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 Sri Krishna Janmashtami

दही हांडी उत्सव जानकारी, इतिहास, परम्परा और महत्व | Dahi Handi Festival Complete Detail Hindi


दही-हांडी एक भारतीय त्योहार है, यह कृष्ण जन्माष्टमी का एक हिस्सा है। यह हर अगस्त महिने में मनाया जाता है। कुछ लोग ज्यादातर युवक इकट्ठे होकर एक मानव पिरामिड जैसा बनाते हैं इसके पश्चात् एक ऊपर दही से भरी हांडी लटकी होती है , उसे फोड़ते हैं। इस त्योहार के भागीदारों को गोविन्दा कहा जाता हैं।

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दही हांडी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के समय मनाया जाने वाला एक विख्यात उत्सव है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस अवसर पर पहले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है और उसके बाद दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है. दही हांडी के दौरान कई युवा एक साथ दल बना कर इसमें हिस्सा लेते हैं. इस उत्सव के दौरान एक ऊंचाई पर दही से भरी हांडी लगा दी जाती है, जिसे विभिन्न युवाओं के दल तोड़ने का प्रयास करते हैं. यह एक खेल के रूप में होता है, जिसके लिए इनाम भी दिए जाते हैं. दही हांडी आमतौर पर किसी वर्ष के अगस्त – सितम्बर के बीच में ही होती है।

दही हांडी पर्व क्यों मनाते हैं (Why Dahi Handi is Celebrated in hindi)

बाल गोपाल के जन्म के उपलक्ष्य पर दही हांडी का पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण बचपन में दही, दूध, मक्खन आदि बहुत शौक़ से खाते थे. कृष्ण से बचाने के लिए उनकी माता यशोदा अक्सर दही हांडी को किसी ऊँचे स्थान पर रखती थीं, किन्तु बाल गोपाल वहाँ तक भी पहुंचने में सफ़ल हो जाते थे. इसके लिये उनके दोस्त उनकी मदद करते थे. इसी घटना की याद में सभी कृष्ण भक्त अपने दही हांडी का पर्व मनाते हैं।

भारत में दही हांडी पर्व (Dahi Handi Festival in India)

पूरे भारत में दही हांडी पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. इस समय पूरे भारत के विभिन्न स्थानों को धार्मिक रूप से सजाया जाता है. इस्कोन संस्था द्वारा भी इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया जाता है।

भारत के निम्न स्थानों पर यह एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है :

  • महाराष्ट्र में इसकी रौनक सबसे अधिक देखने मिलती है. यहाँ पर पुणे, जूहू आदि स्थानों पर इस त्यौहार पर खूब रौनक रहती है. पुणे में इसे बहुत अच्छे से पूरे रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है. इस पर्व में शामिल होने के लिए यहाँ के युवाओं का जोश देखते ही बनता है. युवाओं के कई दल एक के बाद एक इस दही हांड़ी को तोड़ने का प्रयत्न करते हैं. इस समय महाराष्ट्र के कई हिस्सों में ‘गोविंदा आला रे’ का शोर सुनाई देता है, जिसका अर्थ है भगवान् श्रीकृष्ण आ चुके हैं.
  • श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मथुरा है. अतः मथुरा में यह पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. यहाँ पर देश भर से विभिन्न कृष्ण भक्त इकट्ठे होते हैं और श्रद्धा के साथ यह पर्व मनाते हैं. इस समय पूरे मथुरा को इस तरह से सजाया जाता है कि इसकी शोभा बहुत अधिक बढ़ जाती है. पूरा शहर पावन हो उठता है.
  • वृन्दवन भी श्री कृष्ण भक्तों के लिए एक बहुत पावन स्थल है. यहाँ पर श्रीकृष्ण की कई मंदिरें हैं. इन मंदिरों की तरफ़ से लगभग पूरे वृन्दावन में दही हांडी का पर्व आयोजित किया जाता है, ताकि लोगों को श्रीकृष्ण की लीलाओं का ध्यान रहे.

दही हांडी कैसे मनाते हैं (How to Celebrate Dahi Handi)

दही हांडी मनाने की प्रक्रिया काफ़ी दिलचस्प होती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दुसरे दिन इस पर्व का आयोजन किया जाता है. इस दिन मिट्टी की हांडी में दही, मक्खन, मिठाई, फल आदि भर के एक बहुत ऊंचे स्थान पर टांग दिया जाता है. इसके बाद इसे तोड़ने के लिए विभिन्न युवाओं का दल भाग लेता है. ये सभी दल एक के बाद एक इसे तोड़ने का प्रयास करते हैं. दही हांडी तोड़ने के लिए विभिन्न दल के लोग एक दुसरे के पीठ पर चढ़ कर पिरामिड बनाते हैं. इस पिरामिड के सबसे ऊपर सिर्फ एक ही व्यक्ति चढ़ता है और हांडी तोड़कर पर्व को सफ़ल बनाता है. हांडी तोड़ने वाले दल को कई तरह के उपहारों से नवाज़ा जाता है।

2017 में दही हांडी मनाने की तारीख़ (Dahi Handi Festival 2017 Date)

इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 14 अगस्त को मनाया जाने वाला है. अतः दही हांडी पर्व ठीक इसके एक दिन बाद यानि 15 अगस्त को मनाया जाएगा. तिथि के अनुसार अष्टमी 14 अगस्त 07:15 से आरम्भ होगी और 15 अगस्त 05:09 तक रहेगी. अतः इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के दिन दही हांडी का पर्व मनाया जाएगा।

दही हांडी त्यौहार से सम्बंधित समस्या (Dahi Handi Festival Issues)

कई बार दही हांडी को तोड़ने की कोशिश करते हुए टोलियों में शामिल लोग घायल हो जाते हैं. चिकित्सकों की माने तो इस प्रथा को निभाते हुए लोगों को ऐसे भी चोटें आ सकती हैं कि उनकी मृत्यु हो जाए. वर्ष 2012 में लगभग 225 गोविन्दा ज़ख़्मी हो गये थे।

अतः इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने कुछ विशेष नियम बनाएं हैं :

  • वर्ष 2014 में महाराष्ट्र सरकार ने 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे को दही हांडी में भाग लेने की अनुमति नहीं देने की बात कहीं.
  • बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसके लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष की कर दी, अतः दही हांडी में भाग लेने के लिए कम से कम 18 वर्ष की आयु होनी अनिवार्य हो गयी.
  • वर्ष 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि 14 वर्ष की आयु से कम वाले बच्चे दही हांडी में हिस्सा नही ले सकेंगे.
  • राज्य सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को कहा है कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को चाइल्ड लेबर एक्ट (1986) के अंतर्गत दही हांडी प्रतियोगिताओं में शामिल नहीं होने दिया जाएगा. हालाँकि कोर्ट ने दही हांडी के लिए बनने वाले ‘ह्यूमन पिरामिड’ की उंचाई की कोई सीमा निर्धारित नहीं की है.

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