You are Here :
Home »
Ajab Gajab News »
Jagannath Rath Yatra 2024
Jagannath Rath Yatra 2024 : जगन्नाथ रथ यात्रा, पूजा विधी, शुभ मुहूर्त और इतिहास, इस स्तोत्र से करें प्रसन्न, जानिए क्या है इस दिन का महत्व?
2024 में रथ यात्रा / जगन्नाथ रथ यात्रा का विवरण Rath Yatra 2024
Guru Purnima 2024 : आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। परंपरागत रूप से यह दिन गुरु पूजा या गुरु आराधना के लिए आरक्षित है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं या उन्हें सम्मान देते हैं। गुरु आध्यात्मिक मार्गदर्शक को संदर्भित करता है जो अपने ज्ञान और शिक्षाओं से शिष्यों को प्रबुद्ध करता है।। इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई के दिन मनाया जाएगा और इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है।
रथ यात्रा को नवदीना यात्रा, गुंडिचा यात्रा, दशावतार और गुंडिचा यात्रा भी कहा जाता है। यह भगवान कृष्ण (भगवान जगन्नाथ) को समर्पित एक वार्षिक आयोजन है। यह त्यौहार पारंपरिक उड़िया कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन पड़ता है।
Date |
Day |
Festival |
07 July 2024 |
Sunday |
Ratha Yatra |
जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 शुभ मुहूर्त / Jagannath Rath Yatra 2024 Shubh Muhurat
प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पवित्र स्थान पुरी सहित देश भर में निकाली जाती है. इस विशेष दिन पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा तीन विशाल रथों पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों से मिलते हैं. इसके बाद उनका रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचता है, जहां वह नौ दिनों तक विश्राम करते हैं. बता दें कि इस वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 07 जुलाई 2024, रविवार के दिन धूमधाम से निकाली जाएगी. इसके साथ इस विशेष दिन पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिन्हें पूजा-पाठ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन पुष्य नक्षत्र हर्षण योग, रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. इन सभी योग को शुभ मुहूर्त की श्रेणी में रखा गया है और इस दौरान पूजा-पाठ अथवा दान-पुण्य करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है.
जगन्नाथ रथ यात्रा की कथा और दर्शन का महत्व? / Importance of the story and philosophy of Jagannath Rath Yatra?
पद्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार देवी सुभद्रा को नगर भ्रमण करने की इच्छा प्रकट हुई. इस इच्छा को उन्होंने अपने भाई श्री कृष्णा और बलभद्र जी से बताया. अपनी बहन की इच्छा को पूरा करने के लिए दोनों भाइयों ने तीन भव्य रथ तैयार करवाएं और इसके बाद उन्होंने नगर भ्रमण किया. इसी प्रथा को ओडिशा सहित देश भर में जगन्नाथ रथ यात्रा के रूप में धूमधाम से पूरा किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में सम्मिलित होता है या उनके दर्शन करता है. उनके सभी आप और कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
इस विशेष दिन पर भगवान जगन्नाथ की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. इसके साथ इस दिन पर आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित श्री जगन्नाथ अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से भी लाभ प्राप्त होता है.
श्री जगन्नाथ अष्टकम स्तोत्र / Sri Jagannatha Ashtakam Stotra
कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो
मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः ।
रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ।।
भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
दुकूलं नेत्रान्ते सहचर-कटाक्षं विदधते ।
सदा श्रीमद्-वृन्दावन-वसति-लीला-परिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ।।
महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरे
वसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना ।
सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदो
जगन्नाथः स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ।।
कृपा पारावारः सजल जलद श्रेणिरुचिरो
रमा वाणी रामः स्फुरद् अमल पङ्केरुहमुखः ।
सुरेन्द्रैर् आराध्यः श्रुतिगण शिखा गीत चरितो
जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ।।
लोग रथ यात्रा क्यों मनाते हैं?
रथ यात्रा का आयोजन पुरी में किया जाता है, जो ओडिशा का एक प्रमुख शहर है। भक्तगण भगवान कृष्ण या भगवान जगन्नाथ को मथुरा जाने की इच्छा जताते हैं, जो उनका जन्मस्थान है। वे अपनी इच्छा पूरी करने के लिए हर साल इस उत्सव का आयोजन करते हैं। भक्तों का यह भी मानना है कि अगर वे इस उत्सव में पूरी श्रद्धा से हिस्सा लेते हैं तो वे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। मुसलमान भी इस त्योहार को मनाते हैं।
रथ यात्रा उत्सव कैसे मनाया जाता है? / How is Rath Yatra Festival Celebrated?
भक्तगण जगन्नाथ मंदिर से भगवान कृष्ण, भगवान बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को गुंडिचा मंदिर ले जाते हैं। फिर मूर्तियों को रथों में स्थापित किया जाता है। पुजारी स्नान पूर्णिमा मनाते हैं, जो एक प्रथा है जिसमें तीन मूर्तियों को पानी (109 बाल्टी) से नहलाया जाता है। नहाए गए मूर्तियों को जुलूस के दिन तक अलग रखा जाएगा। इस आयोजन को अंसारा कहा जाता है। ओडिशा के शाही उत्तराधिकारी चेरा पहरा की रस्म निभाते हैं। राजा देवताओं को ले जाता है और चेरा पहरा के आयोजन के दौरान उन्हें रथों पर रखता है।
Tags:
Jagannath Rath Yatra 2024
jagannath rath yatra 2024
rath yatra 2024
shubh muhurat time
puja vidhi
importance
significance of jagannath rath yatra
history
importance of rath yatra
jagannath rath yatra history
jagannath rath yantra kab se kab tak
shri jagannath ashtakam stotra lyrics
jagannath rath yatra mahatva
rath yatra 2024 puja vidhi
jagannath yatra Shubh Muhurat
jagannath yatra 2024 ke upay
जगन्नाथ शुभ मुहूर्त
जगन्नाथ पूजा विधि
जगन्नाथ रथ यात्रा महत्व
god and goddess puja for blessing jagannath rath yatra
jagannath bhagwan puja vidhi
Published: July 07, 2024 - 06:22 | Updated: July 07, 2024 - 06:22
अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें.
For latest news and analysis in English, follow Welcomenri.com on Facebook.