रोहिंग्या मुसलमान - मुस्लिम कौन है?, इतिहास और वास्तविकता - क्यों म्यांमार से भगाये जा रहे है | Who are Rohingya Muslims (Muslman) in hindi
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रोहिंग्या मुसलमान विश्व का सबसे अल्पसंख्यक समुदाय है। इनकी आबादी करीब दस लाख के बीच है। बौद्ध बहुल देश म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमान शताब्दियों से रह रहे हैं। बीते दिनो म्यांमार में हुई हिंसा में रोहिंग्या मुसलमानों के मारे जाने के बाद पूरे विश्व की नजरे इन पर आ गईं हैं। …
रोहिंग्या मुसलमानों का मामला जून में नृशंस जनसंहार और लूटपाट की एक कार्यवाही के बाद दुनिया के ध्यान का केन्द्र बना किन्तू यह कोई अस्थाई विषय नहीं है। ये कहा जाता है कि दुनिया में रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म हो रहा है, इनसे म्यांमार को क्या दिक्क़त है? ये भागकर बांग्लादेश क्यों जा रहे हैं? इन्हें अब तक नागरिकता क्यों नहीं मिली? आंग सान सू ची दुनिया भर में मानवाधिकारों की चैंपियन के रूप में जानी जाती हैं और उनके रहते यह ज़ुल्म क्यों हो रहा है।
कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान दुनिया के अल्पसंख्यकों में से एक | Who is Rohingya Muslims why they Leaving Myanmar | Rohingya Musalmaan Fleeing Myanmar | Rohingya Musalmaan Kon Hai
रोहिंग्या मुस्लिम प्रमुख रूप से म्यांमार (बर्मा) के अराकान (जिसे राखिन के नाम से भी जाना जाता है) प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम लोग हैं। अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को कहते हैं रोहिंग्या मुसलमान। मौजूदा विवाद भी 25 अगस्त को रोहिंग्या मुसलमानों के एक हथियारबंद संगठन द्वारा म्यांमार सुरक्षा बलों पर किए गए हमले से शुरू हुआ। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अनुसार पिछले दो हफ्तों में करीब 1.23 लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर चुके हैं। म्यांमार में 25 अगस्त को भड़की हिंसा के बाद करीब 400 लोग मारे जा चुके हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (छह सितंबर) को म्यांमार दौरे में इस मुद्दे का जल्द समाधान खोजने की उम्मीद जताई। म्यांमार में करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान के राखिन प्रांत में पाए जाते हैं। रोहिंग्या मुसलमान खुद को अरब और फारसी व्यापारियों का वंशज मानते हैं। रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या भाषा में बात करते हैं जो बांग्लादेश की बांग्ला से काफी मिलती-जुलती है।
म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। म्यांमार में बहुत से लोग रोहिंग्या को अवैध प्रवासी मानते हैं। म्यांमार की सरकार रोहिंग्या को राज्य-विहीन मानती है और उन्हें नागरिकता नहीं देती। म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसे प्रतिबंधों में आवागमन, मेडिकल सुविधा, शिक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल है। हालांकि ताजा विवाद के बाद म्यांमार की काउंसलर और नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की ने कहा है कि सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
रोहिंग्या कौन है (Who are Rohingya)
रोहिंग्या मुस्लिमों का कोई देश नहीं है. ये लोग हालाँकि म्यांमार में रहते हैं, किन्तु इन्हें वहाँ पर बांग्लादेश का प्रवासी माना जाता है. उन्हें म्यांमार के 1982 बर्मा नागरिकता कानून के अंतर्गत नागरिकता प्रदान नहीं की गयी. ऐसा माना जाता है कि बर्मा में रोहिंग्या मुसलामानों की आबादी कुल 10 लाख है. इस नस्ल के मुसलमान अराकार्न, बांग्लादेश और बर्मा की सीमा प्रान्तों में रहते हैं. बर्मा के रखाइन स्टेट में वर्ष 2012 से सांप्रदायिक हिंसा चली आ रही हैं. इन हिंसाओं की वजह से रोहिंग्या मुसलामानों को कई बार यहाँ से हटाया जाता रहा हैं।
इन मुसलामानों का कहना है कि यहाँ पर इनके पूर्वज एक लम्बे समय से रहते आ रहे हैं।
रोहिंग्या मुसलामानों का इतिहास (Rohingya Muslims History)
