जानिए, भारत सरकार की कमाई और खर्चो के बारे मे | Indian Government Revenue and Expenditure
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इस लेख में हमने आम लोगों और विद्यार्थियों की जानकारी के लिए यह बताने का प्रयास किया है कि आखिर सरकार किन किन माध्यमों से धन कमाती है और किन किन मदों पर खर्च करती है।.. …
भारत सरकार अपना वित्तीय काम किस तरह से करती है? सरकार की कमाई कहां से होती है और खर्च कहां करती है? अभी भारत सरकार की आमदनी कितनी है, खर्च कितना है? आमद और खर्च के अलावा सरकार के ऊपर कितना ऋण है?
भारत सरकार की आय और व्यय के स्रोत क्या हैं? | Revenue and Expenditure Sources of Government of India in Hindi
हम सभी को पता है कि भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और यहाँ की सरकार लोगों के कल्याण को अधिकत्तम करने के लिए काम करती है न कि लाभ को अधिकत्तम करने के लिए, इसी कारण सरकार को कई ऐसी योजनाओं को शुरू करना पड़ता है जो कि धन अर्जन के हिसाब से तो बहुत ही फिसड्डी साबित होती हैं लेकिन जन कल्याण के मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन जन कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही सरकार के वित्तीय घाटे में कोई कमी नही आ रही है। सरकार ने सन 2017-18 के बजट में वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.2% पर रखने का लक्ष्य रखा है जबकि 2018-19 में इसे 3% के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार के आय-व्यय
आज के समय में हम देखें कि केंद्र सरकार के जो खर्चे हैं, वे कितने हैं, तो करीब 18 लाख करोड़ केंद्र सरकार के खर्चे हैं. केंद्र सरकार के जो कार्यक्षेत्र हैं, जैसे- सेना का काम, वित्तीय सिस्टम (बैंको को देखना), रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग आदि पर केंद्र सरकार को करीब 18 लाख करोड़ खर्च करना पड़ता है।
केंद्र सरकार की कमाई इनकम टैक्स, सर्विस टैक्स एक्साइज टैक्स से होती है, उसे कुल मिला कर देखें तो कमाई करीब 12 लाख करोड़ है. यानी हर साल केंद्र सरकार 5.6 लाख करोड़ के घाटे पर चलती है. यहां मुझे एक फिल्म का गाना याद आ रहा है कि आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया. ठीक यही हाल केंद्र सरकार का भी है, जो साल में करीब 5.6 लाख करोड़ के घाटे में चल रही है।
सरकार की आय (बजट 2017-18) के स्रोत निम्न हैं : (100 पैसे की आय के हिसाब से)
1. उधारी और अन्य देनदारियां .......19 पैसे
2. निगम-कर (कंपनी कर) ..... 19 पैसे
3. आय कर ..... 16 पैसे
4. संघ उत्पाद शुल्क ......14 पैसे
5. सेवा कर और अन्य कर ...... 10 पैसे
6. गैर कर आय ...... 10 पैसे
7. सीमा-शुल्क ......9 पैसे
8. गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियां .....3 पैसे
नोट: यहाँ पर यह बात ध्यान रखने वाली है कि “उधारी और अन्य देनदारियां” को सरकार की आय के रूप में दिखाया गया है जबकि ये सब सरकार के लिए बाहर से लिया गया कर्ज होता है जो कि सरकार को बाद में ब्याज सहित चुकाना पड़ता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि सरकार की शुद्ध आय 81 पैसे है जबकि उधारी से प्राप्त आय 19 पैसे है।
सरकार के व्यय (बजट 2017-18) के स्रोत निम्न हैं : (100 पैसे के व्यय के हिसाब से)
1. करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा ...24 पैसे
2. ब्याज भुगतान ......18 पैसे
3. अन्य खर्चे .....13 पैसे
4. केन्द्रीय कृत योजनाओं पर व्यय* ......11 पैसे
5. सब्सिडी .....10 पैसे
6. केंद्र प्रायोजित योजनाएं .....10 पैसे
7. रक्षा व्यय ....9 पैसे
8. वित्त आयोग और अन्य स्थानान्तरण..5 पैसे
नोट: “केन्द्रीय कृत योजनाओं पर व्यय” में उन योजनाओं पर किये गए व्यय को शामिल किया जाता है जो कि 100% केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पैसों से चलायी जातीं हैं जबकि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र के साथ-साथ राज्य भी वित्तीय सहायता देते हैं।
इन जगहों से सरकार के पास आता है पैसा
मान लीजिए अगर सरकार के पास 1 रुपए की कमाई होती है तो उसमे निम्नलिखित मदों से पैसा आता है..
- उधार और अन्य देयताएं (Borrowings & Other Liabilities) : 21 पैसा
- ऋण-भिन्न पूंजी प्राप्तियां (Non-debt Capital receipts): 3 पैसा
- कर-भिन्न राजस्व (Non-Tax Revenue): 13 पैसे
- सेवा कर और अन्य कर (Service Tax & Other taxes): 9 पैसा
- केंद्रीय उत्पाद-शुल्क (Union Excise Duties): 12 पैसा
- सीमा शुल्क (Customs): 9 पैसा
- आयकर (Income Tax) :14 पैसे
- निगम-कर (Corporation-Tax): 19 पैसे
किन-किन मदों में पैसा खर्च करती है सरकार?
अब समझिए सरकार के पास जो एक रुपया आता है उसमे से कितना हिस्सा सरकार किन मदों में खर्च करती है....
- राज्य और संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों को आयोजना-भिन्न सहायता (Non-Plan Assistance to state & UT Govts.): 5 पैसे
- करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा (States share of taxes & duties): 23 पैसे
- अन्य आयोजना-भिन्न व्यय (Other Non-Plan Expenditure): 12 पैसा
- आर्थिक सहायता (Subsidies): 10 पैसे
- रक्षा (Defence): 10 पैसे
- केंद्रीय आयोजना (Central Plan): 12 पैसा
- संघ और राज्य क्षेत्रों को आयोजना सहायता (Plan Assistance to State & UT): 9 पैसा
- राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को अंतरण (Transfers to States & UTs): 37 पैसे
जीडीपी में टैक्स का योगदान
अगर हमलोग केंद्र और राज्य सरकार को मिला कर देखें, तो हमारी जो टैक्स की कमाई है, वह 16 से 17 प्रतिशत, अन्य देशों यानी बड़े देशों या विकसित देशों से तुलना करें, तो उनका टैक्स और जीडीपी अनुपात भारत से बहुत ज्यादा है. यदि हम औसत तौर पर देखें, तो अमेरिका, ब्रिटेन में जीडीपी में टैक्स का योगदान 29 फीसदी है. जबकि भारत का 16 से 17 फीसदी। यानी जितना टैक्स सरकार को आज के दिन में मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल रहा है।
इस प्रकार ऊपर दिए गए आंकड़ों से एक बात तो साफ हो जाती है कि सरकार की आय की दो मुख्य मदें हैं, केंद्र द्वारा वित्त आयोग की सिफारिस के आधार पर “राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता” और केंद्र सरकार द्वारा लिए गए उधार पर दिया जाने वाला “ब्याज भुगतान” जबकि दूसरी ओर यह भी एक सत्य है कि सरकार की आय का मुख्य स्रोत भी उसके द्वारा लिया गया “ऋण” है। जय हिंद।
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