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घर के आंगन में ऐसे करें तुलसी विवाह, मिलेंगे अद्भुत वरदान, जरूर पढ़ें 20 काम की बातें!

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नई दिल्ली: 5 नवंबर 2022 देवउठनी एकादशी पर्व है। गृहस्थ लोगों के लिए वैष्णव मतानुसार 5 नवंबर 2022 शनिवार को एकादशी मनाया जाना शुभ है। इस दिन कैसे करें घर में तुलसी जी का विवाह, यहाँ पढ़े ...

  • शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं।
  • तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें।
  • तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं।
  • तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।
  • गमले में सालिग्राम जी रखें।
  • सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है।
  • तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।
  • गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।
  • अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें।
  • देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं।
  • कपूर से आरती करें। (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी)
  • प्रसाद चढ़ाएं।
  • 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
  • प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें।
  • प्रसाद वितरण अवश्य करें।
  • पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें-उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।
  • इस लोक आह्वान का भोला सा भावार्थ है - हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।
  • इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जा सकता है-
    'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
    त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥'
    'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
    गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥'
    'शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।'
  • तुलसी नामाष्टक पढ़ें :--
    वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।
    एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।
  • मां तुलसी से उनकी तरह पवित्रता का वरदान मांगें।

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