आठवीं सदी के दौरान खलीफा हारुन रशीद के शासनकाल के समय कुछ मुस्लिम इनके राज्य की सीमा पर आये और धीरे धीरे यहाँ रहना शुरू किया. इन्होने यहाँ पर अपने इस्लाम का प्रचार किया और यहाँ के कई स्थानीय लोगों का धर्मान्तरण इस्लाम में कराया. वर्ष 1430 के दौरान अराकान के राजा ने भी इस्लाम अपना लिया और यह स्थान एक तरह से इस्लामी शासन का आधार बन गया. इस स्थान पर लगभग 350 वर्षो तक मुसलामानों का शासन रहा. इनका यह राज्य यहाँ पर ईस्ट इंडिया कंपनी के न आने तक कायम रहा. उन्नीसवीं सदी के दौरान यहाँ पर अंग्रेजों का शासन आ गया, और यहाँ से इस्लामी सत्ता समाप्त हो गयी।
वर्ष 1937 में बर्मा ने स्वयं को अंग्रेजों से अजाद करा लिया. इस अजादी के बाद यहाँ पर पहला दंगा 28 मार्च सन 1942 को शुरू हुआ, जिसमे कई मुसलमानों को मारा गया. इसके उपरान्त यहाँ पर समय समय पर मुसलमानों के विरुद्ध सैन्य क्रियाएं होती रहती हैं।
रखाइन राज्य में क्या हो रहा है (Myanmar Rakhine State News)
पिछले महीने इस राज्य में बर्मा के पुलिस अधिकारी मारे जाने की इस घटना के उपरान्त यहाँ पर रहने वाले रोहिंग्या मुसलामानों के ख़िलाफ़ कार्यवाही शुरू कर दी गयी है. दरअसल अगस्त के अंतिम हफ्ते में रोहिंग्या मिलिटेंट ने मिल कर यहाँ के पुलिस पोस्ट पर हमला किया. इस हमले में लगभग 12 पुलिस अधिकारी मारे गये. ऐसा माना जा रहा है कि इस मुठभेड़ में लगभग एक दर्जन से अधिक मिलिटेंट भी मारे गये।
पिछले वर्ष ऐसी एक घटना के दौरान इस स्थान पर म्यांमार के आर्मी का क्रैक डाउन हुआ था. इस समय यहाँ के मुस्लिमों पर काफ़ी अत्याचार हुए और इन रोहिंग्या मुसलमानों ने बर्मा के मिलिट्री के ख़िलाफ़ मानव अधिकार की उपेक्षा के आरोप लगाए थे. यहाँ के रोहिंग्या मुसलमान, मिलिट्री पर अक्सर प्रताड़ित करने के आरोप लगाते रहते हैं।
रोहिंग्या मुसलामान म्यांमार से क्यों भाग रहे हैं (Why are The Rohingyas Fleeing Myanmar in hindi)
म्यांमार सरकार के अनुसार 25 अगस्त के दिन बर्मा के लगभग 30 पुलिस पोस्ट पर घर पर तैयार किये बम से हमला किया गया. यह हमला रोहिंग्या मिलिटेंट ने किया था. इसी समय से यहाँ की स्थिति खराब हो गयी है और लगातार बर्मा आर्मी रोहिंग्या मुसलमानों पर हमले कर रही है. मिलिट्री के अनुसार इस क्षेत्र में लगभग 400 उन रोहिंग्या को मार गिराया गया है, जो मिलिटेंट थे. ध्यान देने वाली बात ये है कि यहाँ पर अभी औंग सन सू की सत्ता है, जिन्हें नोबल पुरस्कार भी प्राप्त है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह इस बात को लेकर निशाने पर हैं, कि इन्होने रोहिंग्या मुसलामानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी क्यों साध रखी है।
म्यांमार में मिलिट्री प्रक्रिया के बाद वहाँ के मुसलमान अपनी जान बचाने के लिए म्यांमार के नजदीक बांग्लादेश की तरफ भाग रहे हैं. इन विस्थापित रोहिंग्या की संख्या अब तक सवा लाख के ऊपर चली गयी हैं. हालाँकि इस पर बांग्लादेश ने भी चिंता जताई है और जो लोग सीमा पार करके बांग्लादेश जा रहे हैं, उन्हें वापस म्यांमार भेज दिया जा रहा है. इस तरह से इन रोहिंग्या मुसलामानों की स्थिति समय के साथ बिगड़ती जा रही है।
रोहिंग्या मिलिटेंट (Rohingya Militants)
म्यांमार में एक ‘अराकान रोहिंग्या मुसलमान सालवेशन आर्मी’ नाम का एक मिलिटेंट ग्रुप है. 25 अगस्त को पुलिस पोस्ट पर होने वाले हमलों के लिए इन मिलिटेंट को दोषी पाया गया है. इस ग्रुप ने इससे पहले अक्टूबर 2016 मे भी ऐसे हमले किये थे, जिसमे कुल 9 पुलिस वालों की जान गयी थी।
यूएन क्या कर रहा है (UN About Rohingya Muslims Matters)
वर्ष 2009 में यूएन ने इन रोहिंग्या मुसलमानों को विश्व का सबसे अधिक मित्रहीन तबका बताया था. संयुक्त राष्ट्र संघ ने तात्कालिक समय में कहा है कि रोहिंग्या पर होने वाले अत्याचार इंसानियत के ख़िलाफ़ है. संघ ने बर्मा सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाये. संयुक्त राष्ट्र संघ के रिफ्यूजी एजेंसी ने कहा है कि म्यांमार बॉर्डर के आस पास के देशो को अपने बॉर्डर खुले रखने चाहिए, ताकि वर्ष 2015 की ही तरह वे बोट के माध्यम से इन सीमा इलाकों में प्रस्थान कर सकें।
इस तरह से यह एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है. तात्कालिक समय में सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि ये रोहिंग्या कहाँ पर शरण प्राप्त कर सकेंगे।I Love My India जय हिंद।
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