क्या है अनुच्छेद 35A, जम्मू कश्मीर को क्या अधिकार देता है? | What is Article 35A & What Rights it Provides to Jammu & Kashmir
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जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से संबंधित भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35 ए को 1954 के बाद से लागू किया गया है। यह जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 का हिस्सा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा दी गई चुनौती से अनुच्छेद 35 ए का अस्तित्व खतरे में हो सकता है। आइए हम देखते हैं कि आखिर अनुच्छेद 35 ए है क्या? …
अनुच्छेद 35A (कैपिटल ए) संविधान की किसी किताब में नहीं मिलता. हालांकि संविधान में अनुच्छेद 35a (स्मॉल ए) जरूर है, लेकिन इसका जम्मू-कश्मीर से कोई सीधा संबंध नहीं। संविधान की किताबों में न मिलने वाला अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके।
अगर 35 ए को निरस्त भी कर दिया जाता है तो धारा 370 रहेगी। लेकिन इससे जम्मू-कश्मीर को जो खास तरह की शक्तियां दी गई हैं वह नहीं रहेंगी।
धारा 35 ए क्या है | What Is Dhara 35A In Hindi
सन 1952 में “दिल्ली एग्रीमेंट” जो कि जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला और भारत के प्रधानमंत्री नेहरु के बीच हुआ था. इस समझौते में भारत की नागरिकता को जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिए भी खोल दिया गया था अर्थात जम्मू और कश्मीर के नागरिक भी भारत के नागरिक मान लिए गये थे. 1952 के दिल्ली अग्रीमेंट के बाद ही 1954 का विविदित कानून ‘अनुच्छेद 35A’ बनाया गया था. अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में दो ऐसे अनुच्छेद है जो कि जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं. अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु और जम्मू कश्मीर के महाराजा हरी सिंह के मध्य हुए समझौते के बाद जोड़ा गया था.
जम्मू-कश्मीर का संविधान 1956 में बनाया गया था. इस संविधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो. साथ ही उसने वहां संपत्ति हासिल की हो।
अनुच्छेद 35A क्या है? (What is Article 35a)
अनुच्छेद 35A संविधान में शामिल प्रावधान है जो जम्मू और कश्मीर विधानमंडल को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह यह तय करे कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है और किसे सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा, किसे संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा, किसे जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता और किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा. अनुच्छेद 35A में यह प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नही दी जा सकती है।
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि j& K राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे।
अनुच्छेद 35A भारतीय संविधान में कब जुड़ा? (Article 35a Added in Indian Consitution)
अनुच्छेद 35A,14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया।
अनुच्छेद 35A में मुख्य प्रावधान क्या हैं? (Main Right for Article 35a)
- यह अनुच्छेद किसी गैर कश्मीरी व्यक्ति को कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकता है.
- भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू & कश्मीर का स्थायी निवासी नही बन सकता है और इसी कारण वहां वोट नही डाल सकता है.
- अगर जम्मू & कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं.
- यह अनुच्छेद भारत के नागरिकों के साथ भेदभाव करता है क्योंकि इस अनुच्छेद के लागू होने के कारण भारत के लोगों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाणपत्र से वंचित कर दिया जबकि पाकिस्तान से आये घुसपैठियों को नागरिकता दे दी गयी.
महिलाएं क्यों हैं अनुच्छेद 35A के खिलाफ
इस कानून को महिलाओं के प्रति पक्षपाती माना जाता है। इसके तहत अगर वे किसी ऐसे व्यक्ति से शादी कर लेती हैं, जो जम्मू-कश्मीर का नागरिक नहीं है, तो वे स्थायी नागरिक वाले अपने अधिकार खो देंगी। उस महिला को राज्य में सरकारी नौकरी भी नहीं मिल सकती। हालांकि 2002 में जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट ने निर्णय दिया कि ऐसी शादी की स्थिति में भी महिलाओं के अधिकार बने रहेंगे। लेकिन उनके बच्चों को यह अधिकार हस्तांतरित नहीं होंगे, यानि उनके बच्चों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति का अधिकार नहीं होगा।
विपक्षी दलों को आपत्ति
अनुच्छेद 35 A को निरस्त करने की याचिका के विरोध में जम्मू-कश्मीर सरकार ने याचिका दाखिल की, लेकिन केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाया। यह रवैया कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस को पसंद नहीं आया। इन दलों को डर है कि इससे राज्य की स्वायत्ता और कम हो जाएगी। अगर अन्य राज्यों के लोग यहां बसने लगे तो इस मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी बदल जाएगी। हालांकि बीते 70 वर्षों में यहां ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि जम्मू के हिंदू बहुसंख्यकों और लद्दाख के बौद्ध लोगों को घाटी में संपत्ति खरीदने व बसने का अधिकार है।
अनुच्छेद 35A को हटाने की मांग क्यों हो रही है? (Why Article 35a Removed)
- इसे हटाने के लिए पहली दलील यह है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था.
