ही है, आपकी जानकारी के लिए बता दे कि RSS में मुस्लिम भी है। सन् 2002 से RSS एक ‘Muslim Rashtriya Manch’ नाम की विंग चलाती है। जिसमें लगभग 10,000 मुस्लिम है।
- BJP के बड़े नेता जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी संघ के प्रचारक रह चुके है।
- RSS का अपना अलग झंडा है, भगवा रंग का। सभी शाखाओं में यही झंडा फहराया जाता है। आरएसएस किसी आदमी को नही बल्कि भगवा ध्वज को ही अपना गुरू मानती है।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ भारत में ही नही बल्कि दुनिया के 40 देशो में है। विदेश में संघ की पहली शाखा मोंबासा, केन्या में लगी थी।
संघ की प्रार्थना
संघ की शाखा या अन्य कार्यक्रमों में इस प्रार्थना को अनिवार्यत: गाया जाता है और ध्वज के सम्मुख नमन किया जाता है।
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥ १॥
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥ २॥
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥ ३॥
॥ भारत माता की जय ॥
संघ के आलोचकों द्वारा संघ को एक अतिवादी दक्षिणपंथी संगठन बताया जाता रहा है एवं हिंदूवादी और फ़ासीवादी संगठन के तौर पर संघ की आलोचना भी की जाती रही है। जबकि संघ के स्वयंसेवकों का यह कहना है कि सरकार एवं देश की अधिकांश पार्टियाँ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में लिप्त रहती हैं। विवादास्पद शाहबानो प्रकरण एवं हज-यात्रा में दी जानेवाली सब्सिडी इत्यादि की सरकारी नीति इसके प्रमाण हैं। जय हिंद।
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