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वैभव लक्ष्मी व्रत, जानें महत्व, पूजन विधि, व्रत नियम
वैभव लक्ष्मी व्रत, जानें महत्व, पूजन विधि, व्रत नियम | Vaibhav Laxmi Vrat: significance importance rules pujan vidhi
Vaibhav Laxmi Vrat (वैभव लक्ष्मी व्रत) मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये किया जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजन करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-सौभाग्य के द्वार खुल जाते हैं।..
कब किया जाता है ये व्रत
वैभव लक्ष्मी का व्रत शुक्रवार के दिन किया जाता है. ये व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. इसी दिन संतोषी मां का व्रत भी किया जाता है. लेकिन दोनों व्रतों को करने का विधि-विधान अलग-अलग है.
महत्व
इस व्रत को करने से जीवन में चली आ रही धन संबंधी तंगी दूर होती है. धन और सुख-समृ्द्धि की प्राप्ति होती है. घर-परिवार में लक्ष्मी का स्थिर वास बनता है. व्यापार में मुनाफे की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए ये व्रत विशेष रूप से फलदायी माना गया है. व्रत के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के साथ श्रीयंत्र की पूजा का भी विधान है.
पूजन विधि
मां लक्ष्मी को सफेद रंग की वस्तुएं प्रिय हैं. इसलिए उनकी पूजा के लिए श्वेत रंग के वस्त्र पहनने की सलाह दी गई है. सफेद फूल और सफेद रंग की चीजों का भोग इन्हें लगाया जाता है. सफेद के अलावा मां को गुलाब अति प्रिय है.
व्रत नियम
इस व्रत को कोई भी कर सकता है पर सुहागिन स्त्रियों के लिए इसे अधिक शुभदायी माना गया है. इस व्रत को प्रारम्भ करने के बाद नियमित 11 या 21 शुक्रवार तक करने का नियम है. व्रत के दिन मां लक्ष्मी के पूजन से दिन आरंभ करें. दिन के समय सोएं नहीं न ही दैनिक कार्य त्यागें. आलस्य दूर रखें. आलसी लोगों से मां लक्ष्मी दूर रहती हैं. व्रत के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करें. जिस घर में साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता, वहां देवी लक्ष्मी निवास नहीं करतीं.
अब अष्टलक्ष्मी के नाम लेने चाहिए- श्री धनलक्ष्मी व वैभव लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, अधिलक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी इसके पश्चात मंत्र बोलना चाहिए.
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
पूजा करने के बाद मां वैभव लक्ष्मी जी कि व्रत कथा करें. धूप, दीप, गंध और श्वेत फूलों से माता की पूजा करें. माता को खीर का भोग लगाएं. सभी को खीर का प्रसाद बांटकर स्वयं खीर जरूर ग्रहण करनी चाहिए.
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Published: Oct 31, 2022 - 06:56 IST | Updated: Oct 31, 2022 - 06:56 IST
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