7वां वेतन आयोग में मुश्किल स्थान भत्ता | Tough Location Allowance 2017 in 7th Pay Commission
Contribution of Sardar Vallabhbhai Patel in Current Modern India
सातवें वेतन आयोग के अनुसार मुश्किल स्थान भत्ता उन लोगों के लिए मंजूर किया है, जो देश के वैसे हिस्सों में रहते हैं, जहाँ पर जीविका के संसाधनों में कमी की आशंका दर्ज की गयी है। …
यह भत्ता ऐसे स्थान पर रहने वाले नागरिकों को इस लिए दिया जा रहा है क्योंकि ऐसी जगहों पर नियमित नौकरी पाना और पैसे कमाना मुश्किल है।
इस भत्ते में विभिन्न तरह के भत्तों को शामिल किये गये हैं. इसमें विशेष प्रतिकर भत्ता, सुंदरबन भत्ता, और आदिवासी क्षेत्र भत्ता शामिल है. यह भत्ते देश में कई उद्देशो से प्रयोग में लिए जाते रहे हैं।
निर्णित मापदंडों पर उत्तीर्ण होने पर यह भत्ता प्रति महीने रू 1000 से रू 5300 तक जाएगा. यह भत्ता विभिन्न स्थान के लोगों को भिन्न भिन्न होगा।
मुश्किल स्थान भत्ता देने की शर्ते (Tough Location Allowance Conditions)
टफ अलाउंस निम्न स्तर पर कारगर सिद्ध होता है..
- सबसे पहले भत्ते पाने वाले का आवास स्थानीय (लोकेशन) का जायजा लिया जाता है. और भत्ते का तय होना, भत्ता पाने वाले के स्थान एवं साथ ही वहाँ की आर्थिक गतिविधियाँ कैसी हैं, इसी शर्त पर पक्का किया जाता है.
- इसके बाद भत्ते के लिए आवेदन देने वाले के पेशे को परखा जाता है. यह रिव्यु खेती, उत्पादन आदि के आधार पर की जाती है.
- इसके उपरान्त सरकार भत्ते देने का कदम बढ़ाती है.
मुश्किल स्थान भत्ते की नीतियां (Tough Location Allowance Policies)
इस भत्ते की पॉलिसी मुख्यतः स्थान की भौगोलिक स्तिथियों पर निर्भर करती हैं. इस भत्ते के अंतर्गत किसी भी स्थान को उसकी आर्थिक गतिविधियों के अनुसार चुना जाता है. इसके लिए भारत सरकार द्वारा मंजूर भत्ते की दर, भत्ता आवेदक के आवासीय स्थान की भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर तय किया जाता रहा है. यह प्रक्रिया इसलिए इस्तेमाल की जाती है, ताकि भत्ते दर का सही से नियमन हो सके।
इसी तरह भारत सरकार द्वारा बाल शिक्षा भत्ता भी 7 वाँ वेतन आयोग में शामिल किया गया है।
मुश्किल स्थान भत्ता I, II और III (tough location allowance-i ii or iii)
मुश्किल स्थान भत्ते के लिए चयनित क्षेत्रों को तीन तरह से विभाजित किया गया..
- भाग I में आने स्थान कई सारे सुनसान क्षेत्र हैं, जहाँ पर किसी भी तरह का कोई संसाधन नहीं है.
- भाग II के अंतर्गत वह सभी तरह के आदिवासी क्षेत्रों को लाया गया है, जो बाकी आदिवासी क्षेत्रों की दृष्टि से गरीब है.
- भाग III में उन स्थानों को रखा गया है, जहाँ की जलवायु प्रतिकूल होने के कारण फसल आदि उगाने के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ता है, फिर भी पर्याप्त मात्रा में फसल नहीं उगा पाते.
मुश्किल स्थान भत्ता के विशेष तथ्य (Special Case of Tough Location Allowance)
मुश्किल स्थान भत्ता स्पेशल ड्यूटी अलाउंस के साथ काम नहीं कर सकता है. देश के उत्तर पूर्वी, लद्दाख या किसी आइलैंड पर कार्यरत सदस्यों के लिए स्पेशल ड्यूटी अलाउंस के साथ मुसीबत स्थान भत्ता नहीं दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार इन कर्मचारियों को एससीएलआरए प्लान इस्तेमाल करने का मौका देती है. इस समय यह कई व्यापार के सदस्यों के वेतन के साथ जुड़ कर आता है. अतः इस भत्ते को टैक्स के अन्दर रखा जा सकता है. इसके दर किसी चयनित व्यक्ति को निश्चित प्रोग्राम का कार्यभार सौंपते हुए तय किया जाएगा, इस तरह से सरकार ने कठिन स्थानों पर कार्यरत लोगों के लिए इस भत्ते की सुविधा शुरू की है।
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