- देश के विभाजन के वक्त बड़ी तादाद में पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आए. इनमें लाखों की तादाद में शरणार्थी जम्मू-कश्मीर राज्य में भी रह रहे हैं और उन्हें वहां की नागरिकता दे दी गयी है.
- जम्मू & कश्मीर सरकार ने अनुच्छेद 35A के जरिए इन सभी भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाणपत्र से वंचित कर दिया. इन वंचितों में 80 फीसद लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय से हैं.
- जम्मू & कश्मीर में विवाह कर बसने वाली महिलाओं और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ भी जम्मू & कश्मीर सरकार अनुच्छेद 35A की आड़ लेकर भेदभाव करती है.
वर्तमान स्थिति क्या है? (Article 35a Current Situation)
लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में शिकायत की थी कि अनुच्छेद 35A के कारण संविधान प्रदत्त उनके मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर राज्य में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द करे।
- सुप्रीम कोर्ट में 2014 में अनुच्छेद 35A को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी और इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केन्द्र सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार से जवाब मांगा.
- इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अनुच्छेद 35A पर व्यापक स्तर पर बहस करने की ज़रूरत है.
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 3 न्यायाधीशों की बेंच को ट्रांस्फर कर दिया और इस मामले के निपटारे के लिए 6 हफ्ते की समय सीमा तय कर दी.
- इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था.
- 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 (A) जोड़ दिया गया.
- अनुच्छेद 35 A, धारा 370 का ही हिस्सा है. अनुच्छेद 35 A के मुताबिक जम्मू कश्मीर का नागरिक तभी राज्य का हिस्सा माना जाएगा जब वो वहां पैदा हुआ हो.
ये भी हो सकता है
- अगर अनुच्छेद 35A को निरस्त कर दिया जाता है तो भविष्य में 41 अन्य राष्ट्रपति आदेशों को भी कानूनी चुनौती दी जा सकती है.
- ये सभी आदेश 1954 के राष्ट्रपति आदेश के संशोधन के रूप में पारित हुए थे.
- इन्हीं आदेशों के चलते संघ सूची की 97 प्रविष्टियों में से 94 को और भारतीय संविधान के 260 अनुच्छेदों को भी राज्य के कानून में शामिल किया गया है.
- इन्हीं आदेशों का उपयोग करके राज्य के संविधान में अनेक प्रावधानों को बदला गया है.
- इसमें सदर-ए-रियासत (राज्य के राष्ट्रपति) को राज्यपाल और प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री में बदलना शामिल है.
- इन्हीं के जरिए सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग राज्य में अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं.
जम्मू & कश्मीर को अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 के कारण बहुत से विशेष अधिकार मिले हुए हैं जिससे ऐसा लगता है कि भारत के अन्दर एक और भारत मौजूद है जिसका अपना अलग संविधान है, नागरिकता है और अपना राष्ट्रीय झंडा है. ऐसी स्थिति भारत की एकता और अखंडता के लिए बहुत बड़ा खतरा है इसलिए भारत सरकार को इस मुद्दे को बिना किसी देरी के सुलझाना चाहिए।
नुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को कुछ विशेषाधिकार देता है. लेकिन कुछ लोगों को विशेषाधिकार देने वाला यह अनुच्छेद क्या कुछ अन्य लोगों के मानवाधिकार तक छीन रहा है?I Love My India जय हिंद।
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“ मेरा देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है ”
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