वास्तु दोष शमन | Vastu Dosh Remedy
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष शमन, दिशा स्थिति, कांच, तेज रोशनी के बल्व, मधुर स्वरलहरी, या घंटी, वृक्ष और पुष्प् गुच्छ, क्रिस्टल बॉल, मछली घर, जलाशय एवं फव्वारे, पवन चक्की और दिशादर्शक यंत्र, भारी पत्थर एवं मूर्तियां, भारी विद्युतीय संयंत्र, बांस या बांसुरी।
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष शमन
ज्यादातर लोगों कि एक ही जिज्ञासा होती है कि बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष का शमन कैसे संभव है? कई वास्तु शास्त्र के तथाकथित विशेषज्ञों के फोन आते है कि अमुक कारखानें-भवन में अमुक प्रकार का जबरदस्त दोष है। क्या बिना तोड़-फोड़ के इस दोष का निराकरण हो सकता है?
विदेशों मे बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष-शमन के नौ उपाय (Nine Basic Cure) सर्वाधिक प्रचलित है। प्रो. लिनयुन (Lin-yun) एवं वास्तुकार सराह रोस्बेच (Sarah Rossbach) ने उन उपायों पर बहुत विस्तार से प्रकाश डालाहै। उनके द्वारा प्रदत्त जिन ‘नाइन बेसिक क्योर‘ से आकाश, वायु, जल, प्रकाश, अग्नि-इन पंचभूतों के तालमेल को सुधारा जा सकता है, वे इस प्रकार है। 1. रोशनी - दर्पण - क्रिस्टल बाल 2. ध्वनि-घंटी 3. वृक्ष-पौधे-झाड़ी, पुष्प 4. पवन चक्की, फव्वारा, दिशादर्शक यंत्र 5. मूर्तियां-पत्थर-चट्टाने 6. विभिन्न विद्युत उपकरण 7. बांस 8. रंग-निदान 9. विभिन्न टोटके और यंत्र।
वास्तु दोष संबंधी विदेशी ज्ञान, भारतीय वास्तु शास्त्रज्ञों के सामने बौना है। विदेशी लोगों को केवल चार दिशाएं ही पता थी - पूर्व, पश्चिम-उत्तर-दक्षिण। फिर भारतीय शास्त्रों की मदद से ईशान, अग्नि, नैर्ऋत्य, वायव्य इत्यादि चार दिशाओं का और पता चला बस, इनके आगे इन्हें कोई ज्ञान नहीं है। इनकी उत्पत्ति कैसे हुई, इन दिशाओं के नामकरण के पीछे क्या रहस्य है, इसका ज्ञान उन्हें नहीं है। वस्तुस्थिति यह है कि भारतीय मनीषियों ने आज से हजारों वर्ष पूर्व मुंह देखने के कांच (दर्पण) का महत्व दर्शाया था। विदेशी वास्तु शास्त्रियों की दृष्टि में इसक बड़ा भारी महत्व है। क्योंकि यह वास्तु संबंधी बाहरी दुष्प्रभाव को वापस लौटाने (Reflect) की शक्ति रखता है। कांच आंतरिक सुंदरता और सुरक्षा को बढ़ाता है। इसमें आकार का कोई विशेष महत्व नहीं है।
यदि राजमार्ग सीध घर में प्रवेश कर रहा हो, द्वार वेध हो, तो खिड़की के बाहरी भाग में कांच लगा कर द्वार वेध नष्ट करने की परिपाटी मध्य एशिया, हांगकांग, सिंगापुर एवं चीन तथा जापान मं अधिकाधिक प्रचलित है।
घरों के अपेक्षाकृत कार्यालय, या व्यापारिक कक्ष में कांच का बड़ा महत्व है। यह कांच कई अर्थों में कार्यालय की शोभा और श्री में वृद्धि करता है। अंग्रेजी में कहावत है “The bigger the mirror the better.”
कार्यालय वगैरह में कांच इस तरह से लगना चाहिए कि उसमें आदमी का पूरा प्रतिबिंब दिखाई दे। यदि कांच अधिक छोटा है तथा सिर नहीं दिखाई देता हो, तो गृहस्वामी को सिर दर्द की स्थायी बीमारी रहेगी। यदि कांच ज्यादा बड़ा हो, तो गृहस्वामी अस्वस्थ रहेगा। अतः कांच कार्यालय में सही ढंग से, सही स्थान पर लगाना चाहिए।
छोटे एवं संकरे कमरे, कांच की मदद से, शुभफलदायक हो जाते है। कार्यालय में कांच अजनबी व्यक्ति के प्रवेश, प्रतिबिंब व उद्देश्य को प्रकट करने में सहायक होता है। मकान और कमरे भी, कांच की मदद से, शुभफलदायक हो जाते है। कांच यदि सही ढंग से लगे, तो कार्यालय और घर में उन्नति एवं प्रगति में भारी सहायक होता है।
अपनी दिव्य शक्ति द्वारा भारतीय मनीषियों ने सोलह प्रकार की दिशा-विदिशा को खोज निकाला। जिनके नाम इस प्रकार है:
1. पूर्व 2. कुडदक्षांस 3. आग्नेय 4. दक्षपाश्र्व 5. दक्षिण
6. दक्षश्रेणि 7. नैर्ऋत्य 8. पुच्छ 9. पश्चिम
10. वामश्रेणी 11. वायव्य 12. वामाश्र्व 13. उत्तर 14. वामांस
15. ईशान्य 16. पदममुख
पूर्व और कुडदक्षांस के मध्य एक उपदिशा और है। इस प्रकार से कुल 32 दिशाएं होती है, जिसका ज्ञान केवल भारतीय मनीषियों के अतिरिक्त न किसी को था, न है।
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष शमन के संदर्भ में भी भारतीय ऋषियों का ज्ञान अनुपत था। बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष शमन के निम्न अचूक उपाय प्रबुद्ध पाठकों के लाभार्थ, पहली बार यहां प्रस्तुत किये जा रहे है: