संक्षेपण
बच्चों के साथ अपने सोने का समय भी तय करें।
नियम बनने के बाद आसानी से सो जाते हैं बच्चे।
नींद के लिए मानसिक और शारीरिक शांति है जरूरी।
बहुत जरूरी होने पर ही बच्चों को नींद की दवा दिलायें।
         हर बात के लिए डॉक्टर के पास जाना हमारी आदत में शुमार हो चुका है। और अपनी इस आदत के चलते हम बच्चों की छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी डॉक्टर का रूख करते हैं। इसकी बड़ी वजह अज्ञानता और बच्चों के स्वभाव की जानकारी की कमी होती है।
         जीवन की शुरूआत में बच्चों का सोने का पैटर्न काफी बिगड़ा हुआ होता है। उनके शरीर का सोने और उठने का समय तय नहीं होता। नतीजतन, उन्हें सोने में काफी परेशानी होती है और इससे आपको भी परेशानी होती है। हालांकि, आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। और न ही आपको उसे कहानियंा सुनाने की ही जरूरत है। कुछ प्राकृतिक तरीके अपनाकर आप अपने बच्चे को आसानी से आरामदेह नींद दे सकते हैं। तो, आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपाय जो आपके बच्चों को आरामदेह नींद दे सकते है।
         बच्चे आमतौर पर आराम से नहीं बैठते और बहुत अधिक उछलकूद करते रहते हैं। सोने के लिए थोड़ा सा शांत होना जरूरी है। कोई तभी सो सकता है, जब उसका मस्तिष्क शांत है। इसी से आपके शरीर में जरूरी हार्मोन्स का स्राव होता है, जो आपकी नींद के लिए अच्छे होते हैं। हालंाकि, बच्चे बहुत कम समय के लिए शंाति से बैठते हैं, तो ऐसे में उनका शरीर उनक मस्ष्कि को इस बात का संकेत ही नहीं भेजता कि उन्हें सोना चाहिए। ऐसे में उन्हें सोने में परेशानी होती है, जो आगे चलकर बीमारी का रूप भी ले सकती है। अगर किसी बच्चे में शारीरिक और मानसिक विकास धीमा हो, लेकिन उन्हें कोई आधारभूत स्वास्थ्य समस्या न हो, तो यह नींद की कमी का लक्षण हो सकता है। आप कई उपाय अपनाकर इस समस्या से पार पा सकते हैं।
कैमोमाइल ग्रास
कैमोमाइल ग्रास ऐसे बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें नसों को शांत करने की क्षमता होती है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि यह बच्चों को कई तत्वों जैसे पाचन संबंधी परेशानियों और संक्रमण आदि से बचाने में मदद करती है। यह किसी भी प्राकृतिक ओषधियों की दुकान पर मिल जाती है।
मेलिसा
इसके अलावा मेलिसा भी काफी उपयोगी होती है। इसके साथ ही लैमन टी का सेवन भी किया जा सकता है। इससे भी नींद में आसानी होती है। हालांकि मेलिसा के कोई प्रतिकूल प्रभाव अभी तक सामने नहीं आए हैं, लेकिन साथ ही यह भी जानने की जरूरत है कि इस पर अधिक शोध भी नहीं हुआ है। ऐसे में इसे अपने बच्चे को देने से पहले विशेषज्ञ आयुर्वेदाचार्य से जरूर संपर्क करें।
मेलाटोनिन
व्यवहारगत समस्याओं से परेशान बच्चों में पर्याप्त मात्रा में मेलाटोनिन का निर्माण नहीं होता। यह मस्तिष्क की पिनएल गं्रथि में होता है। यह मनुष्यों में सोने व उठने के चक्र को नियंत्रित करता है। इस स्राव की अनियमितता अक्सर इन्सोमनिया का कारण बन जाती है। मेलाटोनिन को दवाओं के जरियें नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि यह बच्चों के लिए सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन फिर भी जानकार दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह दवा देने से परहेज करते हैं। बिना डाॅक्टरी सलाह के इस तत्व का सेवन नहीं करना चाहिए।
बच्चों को नहीं होती सोने में परेशानी
आमतौर पर देखा जाता है कि अगर एक बार बच्चों का सोने का रूटीन बन जाए, तो उन्हें सोने में कोई दिक्कत नहीं आती। रात को बच्चों को सुलात समय उन्हें आरामदेह कपड़े पहनायें। इसके साथ ही अच्छा रहेगा अगर आप बच्चों को सोने से पहले गर्म दूध दें। इससे नींद अच्छी नींद का तोहफा दे सकते हैं। रोशनी में बच्चों को अच्छी नींद नहीं आती। इन नियमों को रोजाना अपनायें। ऐसा करने से कुछ दिनों बाद ही बच्चे का शरीर इसके अनुसार ढल जाएगा। और आपको बच्चे की नींद को लेकर कम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
         इसके साथ ही आप अपने बच्चे की साफ सफाई और आहार का पूरा ध्यान रखें। इन सब बातों का उसकी नींद पर गहरा असर पड़ता है। आपका चाहिए कि आप स्वयं का भी सोने उठने का वक्त तय करें। इससे भी बच्चों की नींद का चक्र नियमित होगा।
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